सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि मातृत्व अवकाश प्रजनन अधिकारों का अभिन्न हिस्सा है | Current Affairs | Vision IAS
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सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि मातृत्व अवकाश प्रजनन अधिकारों का अभिन्न हिस्सा है

Posted 24 May 2025

12 min read

सुप्रीम कोर्ट ने के. उमादेवी बनाम तमिलनाडु सरकार वाद में निर्णय दिया कि मातृत्व अवकाश  किसी महिला के प्रजनन अधिकारों का अनिवार्य हिस्सा है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से कामकाजी महिलाओं के संवैधानिक और मानवाधिकारों को बल मिला है।

  • शीर्ष न्यायालय ने मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक महिला को उसके तीसरे बच्चे के जन्म पर मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया गया था। मद्रास हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था कि राज्य की नीति केवल दो बच्चों के जन्म तक ही मातृत्व अवकाश का हितलाभ प्रदान करती है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के मुख्य बिंदु

  • प्रजनन अधिकार (Reproductive Right): मातृत्व अवकाश मातृत्व हितलाभ का एक अभिन्न अंग है और यह महिला के प्रजनन अधिकारों का मुख्य पहलू है।
  • संवैधानिक सुरक्षा: सुचिता श्रीवास्तव बनाम चंडीगढ़ प्रशासन मामले के अनुसार महिला की प्रजनन संबंधी विकल्पों की स्वतंत्रता को संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत उसकी “दैहिक स्वतंत्रता (Personal liberty)” के तहत संरक्षित किया गया है।
  • मानवाधिकार: प्रजनन अधिकारों को सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा-पत्र (UDHR) में मान्यता प्राप्त है। साथ ही प्रजनन अधिकारों में स्वास्थ्य, निजता, गरिमा और समानता के अधिकार भी शामिल हैं।
  • सामाजिक न्याय: मातृत्व अवकाश से संबंधित कानून महिलाओं की “माता” और “कामकाजी” के रूप में दोहरी भूमिका को समर्थन देकर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करता है, ताकि वे आत्मनिर्भर एवं गरिमापूर्ण जीवन जी सकें।
    • जनसंख्या नियंत्रण एक उचित नीतिगत उद्देश्य हो सकता है, लेकिन यह मूलभूत प्रजनन अधिकारों पर हावी नहीं हो सकता। न्याय, समानता और कल्याण के व्यापक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु दोनों में संतुलन आवश्यक है।

मातृत्व हितलाभ अधिनियम:

  • मातृत्व हितलाभ अधिनियम, 1961 महिलाओं को प्रसव से पहले और प्रसव के बाद निर्धारित अवधि के लिए सवेतन मातृत्व अवकाश और इससे संबंधित लाभ प्रदान करता है। इस कानून में 2017 में संशोधन किया गया था। 
  • किन पर लागू है: कारखाना, खदान, बागान, सरकारी प्रतिष्ठान, दुकान और वे सभी कार्यस्थल जहां 10 या अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।
    • कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 के अंतर्गत आने वाली महिलाएं भी मातृत्व हितलाभ की पात्र हैं।
  • मातृत्व अवकाश: जिन महिलाओं की दो से कम जीवित संतान हैं, उन्हें 26 सप्ताह का सवेतन मातृत्व अवकाश मिलता है। जिनके दो या अधिक संतान हैं, उन्हें 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश प्रदान किया जाता है।
  • Tags :
  • मातृत्व अवकाश
  • प्रजनन अधिकार
  • दैहिक स्वतंत्रता
  • UDHR
  • मातृत्व हितलाभ अधिनियम, 1961
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