सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में भारत के प्रधान मंत्री ने कुवैत की यात्रा की। यह 43 वर्षों में किसी भारतीय प्रधान मंत्री की पहली यात्रा थी।
यात्रा के मुख्य परिणाम
- पुरस्कार वितरण: भारतीय प्रधान मंत्री को कुवैत के सर्वोच्च पुरस्कार 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से सम्मानित किया गया।
- रणनीतिक साझेदारी: भारत और कुवैत ने अपने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने का निर्णय लिया।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA): भारत ने सतत ऊर्जा सहयोग के लिए कुवैत के ISA में शामिल होने के फैसले का स्वागत किया।
- एशियन कोऑपरेशन डायलॉग (ACD): क्षेत्रीय सहयोग में ACD के महत्त्व पर बल दिया गया।
- गौरतलब है कि ACD का उद्घाटन 2001 में एशिया की सामूहिक शक्तियों का लाभ उठाने के उद्देश्य से किया गया था। इसमें 35 देश शामिल हैं। भारत इसका संस्थापक सदस्य है।
- भारत-GCC सहयोग: कुवैत ने भारत और GCC (खाड़ी सहयोग परिषद) के सदस्य देशों के बीच मजबूत संबंधों का समर्थन करने की बात कही। वर्तमान में GCC की अध्यक्षता कुवैत के पास है।
- रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर: सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों में प्रशिक्षण, कर्मियों एवं विशेषज्ञों का आदान-प्रदान, संयुक्त अभ्यास, रक्षा उद्योग में सहयोग, रक्षा उपकरणों की आपूर्ति आदि शामिल हैं।
- अन्य विकास
- नवीनीकृत सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (2025-2029) पर हस्ताक्षर किए गए। यह कार्यक्रम कला, साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देगा।
- भारत ने आतंकवाद से निपटने और सीमा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए चौथे दुशांबे प्रक्रिया चरण की मेजबानी के लिए कुवैत की सराहना की।

भारत-कुवैत संबंधों में भारत का हित
- कुवैत की सामरिक अवस्थिति और भारत के हित: क्षेत्र में महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को सुरक्षित करने में दोनों देशों की आपसी रुचि है। इनमें लाल सागर, अदन की खाड़ी, ओमान की खाड़ी और अरब सागर के समुद्री मार्ग शामिल हैं, जो विश्व के सबसे व्यस्ततम समुद्री मार्गों में से हैं।
- इसके अलावा, कुवैत की सामरिक अवस्थिति भारत की कनेक्टिविटी परियोजनाओं, जैसे कि भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEEC) को बढ़ावा देगी।
- कुवैत की पेट्रोलियम आधारित अर्थव्यवस्था भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है: कुवैत के पास विश्व के 6% तेल भंडार और पर्याप्त प्राकृतिक गैस भंडार हैं। कुवैत को तेल से जो राजस्व प्राप्त होता है, वह उसकी कुल आय का 94% है।
- कुवैत भारत की कुल ऊर्जा आवश्यकताओं का 3.5% तक पूरा करता है। साथ ही, उसने भारत के रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व कार्यक्रम में भी रुचि दिखाई है।
- इसके अलावा, पेट्रोकेमिकल क्षेत्रक सहयोग के लिए एक और आशाजनक अवसर प्रस्तुत करता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि भारत का तेजी से बढ़ता पेट्रोकेमिकल उद्योग 2025 तक 300 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
- भारत एक प्रमुख निवेश गंतव्य है: कुवैत इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (KIA) दुनिया के सबसे बड़े सॉवरेन वेल्थ फंड (लगभग 1 बिलियन डॉलर) में से एक का प्रबंधन करती है। यह फंड नॉर्वे, चीन और संयुक्त अरब अमीरात के फंड के बाद चौथा सबसे बड़ा फंड है।
- GCC के साथ संबंधों को सुदृढ़ करने में भारत की रुचि (बॉक्स देखें): कुवैत वर्तमान में खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) की अध्यक्षता कर रहा है।
- भारत और कुवैत के भू-राजनीतिक हित: भारत और कुवैत के बीच बढ़ते राजनीतिक संबंध (जो भारत के विस्तारित पड़ोस का हिस्सा है), तेल व्यापार से आगे बढ़ते हुए, विकसित होते भारत-खाड़ी संबंधों को दर्शाते हैं।
- यह रणनीतिक नई दिशा भारत को खाड़ी क्षेत्र में एक समग्र सुरक्षा प्रदाता के रूप में अपने भू-राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाने के अवसर प्रदान करती है।
भारत-कुवैत संबंधों में चिंतनीय मुद्दे
- प्रवासी कल्याण और श्रम से संबंधित मुद्दे: कुवैत में भारत का बड़ा प्रवासी समुदाय श्रम अधिकारों के उल्लंघन और दुर्व्यवहार जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है। 2024 में मंगाफ़ में लगी आग में 40 भारतीयों की मौत हो गई थी, जो काम करने की खराब परिस्थितियों को उजागर करता है।
- सीमित आर्थिक विविधता: ऊर्जा क्षेत्रक व्यापारिक संबंधों का मुख्य आधार है, लेकिन अन्य क्षेत्रकों में दोनों देशों की आर्थिक भागीदारी सीमित है। इसके अलावा, भारत का कुवैत के साथ व्यापार घाटा भी है।
- खाड़ी में भू-राजनीतिक तनाव: खाड़ी युद्ध और यमन एवं सीरिया में चल रहे तनाव जैसे क्षेत्रीय संकटों के दौरान कुवैत का राजनयिक रुख कभी-कभी भारत की गैर-हस्तक्षेपवादी नीति से भिन्न हो सकता है।
भारत और खाड़ी सहयोग परिषद (GCC)
भारत और GCC संबंध
भारत-GCC संबंधों में चुनौतियां
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निष्कर्ष
भारत की हालिया कुवैत यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। आगे बढ़ते हुए, नवीनीकृत द्विपक्षीय निवेश संवर्धन समझौते को शीघ्र अंतिम रूप देने, नवीकरणीय ऊर्जा में प्रगति और भर्ती एजेंटों की सख्त निगरानी को प्राथमिकता देना आवश्यक है।