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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party of India: CPI)

04 Feb 2025
26 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

वर्ष 2025 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) का 100वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है।  

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बारे में 

  • पृष्ठभूमि:
    • भारत के बाहर CPI का गठन (1920): वर्ष 1920 में ताशकंद में सात लोगों के एक समूह ने बैठक की थी। इसमें एम. एन. रॉयमोहम्मद अली, मोहम्मद शफीक जैसे प्रमुख नेता भी शामिल थे। इस बैठक में उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का गठन करने का निर्णय लिया था।
  • ताशकंद, सोवियत संघ के तत्कालीन तुर्किस्तान गणराज्य की राजधानी था। 
  • CPI के गठन के लिए जिम्मेदार कारण: 
    • असहयोग आंदोलन की अचानक वापसी के कारण हुई पैदा हुई निराशा और असंतोष;
    • 1917 की अक्टूबर क्रांति से मिली प्रेरणा, जिसने रूस में दुनिया के पहले श्रमिक शासन (साम्यवादी सरकार) की स्थापना की थी आदि।
  • भारत में CPI का गठन: दिसंबर 1925 में 'कानपुर कम्युनिस्ट सम्मेलन' के दौरान CPI के गठन की घोषणा करने वाला एक संकल्प अपनाया गया था। इस संगठन के तहत ब्रिटिश भारत में सक्रिय अलग-अलग कम्युनिस्ट समूहों को एकजुट किया गया था।
    • प्रथम अध्यक्ष: मलयपुरम सिंगारवेलु चेट्टियार। 
      • मई 1923 में, उनके नेतृत्व में भारत में पहला मई दिवस मनाया गया था।
    • प्रथम महासचिव: एस. वी. घाटे और जे. पी. बगरहट्टा। 
    • पार्टी के संस्थापक सदस्य: सत्यभक्त, एम .एन. रॉय, ई. टी. रॉय, अबनी मुखर्जी, मोहम्मद अली, हसरत मोहानी आदि।
  • प्रमुख नेता: एम. एन. रॉय, एवलिन ट्रेंट-रॉय (एम. एन. रॉय की पत्नी), अबनी मुखर्जी, रोजा फ़िटिंगोव, मोहम्मद अली, मोहम्मद शफीक, ए. के. गोपालन, एस. ए. डांगे, ई. एम. एस. नंबूदरीपाद, पी. सी. जोशी, अजय घोष, पी. सुंदरराय आदि।
  • विचारधारा: वे मार्क्सवादी और लेनिनवादी विचारधाराओं को मानते थे।
    • मार्क्सवाद-लेनिनवाद एक राजनीतिक विचारधारा और शासन प्रणाली है, जो कार्ल मार्क्स तथा व्लादिमीर लेनिन के विचारों पर आधारित है।
    • यह मार्क्सवादी समाजवाद को लेनिनवादी वैंगार्डिज्म के साथ जोड़ता है। इसमें कम्युनिस्ट पार्टी की भूमिका पर जोर दिया गया है, जो एक क्रांति का नेतृत्व करती है, ताकि एक समाजवादी राज्य की स्थापना हो सके और अंततः एक साम्यवादी समाज स्थापित हो सके।
  • CPI द्वारा समर्थित प्रकाशन: गणवाणी (बंगाली साप्ताहिक), मेहनतकश (लाहौर से प्रकाशित उर्दू साप्ताहिक) और क्रांति (बॉम्बे से प्रकाशित मराठी साप्ताहिक)।
  • CPI के प्रमुख लक्ष्य: बैंकों का राष्ट्रीयकरण, श्रमिकों और किसानों के अधिकार, भूमि सुधार, जमींदारी उन्मूलन, समाजवादी राज्य की स्थापना आदि।
  • CPI के इतिहास की प्रमुख घटनाएं:
    • प्रतिबंध: ब्रिटिश सरकार ने जुलाई 1934 में CPI को गैर-कानूनी घोषित कर दिया था। 1942 में प्रतिबंध हटा लिया गया था।
    • विभाजन: 1964 में सोवियत संघ और चीन के बीच वैचारिक मतभेदों के कारण CPI का विभाजन हुआ था। एक गुट CPI (सोवियत समर्थक गुट) और दूसरा CPI (मार्क्सवादी) (चीन समर्थक गुट)

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में CPI की भूमिका

  • जनता को लामबंद करना: CPI ने अलग-अलग संगठनों के माध्यम से समाज के सभी वर्गों को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल किया था। 1920 में अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC), 1936 में अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन तथा महिला संगठनों के जरिए CPI ने जनता को एकजुट किया था तथा स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भागीदारी बढ़ाई थी।
    • असहयोग, सविनय अवज्ञा जैसे भारतीय राष्ट्रीय आंदोलनों में महिलाओं, किसानों, श्रमिकों एवं मध्यम वर्ग की बड़ी भागीदारी देखी गई थी।
  • सामाजिक सुधार: CPI ने दलितों के अधिकारों, हिंदू और मुस्लिमों के बीच एकता तथा औपनिवेशिक दमन के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र (संगठित देश) के गठन का समर्थन करके सामाजिक सुधारों में सक्रिय रूप से भाग लिया था।
    • केरल: ए. के. गोपालन और पी. कृष्ण पिल्लई जैसे CPI के नेताओं ने गुरुवायुर में मंदिर में अस्पृश्यों के प्रवेश की मांग के लिए सत्याग्रह का नेतृत्व किया था।
    • महाराष्ट्र: मार्च 1927 में आर. बी. मोरे के नेतृत्व में CPI कार्यकर्ताओं ने महाड़ में अम्बेडकर के नेतृत्व में चवदार तालाब सत्याग्रह का आयोजन किया था।
  • पूर्ण स्वतंत्रता की मांग: CPI ने ही सर्वप्रथम 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन में तथा फिर 1922 में गया अधिवेशन में पूर्ण स्वतंत्रता की मांग करते हुए एक खुले पत्र के रूप में घोषणा-पत्र  (मेनिफेस्टो) भेजा था।
    • बाद में इस विषय पर एक संकल्प को 1929 में लाहौर के कांग्रेस अधिवेशन में अपनाया गया था।
  • वैचारिक प्रभाव: ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन और ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव राइटर्स एसोसिएशन जैसे संगठनों के माध्यम से कम्युनिस्टों ने क्रांतिकारी गतिविधियों के जरिए ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने के विचार का प्रचार किया था।
    • ब्रिटिश सरकार कम्युनिस्टों के बढ़ते प्रभाव और लोकप्रियता से बहुत चिंतित थी और इसी कारण उन्होंने मेरठ षडयंत्र केस, 1929 में कम्युनिस्ट नेताओं को निशाना बनाकर गिरफ्तार किया।
  • संघर्षों का समर्थन: CPI और इसके नेताओं ने भारत में कई प्रमुख किसान और श्रमिक संघर्षों का समर्थन किया था। (इन्फोग्राफिक देखिए)
  • संविधान निर्माण में CPI की भूमिका: 
    • संविधान का विचार: 1934 में एम. एन. रॉय ने ही औपचारिक रूप से संविधान का विचार प्रस्तुत किया था। इसी तरह, CPI ने भी संविधान सभा के विचार को सामने रखा था।
    • संविधान के आदर्श: CPI ने संविधान में शामिल पंथनिरपेक्षता, न्याय, समता, सार्वभौमिक मताधिकार, अल्पसंख्यक अधिकार, भूमि सुधार जैसे आदर्शों का समर्थन किया था।
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