एशियाई शेरों की संख्या और वितरण क्षेत्र में वृद्धि हुई है, जो 'प्रोजेक्ट लायन' की सफलता को दर्शाता है। उल्लेखनीय है कि गिर राष्ट्रीय उद्यान के बाहर भी शेरों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
- यह गणना गुजरात वन विभाग द्वारा प्रत्येक 5 वर्ष में आयोजित की जाती है।
- प्रोजेक्ट लायन (2020) का लक्ष्य शेरों का दीर्घकालिक संरक्षण करना है, ताकि वे अपनी पारिस्थितिकी भूमिका निभा सकें और अपनी जैविक क्षमता बनाए रख सकें।
- शेरों की रेडियो कॉलरिंग जैसी उन्नत तकनीकों के माध्यम से निगरानी की जा रही है तथा रोग प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
एशियाई शेर (पेंथेरा लियो पर्सिका) के बारे में

- पर्यावास: घास के मैदान, सवाना, घनी झाड़ियाँ और खुले वन।
- इनकी आबादी मुख्य रूप से गिर राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य (गुजरात) में ही पाई जाती है।
- बर्दा वन्यजीव अभयारण्य शेरों के लिए "दूसरे पर्यावास" के रूप में उभरा है।
- IUCN स्थिति: वल्नरेबल।
- यह वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I और अनुसूची-IV में सूचीबद्ध है तथा CITES के परिशिष्ट-I में शामिल है।
- एशियाई शेर की विशेषताएँ:
- एशियाई शेर अफ़्रीकी शेरों की तुलना में आकर में थोड़े छोटे होते हैं।
- एशियाई शेरों (अफ्रीकी शेरों में दुर्लभ) में देखी जाने वाली एक विशिष्ट विशेषता उनके पेट के नीचे गर्दन से पूँछ तक त्वचा की एक तह है।
- एशियाई नर शेर का अयाल कम घना होता है, जिससे उसके कान हमेशा दिखाई देते हैं।
- शेरों का कोई विशेष प्रजनन काल नहीं होता है।
शेरों के संरक्षण के लिए शुरू की गई पहलें
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