ब्रिक्स व्यापार मंत्रियों की बैठक
हाल ही में आयोजित ब्रिक्स व्यापार मंत्रियों की बैठक में भारत ने ब्रिक्स सदस्य देशों के बीच निर्यात नियंत्रण व्यवस्था को समाप्त करने की अपील की।
बैठक के दौरान अपनाए गए प्रमुख परिशिष्ट:
- WTO में सुधार और बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था को मजबूत करने पर ब्रिक्स घोषणा-पत्र: भारत ने 2025 में विश्व व्यापार संगठन (WTO) की 30वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में “30 के लिए 30” पहल का प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस पहल में WTO में 30 क्रमिक सुधारों की सिफारिश की गई है।
- ब्रिक्स डेटा इकोनॉमी गवर्नेंस समझौता: डिजिटल तकनीकों को अपनाने में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) की भूमिका को एक प्रमुख प्रेरक तत्व के रूप में मान्यता दी गई।
- ब्रिक्स व्यापार और सतत विकास रूपरेखा: इस बात की पुष्टि की गई कि व्यापारिक प्रावधानों का अनुचित भेदभाव या छिपे हुए प्रतिबंधों के लिए दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
- Tags :
- ब्रिक्स
- डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर
- WTO
- ब्रिक्स घोषणा-पत्र
Articles Sources
प्रधान मंत्री कृषि संपदा योजना
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI) ने प्रधान मंत्री कृषि संपदा योजना (PMKSY) के अंतर्गत "कृषि प्रसंस्करण क्लस्टर अवसंरचना सृजन स्कीम" के तहत आवेदन आमंत्रित किए।
प्रधान मंत्री कृषि संपदा योजना (PMKSY) के बारे में:
- योजना का प्रकार: यह एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है। इसे 2017 में मंजूरी मिली थी। इसे वित्त वर्ष 2026 तक 4600 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ जारी रखा गया है।
- कार्यान्वयन मंत्रालय: केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय।
- उद्देश्य:
- मेगा फूड पार्क/ क्लस्टर और एकल इकाइयों के लिए आधुनिक खाद्य प्रसंस्करण अवसंरचना का निर्माण करना।
- किसानों, प्रसंस्करण इकाइयों और बाजारों को जोड़ने के लिए प्रभावी बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज बनाना।
- शीघ्र नष्ट हो जाने वाले कृषि उत्पादों के लिए मजबूत आपूर्ति श्रृंखला अवसंरचना का निर्माण करना।
कृषि प्रसंस्करण क्लस्टर अवसंरचना सृजन स्कीम (APC) के बारे में
- उद्देश्य: आधुनिक अवसंरचना और साझा सुविधाओं का विकास करना, ताकि क्लस्टर आधारित अप्रोच के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित करने हेतु उद्यमियों के समूहों को प्रोत्साहित किया जा सके।
- Tags :
- PMKSY
- प्रधान मंत्री कृषि संपदा योजना
- कृषि प्रसंस्करण क्लस्टर अवसंरचना सृजन स्कीम
Articles Sources
प्रसारण सेवाओं पर दोहरा कराधान
सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया है कि प्रसारण सेवाओं पर दोहरा कराधान, कानून के तहत मान्य है।
निर्णय के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- दोहरे कराधान की अनुमति: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोहरा कराधान तब वैध है, जब वह एक ही गतिविधि के विविध पहलुओं पर अलग-अलग विधायी शक्तियों के अंतर्गत लगाया जाता है।
- केंद्र सरकार की शक्ति: संविधान की संघ सूची की प्रविष्टि 97 के अंतर्गत केंद्र सरकार प्रसारण सेवा को एक सेवा के रूप में सेवा कर के दायरे में ला सकती है।
- वित्त अधिनियम, 1994 की धारा 66d के तहत सेवा कर सभी सेवाओं पर लागू होता है, सिवाय उन सेवाओं के जो नकारात्मक सूची में आती हैं।
- राज्य सरकार की शक्ति: राज्य सरकार राज्य सूची की प्रविष्टि 62 के अंतर्गत मनोरंजन सामग्री पर मनोरंजन कर लगा सकती है।
- मनोरंजन कर वाणिज्यिक मनोरंजन गतिविधियों पर लगाया जाता है। जैसे- सिनेमा (सिनेमैटोग्राफ) प्रदर्शन, मनोरंजन कार्यक्रम, इत्यादि।
- Tags :
- दोहरा कराधान
- वित्त अधिनियम, 1994
Articles Sources
भुगतान विनियामक बोर्ड
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भुगतान विनियामक बोर्ड विनियम, 2025 को अधिसूचित किया। इन्हें भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007
के तहत अधिसूचित किया गया है।
- ये विनियम भुगतान और निपटान प्रणाली के विनियमन एवं पर्यवेक्षण के लिए बोर्ड विनियम, 2008 की जगह लेंगे।
भुगतान विनियामक बोर्ड के बारे में:
- संरचना:
- अध्यक्ष: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर।
- पदेन सदस्य: भुगतान प्रणाली के प्रभारी RBI डिप्टी गवर्नर और RBI द्वारा नामित एक अधिकारी।
- 3 सदस्य: केंद्र सरकार द्वारा नामित।
- विशेषज्ञ आमंत्रण: यह बोर्ड भुगतान, सूचना प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा, कानून जैसे क्षेत्रकों से विशेषज्ञों को आमंत्रित कर सकता है।
- कार्यकाल: सरकार द्वारा नामित सदस्यों का कार्यकाल 4 वर्षों का होगा। उन्हें फिर से नामित नहीं किया जा सकता।
- बैठकें: प्रत्येक वर्ष कम-से-कम दो बार बैठक करना अनिवार्य है।
- कोरम (गणपूर्ति): न्यूनतम 3 सदस्य आवश्यक हैं, जिनमें अध्यक्ष या डिप्टी गवर्नर में से कोई एक होना जरूरी है।
- निर्णय प्रक्रिया: बहुमत से निर्णय लिए जाएंगे। यदि मत बराबर हों, तो अध्यक्ष को निर्णायक मत देने का अधिकार होगा।
- Tags :
- भारतीय रिजर्व बैंक
- भुगतान विनियामक बोर्ड
व्हाइट हिमालयन लिली और ट्री फर्न
उत्तराखंड वन विभाग की नवीनतम रिपोर्ट में 2,228 पादप प्रजातियों के संरक्षण को रेखांकित किया गया है, जिनमें व्हाइट हिमालयन लिली और ट्री फर्न भी शामिल हैं।
व्हाइट हिमालयन लिली (लिलियम पॉलीफिलम/ Lilium polyphyllum) के बारे में:
- यह दुर्लभ और सुगंधित लिली प्रजाति है। यह हिमालय क्षेत्र की मूल (नेटिव) प्रजाति है। इसके फूल आमतौर पर सफेद या गुलाबी रंग के होते हैं, जिन पर गहरे धब्बे और धारियां होती हैं।
- इसमें एल्कलॉइड्स और फ्यूरोकौमारिन्स जैसे सक्रिय रासायनिक घटक प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
- पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में इसका उपयोग हाइपरडिप्सिया (अत्यधिक प्यास लगना), हेमाटेमेसिस (खून की उल्टी), ब्रोंकाइटिस, गठिया आदि के उपचार में होता रहा है।
- IUCN रेड लिस्ट स्थिति: क्रिटिकली एंडेंजर्ड।
ट्री फर्न के बारे में:
- ये संवहनी पादप (vascular plants) होते हैं। इनमें बीज, फूल, फल या पौधों के सामान्य प्रजनन भाग नहीं होते।
- इनका औषधीय महत्त्व अधिक है। इनमें एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-अस्थमैटिक गुण मौजूद हैं।
- उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में ट्री फर्न की ऐसी कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जो पारिस्थितिकी एवं औषधीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
- Tags :
- व्हाइट हिमालयन लिली
- लिलियम पॉलीफिलम
- संवहनी पादप
सुप्रीम कोर्ट ने सभी CAPFs में कैडर समीक्षा का आदेश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) में 6 महीने के भीतर कैडर समीक्षा करने का आदेश दिया।
- CAPFs गृह मंत्रालय के अधीन सशस्त्र पुलिस संगठन हैं।
- CAPFs में असम राइफल्स, सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल आदि शामिल हैं।
संबंधित मुख्य तथ्य
- करियर में ठहराव को रोकने और कार्मिकों के मनोबल की रक्षा के लिए, को CAPFs में पदों को भरने का प्राथमिक तरीका पदोन्नति ही होना चाहिए।
- सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि CAPFs में वरिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड (SAG) तक के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति (deputation) दो वर्षों के भीतर उत्तरोत्तर कम की जानी चाहिए ।
- वर्तमान में, CAPFs में वरिष्ठ पदों पर बड़े पैमाने पर भारतीय पुलिस सेवा (IPS) से प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारी कार्यरत हैं। इससे बलों के भीतर कार्मिकों के लिए पदोन्नति के अवसर सीमित हो जाते हैं।
- Tags :
- कैडर समीक्षा
- CAPFs
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA)1967
UAPA अधिकरण ने मेघालय के हिनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (HNLC) को अगले पांच साल के लिए 'गैर-कानूनी संगठन' घोषित करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा है।
UAPA, 1967 के बारे में
- उद्देश्य: ऐसे व्यक्तियों और संगठनों की गैर-कानूनी गतिविधियों को रोकना, जो देश की एकता, अखंडता एवं संप्रभुता को खतरा पहुँचाते हैं। आतंकी गतिविधियों से निपटने। साथ ही, आतंकवादी गतिविधियों और उनसे जुड़े मामलों से निपटना।
- 2019 में इसमें संशोधन करके केवल दोषी संगठनों को ही नहीं, बल्कि व्यक्तियों को भी आतंकवादी घोषित करने का प्रावधान शामिल किया गया था।
- UAPA अधिकरण के बारे में
- केंद्र सरकार आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा अधिकरण का गठन कर सकती है।
- इसमें एक ही व्यक्ति शामिल होता है, जो हाई कोर्ट का न्यायाधीश होता है।
- केन्द्र सरकार आवश्यक स्टाफ उपलब्ध कराती है तथा सभी व्यय भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं।
- इसे सिविल प्रक्रिया संहिता (1908) के अंतर्गत सिविल कोर्ट की शक्तियां प्राप्त हैं।
- Tags :
- गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम
- HNLC
- सिविल प्रक्रिया संहिता
चरक और सुश्रुत
उपराष्ट्रपति ने गोवा के राजभवन में स्थापित चरक और सुश्रुत की मूर्तियों का अनावरण किया।
चरक के बारे में
- ये कुषाण साम्राज्य के शाही चिकित्सक थे और उन्हें चिकित्सा का जनक कहा जाता है।
- उन्होंने चरक संहिता की रचना की थी।
- इसमें आयुर्वेद पर आयोजित एक सम्मेलन की कार्यवाही दर्ज है, जो हिमालय की तराई में आयोजित किया गया था।
- इस सम्मेलन की अध्यक्षता वैद्य आत्रेय ने की थी।
- इसमें आंतरिक चिकित्सा पर ध्यान केंद्रित किया गया है। साथ ही, यह आयुर्वेद में स्वास्थ्य और रोगों के मौलिक सिद्धांतों एवं प्रबंधन पर विस्तार से प्रकाश भी डालता है।
सुश्रुत के बारे में
- इन्हें “प्लास्टिक सर्जरी का जनक” माना जाता है।
- इन्होंने सुश्रुत संहिता की रचना की थी।
- इसमें शल्य चिकित्सा (Surgery), शरीर रचना विज्ञान (Anatomy) जैसे विषयों का विस्तार से वर्णन है। इसमें मोतियाबिंद (Cataract), पुनर्निर्माण सर्जरी (Reconstructive Surgery) जैसे आधुनिक विषयों का भी उल्लेख है।
- Tags :
- चरक और सुश्रुत
- प्लास्टिक सर्जरी का जनक
- चरक संहिता