सुप्रीम कोर्ट ने अपने न्यायाधीशों के लिए अपनी संपत्ति का विवरण सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से प्रकाशित करना अनिवार्य कर दिया है।
- 1 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों ने संकल्प लिया था कि न्यायाधीशों को पदभार ग्रहण करने पर तथा जब भी किसी महत्वपूर्ण संपत्ति का अधिग्रहण किया जाए, तो अपनी संपत्ति का विवरण भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत करना होगा।
- लोक सेवकों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के विपरीत, न्यायाधीश कानूनी रूप से अपनी संपत्ति सार्वजनिक रूप से घोषित करने के लिए बाध्य नहीं हैं।
- हालांकि, 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने एक संकल्प अपनाया था कि “न्यायाधीशों को अपने जीवनसाथी और आश्रितों की संपत्ति सहित सभी संपत्तियों का विवरण मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए”।
- 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने स्वैच्छिक आधार पर अपनी वेबसाइट पर न्यायाधीशों की संपत्ति को प्रकाशित करने का संकल्प लिया था।
- वर्तमान निर्णय 1997 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपनाए गए न्यायिक जीवन के मूल्यों का पुनर्स्थापन (Restatement of Values of Judicial Life) को दोहराता है। इसके तहत कुछ न्यायिक मानकों और सिद्धांतों को स्थापित किया गया है, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट्स के न्यायाधीशों को पालन करना चाहिए।
1997 न्यायिक जीवन के मूल्यों का पुनर्स्थापन
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