‘विप्रेषणों के अंतरण पर उत्पाद शुल्क' नामक यह नया प्रस्तावित प्रावधान 1 जनवरी, 2026 से लागू होगा।
विप्रेषण (Remittance) के बारे में
- परिभाषा: किसी अन्य देश में काम करने वाले लोगों द्वारा अपने गृह देश में धन के अंतरण को विप्रेषण के रूप में जाना जाता है।
- 2023 में, प्रवासी कामगारों द्वारा अपने गृह देशों को भेजी गई कुल विप्रेषण राशि लगभग 656 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी।
- 2024 में भारत को कुल वैश्विक विप्रेषण का 14.3% हिस्सा प्राप्त हुआ था। यह अब तक भारत द्वारा प्राप्त की गई सबसे अधिक हिस्सेदारी है।
विधेयक के मुख्य प्रावधानों पर एक नजर
- विप्रेषण कर (उत्पाद शुल्क) केवल गैर-अमेरिकी नागरिकों पर लागू होगा, जबकि अमेरिकी नागरिकों को इससे छूट दी गई है।
- इससे प्रभावित समूहों में वीज़ा धारक (H-1B व F-1), ग्रीन कार्ड धारक आदि शामिल हैं।
- इस विधेयक में विप्रेषण के बहिर्गमन पर लगने वाले कर को 5% से घटाकर 3.5% करने का प्रावधान किया गया है।
विप्रेषण के अंतरण पर उत्पाद शुल्क का प्रभाव
- वैश्विक आर्थिक प्रभाव: अल-सल्वाडोर, मैक्सिको, भारत जैसे देश जो अमेरिकी विप्रेषण से सबसे अधिक लाभ प्राप्त करते हैं को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
- यह विधेयक विदेशी कामगारों को अमेरिका में संपत्ति या रोजगार बनाए रखने से भी हतोत्साहित कर सकता है।
- भारत में विप्रेषण के अंतर्वाह में कमी: संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के लिए विप्रेषण का सबसे बड़ा स्रोत है। इसने 2023-24 में कुल विप्रेषण प्रवाह में 32.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान किया था।
- विप्रेषण कर लगने से अमेरिका में भारतीयों द्वारा कुछ धन को ग्रे या ब्लैक मार्केट में अंतरित किया जा सकता है, ताकि इस नए प्रावधान से बचा जा सके।
संबंधित सुर्ख़ियां {उदारीकृत विप्रेषण योजना (LRS)}RBI के अनुसार वित्त वर्ष 2025 में उदारीकृत विप्रेषण योजना (LRS) के तहत छात्र विप्रेषण पांच साल के निचले स्तर (2.92 बिलियन अमेरिकी डॉलर) पर आ गया है। यह छात्र बहिर्वाह में कमी का संकेत देता है। उदारीकृत विप्रेषण योजना (LRS) के बारे में
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