यह रैंकिंग वर्ल्ड कोऑपरेटिव मॉनिटर 2025 में दी गई है। इसे इंटरनेशनल कोऑपरेटिव अलायंस (ICA) जारी करता है।
भारत में सहकारी संस्थाएं
- परिभाषा: यह व्यक्तियों का एक स्वायत्त संघ है। इसके सदस्य अपनी साझा आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वेच्छा से एकजुट होते हैं तथा संयुक्त स्वामित्व के तहत एवं लोकतांत्रिक तरीके से कार्य करते हैं।

- उत्पत्ति: इसकी शुरुआत सहकारी ऋण समितियां अधिनियम, 1904 के द्वारा हुई है।
- संवैधानिक मान्यता: 'सहकारी समितियां' सातवीं अनुसूची के तहत राज्य सूची का विषय है।
- 97वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2011 के जरिए नागरिकों को सहकारी समितियां बनाने का मूल अधिकार प्रदान किया गया है। इसके अलावा, इन्हें राज्य की नीति के निदेशक तत्व में अनुच्छेद 43B के अंतर्गत शामिल किया गया है।
- कानूनी फ्रेमवर्क: एक से अधिक राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यरत सहकारी समितियां बहु-राज्य सहकारी समितियां अधिनियम, 2002 द्वारा शासित होती हैं।
- इस अधिनियम को 2023 में संशोधित किया गया था।
- यद्यपि, एक ही राज्य में कार्य करने वाली सहकारी समितियां संबंधित राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश के अधिनियमों द्वारा शासित होती हैं।
- स्थिति: भारत में दुनिया की एक-चौथाई से अधिक यानी 8.44 लाख से अधिक सहकारी समितियां कार्यरत हैं।
- सहकारी समितियों के मामले में शीर्ष राज्य: महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, और कर्नाटक।
भारत में सहकारी समितियों को मजबूत करने के लिए संचालित पहलें
- 1963 में राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) की स्थापना।
- 1982 में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD/ नाबार्ड) का गठन।
- 2021 में केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय की स्थापना।
- राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025.
गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड या अमूल (AMUL) (मुख्यालय: आणंद, गुजरात)
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