यह रिपोर्ट शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल संबंधी विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति (DRPSC) ने प्रस्तुत की है। इस रिपोर्ट में उच्चतर शिक्षा विभाग के अंतर्गत स्वायत्त निकायों की समीक्षा की गई है।
- स्वायत्त निकायों की स्थापना या तो संसद के एक विशिष्ट अधिनियम के माध्यम से की जाती है, या फिर सोसायटीज़ पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत समितियों के रूप में की जाती है।
स्वायत्त निकायों जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे
- राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA): पेपर लीक मामला (जैसे- NEET-UG), परीक्षाओं को स्थगित करना (जैसे- CUET), परीक्षा परिणामों की घोषणा में देरी, बाहरी एजेंसियों की सेवा लेना (वेंडर प्रबंधन) आदि।
- राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC): प्रत्यायन (accreditation) की लंबी और नौकरशाही वाली प्रक्रिया, भ्रष्टाचार के आरोप आदि।
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC): अध्यक्ष का पद रिक्त होना, मसौदा यूजीसी विनियम, 2025 को अंतिम रूप देने में देरी, अवसंरचना की कमी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) संकाय (faculty) भर्ती।
- भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (ICHR): ICHR के लिए वर्तमान बजट अपर्याप्त रहता है।
- भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR): सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का लागू न होना, कर्मचारियों की कमी आदि।
रिपोर्ट के अनुसार सिफारिशें
- NTA: परीक्षा की व्यवस्था, प्रशासन और सुधार में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए; परीक्षा का समय पर आयोजन करना चाहिए; पेन एंड पेपर मोड यानी ऑफलाइन परीक्षा पद्धति को अपनाना चाहिए आदि।
- NAAC: उच्चतर शिक्षा संस्थाओं (HEIs) के लिए प्रत्यायन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना चाहिए; आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों की संस्थाओं के लिए प्रत्यायन में लचीलापन लाना चाहिए आदि।
- UGC: अति शीघ्र नए अध्यक्ष की नियुक्ति करनी चाहिए; मसौदा विनियमों को अंतिम रूप देना चाहिए (जिसमें जाति-आधारित उत्पीड़न, दिव्यांगता आदि को शामिल किया जाए) आदि।
- ICHR: परिषद के लिए बजट बढ़ाना चाहिए, अवसंरचना का उन्नयन करना चाहिए आदि।
- ICSSR: वेतन समानता सुनिश्चित करनी चाहिए; पर्याप्त कर्मचारियों की नियुक्ति करनी चाहिए आदि।