चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की शुरुआत 2015 में हुई थी। यह चीन की 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (BRI) परियोजना का हिस्सा है।
- बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव अरबों डॉलर की परियोजना है। इसे चीन ने 2013 में दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि तथा समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ने के लिए शुरू किया था।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के बारे में
- यह लगभग 3000 किलोमीटर लंबा गलियारा है। यह चीन के सुदूर पश्चिमी शिंजियांग प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है।
- CPEC उस स्थान पर स्थित है, जहां सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट और 21वीं सदी का की समुद्री सिल्क रोड मिलते हैं।
CPEC को लेकर भारत की चिंताएं
- प्रादेशिक संप्रभुता और अखंडता का उल्लंघन: CPEC पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है। चूंकि PoK भारत के जम्मू-कश्मीर का हिस्सा है, इसलिए भारत इस परियोजना को अपनी क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन मानता है।
- भू-सामरिक चिंताएं: चीन द्वारा पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का विकास उसकी ‘मोतियों की माला रणनीति” (String of Pearls) का ही हिस्सा है। इससे अरब सागर में भारत की समुद्री सुरक्षा और व्यापार के समक्ष खतरा पैदा हो सकता है।
- भू-राजनीतिक चिंताएं: चीन-पाकिस्तान-अफगानिस्तान त्रिपक्षीय संबंधों का मजबूत होना दक्षिण एशिया में भारत के लिए भू-राजनीतिक खतरे और सुरक्षा चुनौतियां उत्पन्न करेगा।
CPEC के खिलाफ प्रतिक्रिया में भारत द्वारा उठाए गए कदम

- चाबहार बंदरगाह (ईरान): भारत और ईरान ने चाबहार बंदरगाह संचालन के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC): यह भारत को मध्य एशिया और यूरेशिया से जोड़ता है। इस गलियारे में पाकिस्तान शामिल नहीं है।
- भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC): इस पहल का उद्देश्य एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व के बीच संपर्क बढ़ाना तथा क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित बनाना है। इससे क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा।