हालांकि भारत में भीषण रेल दुर्घटनाओं की संख्या 2014-15 की 135 से कम होकर 2024-25 में 31 रह गई, फिर भी कई कारणों जैसे रेलगाड़ियों के पटरी से उतरने, टक्कर होने जैसी दुर्घटनाएं होती रहती हैं।
- भीषण रेल दुर्घटनाएं वे होती हैं, जिनके गंभीर परिणाम होते हैं। इनमें गंभीर रूप से घायल होना, जान-माल की हानि, रेल यातायात में व्यवधान और रेलवे संपत्ति को नुकसान शामिल हैं।
भारत में रेल दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण
- पटरी से उतरना: ट्रैक में खामियां और खराब रख-रखाव (बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस रेल दुर्घटना 2022)।
- सिग्नलिंग संबंधी त्रुटियां: उदाहरण के लिए- कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना (2024)।
- परिचालन संबंधी गलतियां: रेलवे कर्मी द्वारा दोषपूर्ण सिग्नलिंग और स्विचिंग त्रुटियां (ओडिशा में कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटना, 2023)।
- अन्य: लेवल-क्रॉसिंग की घटनाएं, मौसम संबंधी कारक, लोको पायलट की थकान सहित मानवीय त्रुटियां, आगजनी संबंधी दुर्घटनाएं आदि।
रेलवे सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम
- राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (RRSK): इसे महत्वपूर्ण सुरक्षा परिसंपत्तियों को बदलने/ नवीनीकृत करने/ उन्नयन करने के लिए 2017-18 में शुरू किया गया था।
- रेलवे सुरक्षा आयोग: यह आयोग नागर विमानन मंत्रालय के अधीन है। यह मुख्य रूप से निरीक्षण, जांच और सलाह संबंधी कार्यों को संपन्न करता है। साथ ही, रेल यात्रा और ट्रेन परिचालन की सुरक्षा से संबंधित मामलों को भी देखता है।
- इलेक्ट्रिक/ इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणालियां: इसमें मानवीय चूक के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने के लिए पॉइंट्स और सिग्नलों का केंद्रीकृत संचालन शामिल है।
- कवच (KAVACH): यह अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन (RDSO) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली है।
- अन्य: GPS आधारित कोहरा सुरक्षा उपकरण (FSD); अल्ट्रासोनिक दोष पहचान (USFD), आदि।
स्पष्ट है कि रेलवे ने अपनी सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रौद्योगिकियों को अपनाने में अच्छी प्रगति की है। फिर भी, मानवीय त्रुटियों से बचने के लिए मानव कौशल विकास और प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ इन प्रौद्योगिकियों में सामंजस्य स्थापित करने की भी आवश्यकता है।