इस कार्य योजना का शुभारंभ करते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने चारों राज्यों (राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और गुजरात) के सभी हितधारकों से अरावली लैंडस्केप की पुनर्बहाली में 'समग्र सरकार' (Whole of Government) और 'समग्र समाज' (Whole of Society) के दृष्टिकोण को अपनाने का आग्रह किया।
- अरावली पर्वत श्रृंखला वन क्षरण, पशु विस्थापन, अवैध खनन आदि से संबंधित चिंताओं का सामना कर रही है।
कार्य योजना के बारे में
- यह अरावली की पारिस्थितिक अखंडता को बहाल करने के लिए एक विज्ञान-आधारित, सामुदायिक नेतृत्व वाली और नीति-समर्थित रोडमैप की रूपरेखा तैयार करती है।

अरावली के बारे में
- यह दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है और हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं के निर्माण से भी पुरानी है।
- यह भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है। यह गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली तक विस्तृत है। इसकी लंबाई लगभग 692 किलोमीटर है।
- यह भारत के मानसून चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और देश के तापमान को विनियमित करने का कार्य करती है।
- यह एक अवरोधक के रूप में भी कार्य करती है। यह थार के मरुस्थल को राजस्थान और गुजरात के कृषि क्षेत्रों में फैलने से रोकती है।
अरावली की सुरक्षा के लिए शुरू की गई पहलें
- अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट: यह चारों राज्यों में अरावली पर्वत श्रृंखला के चारों ओर 5 कि.मी. के बफर क्षेत्र को हरा-भरा करने की एक पहल है।
- राज्य सरकार के उपाय: 2016 में हरियाणा सरकार की अधिसूचना के तहत मांगर बानी क्षेत्र (अरावली का हिस्सा) को "नो-कंस्ट्रक्शन जोन" घोषित किया गया था।
- एमसी मेहता बनाम भारत संघ मामला: निर्णयों की एक श्रृंखला में, सुप्रीम कोर्ट ने पूरी अरावली पहाड़ियों में खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध व निषेध लगा दिया था।