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Posted 07 May 2025

36 min read

अल्कट्राज द्वीप

हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने कुख्यात अल्कट्राज जेल का पुनर्निर्माण करने और उसे फिर से खोलने का निर्देश दिया है। 

  • इस जेल को अब फिर से खतरनाक और हिंसक अपराधियों को रखने के लिए उपयोग में लाया जाएगा। यह जेल अल्कट्राज द्वीप पर स्थित है। 

अल्कट्राज द्वीप के बारे में

  • अवस्थिति: यह कैलिफोर्निया की सैन फ्रांसिस्को की खाड़ी में (संयुक्त राज्य अमेरिका) स्थित है।
  • विशेषताएं: यह एक लघु निर्जन द्वीप है, जिसे आमतौर पर “द रॉक” (The Rock) कहा जाता है। पहले इसे एक किले के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। बाद में इसे मिलिट्री जेल, और फिर उच्च सुरक्षा वाली संघीय जेल के रूप में उपयोग किया गया।
    • यह द्वीप कोरमोरेंट्स, वेस्टर्न गुल जैसे समुद्री पक्षियों तथा कई अन्य जीव-जंतुओं जैसे कि डियर माउस, स्लेंडर सैलामैंडर जैसी प्रजातियों का प्राकृतिक पर्यावास भी है।
    • वर्तमान में यह एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल है और इसे राष्ट्रीय ऐतिहासिक स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है।
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  • अल्कट्राज द्वीप
  • द रॉक

मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन

भारतीय नौसेना तथा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने स्वदेशी रूप से विकसित मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (MGM) का सफल परीक्षण किया।

मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (MGM) के बारे में 

  • यह एक अत्याधुनिक अंडरवाटर नौसैनिक माइन है। इसे शत्रुओं के आधुनिक स्टील्थ पोतों और पनडुब्बियों की पहचान करने की भारतीय नौसेना की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए विकसित किया गया है।
  • इसे DRDO के तहत नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी (NSTL) ने डिजाइन और विकसित किया है। 
  • मुख्य विशेषताएं:
    • यह कई प्रकार के सेंसर्स का उपयोग करके दुश्मन के समुद्री जहाजों से निकलने वाले ध्वनिक (acoustic), चुम्बकीय (magnetic), और दबाव (pressure) संकेतों का पता लगाती है।
    • इसमें प्रोसेसर युक्त इलेक्ट्रॉनिक्स लगे हैं, जो डेटा को प्रोसेस करके उचित करवाई करते हैं।
    • इसे जहाजों और पनडुब्बियों से तैनात किया जा सकता है।
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  • मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन
  • MGM
  • अंडरवाटर नौसैनिक माइन

पीजोइलेक्ट्रिक

शोधकर्ताओं ने एक किफायती, धातु-रहित व छिद्रित (porous) कार्बनिक उत्प्रेरक विकसित किया है, जो प्रभावी तरीके से हाइड्रोजन (H₂) उत्पादन में सहायक है।

  • यह उत्प्रेरक यांत्रिक ऊर्जा का पीजो-कैटालिसिस (piezocatalysis) के माध्यम से उपयोग करता है। इसमें पीजोइलेक्ट्रिक पदार्थ जल के अणुओं को अलग-अलग करने के लिए (water splitting) चार्ज कैरियर्स उत्पन्न करते हैं।

पीजोइलेक्ट्रिक प्रभाव (Piezoelectric Effect) के बारे में:

  • पीजोइलेक्ट्रिक प्रभाव वह क्षमता है, जिसके द्वारा कुछ विशेष पदार्थ यांत्रिक दबाव (mechanical stress) के खिलाफ प्रतिक्रिया में विद्युत आवेश उत्पन्न करते हैं।
  • “Piezoelectric” शब्दावली यूनानी शब्द “piezo” से ली गई है, जिसका अर्थ है “धक्का देना” या “दबाव डालना”।
  • प्रत्यावर्ती ( Reversible) प्रकृति: यह प्रभाव दो-तरफा (reversible) होता है: जो पदार्थ यांत्रिक दबाव पर विद्युत उत्पन्न करते हैं, वे विद्युत क्षेत्र के संपर्क में आने पर यांत्रिक तनाव भी उत्पन्न करते हैं।
  • पीजोइलेक्ट्रिक पदार्थ: बर्लिनाइट, गन्ने से उत्पादित चीनी, क्वार्ट्ज, रोशेल लवण, टोपाज, और हड्डी।
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  • पीजोइलेक्ट्रिक
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ग्लोबल नेटवर्क ऑफ एज-फ्रेंडली सिटीज एंड कम्युनिटीज

कोझिकोड शहर को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के ग्लोबल नेटवर्क ऑफ एज-फ्रेंडली सिटीज एंड कम्युनिटीज (GNAFCC) की सदस्यता से सम्मानित किया गया है।

GNAFCC के बारे में:

  • स्थापना: 2010 में।
  • सदस्य: 51 देशों के 1300 सदस्य शहर और समुदाय।
  • लक्ष्य: विश्व भर के शहरों, समुदायों और संगठनों को जोड़ना, ताकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए रहने योग्य समाज विकसित किया जा सके।
  • मुख्य उद्देश्य:
    • प्रेरणा देना, यह दर्शाकर कि क्या किया जा सकता है और कैसे किया जा सकता है।
    • दुनिया भर के शहरों और समुदायों को जोड़कर जानकारी, अनुभव एवं ज्ञान का आदान-प्रदान करना।
    • नवाचार पर आधारित और प्रमाणित समाधान खोजने में समुदायों की मदद करना।
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  • WHO
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वेसाक दिवस

वियतनाम में संयुक्त राष्ट्र-वेसाक दिवस 2025 का आयोजन किया गया। इस अवसर पर, भारत ने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

वेसाक दिवस के बारे में 

  • वेसाक को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह मई महीने में पूर्णिमा को मनाया जाता है।
  • यह दुनियाभर के करोड़ों बौद्धों के लिए सबसे पवित्र दिवस माना जाता है।
  • महत्त्व: वेसाक दिवस गौतम बुद्ध से जुड़ी तीन प्रमुख घटनाओं की स्मृति में मनाया जाता है, जो सभी एक ही दिन घटित हुई थीं। ये तीन घटनाएं निम्नलिखित हैं: 
    • भगवान बुद्ध का जन्म: 563 ईसा पूर्व,
    • ज्ञान प्राप्ति यानी निर्वाण; तथा 
    • महापरिनिर्वाण: 483 ईसा पूर्व में 80 वर्ष की आयु में
  • वर्ष 1999 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बौद्ध धर्म को सम्मानित करने के लिए वेसाक दिवस को अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मान्यता दी थी।
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  • वेसाक दिवस
  • भगवान बुद्ध

साओला

हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने साओला के जीनोम का मानचित्रण किया है। साओला को "एशियाई यूनिकॉर्न" भी कहा जाता है। 

साओला के बारे में 

  • पर्यावास और वितरण: साओला मुख्य रूप से वियतनाम और लाओस की सीमा पर स्थित अन्नामाइट पहाड़ियों के कोहरे से ढके सदाबहार जंगलों में पाया जाता है।
  • विशेषताएं: नर और मादा दोनों में लगभग 20 इंच लंबे दो समांतर, नुकीले सींग होते हैं। यह जीव मवेशियों का निकट संबंधी है और हिरण जैसा दिखाई देता है।
    • चेहरे पर सफेद निशान और नाक के पास बड़ी ग्रंथियां होती हैं, जिनका उपयोग संभवतः अपना क्षेत्र चिह्नित करने या साथी आकर्षित करने के लिए किया जाता है।
  • संरक्षण स्थिति: IUCN (क्रिटिकली एंडेंजर्ड)।
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  • साओला
  • एशियाई यूनिकॉर्न

त्रिशूर पूरम उत्सव

केरल के वडक्कुनाथन मंदिर में त्रिशूर पूरम उत्सव की शुरुआत हुई।

  • वडक्कुनाथन एक शिव मंदिर है। इसे 2015 में सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए यूनेस्को एशिया-प्रशांत विरासत पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

त्रिशूर पूरम उत्सव के बारे में

  • यह फसल कटाई के उपरांत मनाया जाने वाला त्यौहार है। यह त्यौहार त्रिशूर में मलयाली महीने ‘मेडम’ (अप्रैल/मई) में आयोजित किया जाता है। 
  • इसे 'सभी पूरमों की जननी' माना जाता है।
  • यह देवी-देवताओं का एक भव्य समागम है, जिसमें वे सजे-संवरे हाथियों के साथ वडक्कुनाथन मंदिर के प्रांगण में आते हैं। इस शोभायात्रा के साथ चेंदा मेलम और पंचवाद्यम जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों की शानदार संगीत प्रस्तुति होती है।
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  • त्रिशूर पूरम उत्सव
  • वडक्कुनाथन मंदिर

भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार (NAI)

NAI ने ऐतिहासिक दस्तावेजों के 10 करोड़ से अधिक पृष्ठों का डिजिटलीकरण किया।

NAI के बारे में

  • उत्पत्ति: 1891 में कोलकाता (तब कलकत्ता) में इम्पीरियल रिकॉर्ड्स डिपार्टमेंट के रूप में हुई थी।
  • मंत्रालय: यह संस्कृति मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है। 
  • वर्तमान स्थान: नई दिल्ली; एक क्षेत्रीय कार्यालय: भोपाल; तथा तीन अभिलेख केंद्र: भुवनेश्वर, जयपुर और पुडुचेरी)।
  • उद्देश्य: सार्वजनिक रिकार्ड्स, निजी कागजात, प्राच्य रिकार्ड्स, कार्टोग्राफिक रिकार्ड्स और माइक्रोफिल्म आदि सहित महत्वपूर्ण दस्तावेजों का संरक्षण करना।
  • अध्यक्षता: महानिदेशक, जो लोक अभिलेख अधिनियम, 1993 और लोक अभिलेख नियम, 1997 के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होता है।
  • Tags :
  • भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार
  • इम्पीरियल रिकॉर्ड्स डिपार्टमेंट
  • लोक अभिलेख नियम, 1997
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