यूनाइटेड किंगडम CPTPP में शामिल हुआ (UK JOINS CPTPP)
CPTPP इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक व्यापार समूह है। यूनाइटेड किंगडम (UK) इस व्यापार समूह में शामिल होने वाला पहला यूरोपीय देश बन गया है।
- गौरतलब है कि 2023 में CPTPP के पक्षकारों और यूनाइटेड किंगडम के बीच सदस्यता प्राप्ति प्रोटोकॉल यानी एक्सेशन प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए थे। इससे CPTPP में यूनाइटेड किंगडम के शामिल होने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी।
CPTPP के बारे में
- उत्पत्ति: यह प्रशांत क्षेत्र का एक मुक्त व्यापार समझौता है। इस पर मार्च, 2018 में चिली के सैंटियागो में मूल रूप से 11 देशों ने हस्ताक्षर किए थे। उस समय इसे ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (TPP) का नाम दिया गया था। वर्ष 2017 में संयुक्त राज्य अमेरिका TPP से अलग हो गया।

- बाद में शेष बचे सदस्य देशों ने एक अलग CPTPP पर समझौता किया और इसमें TPP के प्रावधानों को शामिल किया गया। इसके बाद 30 दिसंबर, 2018 को CPTPP लागू हुआ।
- सदस्य: यूनाइटेड किंगडम को मिलाकर इसमें कुल 12 सदस्य देश शामिल हैं। इसके अन्य सदस्य हैं- ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान, न्यूजीलैंड, ब्रुनेई, चिली, मलेशिया, मैक्सिको, पेरू, सिंगापुर और वियतनाम।
- महत्त्व: इसके सदस्य देशों का कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वैश्विक GDP का लगभग 15% है। यह ट्रेड ब्लॉक अपने सदस्य देशों के उत्पादों को 500 मिलियन से अधिक लोगों वाले विशाल बाजार तक पहुंच प्रदान करता है।
भारत के लिए CPTPP जैसे बहुपक्षीय व्यापार समूहों का महत्त्व
- हाल ही में, नीति आयोग के CEO ने भारत को CPTPP और क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) जैसे व्यापार समूहों में शामिल होने का समर्थन किया है। इसके लिए उन्होंने निम्नलिखित तर्क दिए हैं:
- आर्थिक अवसर: ये व्यापार समूह भारत को नए बाजारों में प्रवेश का अवसर प्रदान करते हैं। इसके अलावा, ये “चाइना प्लस वन” रणनीति से लाभ उठाने में भी मदद कर सकते हैं।
- निर्यात के लिए विशाल बाजार: ये व्यापार समूह अपने सदस्य देशों के आयात पर कम टैरिफ लगाते हैं। इससे भारतीय उत्पादों को भी कम टैरिफ पर एशिया-प्रशांत क्षेत्र के विस्तृत बाजार में प्रवेश का अवसर मिल जाएगा। इससे भारतीय निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
- इसका सबसे अधिक लाभ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्रक को मिलेगा, क्योंकि भारत के निर्यात में इनकी हिस्सेदारी लगभग’ 40% है।
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- चाइना प्लस वन
नेपाल और चीन ने BRI सहयोग फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर किए (NEPAL AND CHINA SIGNED BRI COOPERATION FRAMEWORK)
इस फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर से नेपाल में BRI परियोजनाओं के क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त होने की संभावना है। गौरतलब है कि नेपाल 2017 में BRI में शामिल हो गया था।
- साथ ही, दोनों देशों ने ट्रांस-हिमालयन कनेक्टिविटी नेटवर्क (THMDCN) विकसित करने और सड़क, रेलवे, एविएशन एवं पावर ग्रिड संबंधी अवसंरचना में सुधार के लिए भी प्रतिबद्धता प्रकट की।
- ज्ञातव्य है कि पाकिस्तान और श्रीलंका भी BRI में शामिल हैं।
बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के बारे में
- उत्पत्ति: इसे 2013 में 'वन बेल्ट वन रोड' के रूप में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य भूमि और समुद्री नेटवर्क के माध्यम से एशिया को अफ्रीका व यूरोप से जोड़ना है।
- उद्देश्य: क्षेत्रीय एकीकरण में सुधार करना, व्यापार बढ़ाना और आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहित करना।
- इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट: यह एक अंतर-महाद्वीपीय मार्ग है।
- समुद्री रेशम मार्ग: यह एक समुद्री मार्ग है।
BRI को लेकर भारत की प्रमुख चिंताएं

- सुरक्षा संबंधी खतरे: नेपाल भारत के साथ लगभग 1700 किमी की एक लंबी भूमि सीमा साझा करता है। भारत और चीन के मध्य नेपाल एक बफर जोन के रूप में स्थित है। चीन की अवसंरचना परियोजनाएं संघर्ष की स्थिति में भारतीय सीमावर्ती क्षेत्रों को और अधिक असुरक्षित बना देंगी।
- उदाहरण के लिए- पोखरा में चीन द्वारा वित्त-पोषित हवाई अड्डा, भारतीय सीमा के निकट है।
- क्षेत्रीय प्रभाव: चीन के आर्थिक प्रभाव से नेपाल चीन के साथ राजनीतिक रूप से जुड़ सकता है। इससे भारत का क्षेत्रीय प्रभाव कमजोर हो सकता है।
- "स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स" रणनीति: यह चीन की रणनीति का एक हिस्सा माना जाता है। इसका उद्देश्य चीन-समर्थक देशों से भारत को घेरना है।
- ऋण जाल कूटनीति (Debt Trap Diplomacy): चीन, नेपाल पर ऋण जाल का उपयोग करके प्रभाव डाल सकता है।
- अन्य:
- भारत वर्तमान में नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और भारत सीमा-पार ऊर्जा व्यापार में भी निवेश कर रहा है। चीन का बढ़ता प्रभाव इन व्यापारिक संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है।
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फेवा डायलॉग (PHEWA DIALOGUE)
हाल ही में नेपाल और चीन ने "फेवा डायलॉग" सीरीज शुरू की।
फेवा डायलॉग के बारे में
- इस डायलॉग या संवाद का नाम नेपाल की प्रसिद्ध फेवा झील के नाम पर रखा गया है।
- यह नेपाल की सबसे बड़ी झीलों में से एक है। यह पोखरा घाटी में स्थित है।
- यह दक्षिण एशिया क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण पर नेपाल का पहला आधिकारिक थिंक टैंक फोरम है।
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- फेवा डायलॉग
- पोखरा घाटी
भारतीय रासायनिक परिषद OPCW-द हेग पुरस्कार से सम्मानित (INDIAN CHEMICAL COUNCIL WINS OPCW-THE HAGUE AWARD)
OPCW द हेग पुरस्कार 2024, भारतीय रासायनिक परिषद (ICC) को प्रदान किया गया।
- रासायनिक हथियार निषेध संगठन (OPCW) का प्रतिष्ठित द हेग पुरस्कार भारतीय रासायनिक परिषद को केमिकल सेफ्टी को बढ़ावा देने और रासायनिक हथियार कन्वेंशन (CWC) के सख्त पालन के लिए प्रदान किया गया है।

- यह पहली बार है कि रासायनिक उद्योग से संबंधित किसी संस्था को उसके द्वारा किए जाने वाले प्रयासों के लिए यह पुरस्कार दिया गया है।
- 2014 में रासायनिक हथियार निषेध संगठन द्वारा CWC के लक्ष्यों को प्राप्त करने में किए गए उल्लेखनीय कार्यों को सम्मानित करने के लिए द हेग पुरस्कार की स्थापना की गई थी।
- भारत में कार्यान्वयन: नेशनल अथॉरिटी केमिकल वेपन्स कन्वेंशन (NACWC) भारत में CWC के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार राष्ट्रीय प्राधिकरण है।
- NACWC की स्थापना रासायनिक हथियार कन्वेंशन अधिनियम, 2000 के तहत की गई थी।

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यूनाइटेड नेशंस डिसएंगेजमेंट ऑब्जर्वर फोर्स (UNITED NATIONS DISENGAGEMENT OBSERVER FORCE: UNDOF)
हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने ब्रिगेडियर अमिताभ झा को श्रद्धांजलि अर्पित की। अमिताभ झा यूनाइटेड नेशंस डिसएंगेजमेंट ऑब्जर्वर फोर्स के तहत गोलन हाइट्स पर तैनात थे।
UNDOF के बारे में
- मुख्यालय: कैंप फौआर (सीरिया के हिस्से वाला गोलन हाइट्स)।
- इसे इजरायल और सीरिया के बीच 1974 के डिसएंगेजमेंट ऑफ फोर्सेज एग्रीमेंट के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के संकल्प 350 (1974) द्वारा स्थापित किया गया था।
- सौंपे गए कार्य: गोलन हाइट्स में एरिया ऑफ सेपरेशन (डिमिलिटराइज्ड बफर ज़ोन) और एरिया ऑफ लिमिटेशन (इजरायली एवं सीरियाई सैनिकों के लिए निर्धारित सीमाएं) की निगरानी करना तथा युद्ध विराम को बनाए रखना।
- हर 6 महीने में इन कार्यों का नवीनीकरण किया जाता है। वर्तमान में इसे जून, 2025 तक नवीनीकृत किया गया है।
- भारत, UNDOF में तीसरा सबसे बड़ा सैन्य योगदानकर्ता है।
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- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
- गोलन हाइट्स
“क्रॉसरोड्स ऑफ पीस” पहल (“CROSSROADS OF PEACE” INITIATIVE)
हाल ही में भारत-ईरान-आर्मेनिया के बीच त्रिपक्षीय परामर्श वार्ता संपन्न हुई।
- इस वार्ता के दौरान आर्मेनिया के प्रतिनिधियों ने अपनी कनेक्टिविटी पहल, “क्रॉसरोड्स ऑफ पीस” के बारे में जानकारी दी।
“क्रॉसरोड्स ऑफ पीस” पहल के बारे में
- यह एक महत्वाकांक्षी क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना है। इसका उद्देश्य आर्मेनिया को उसके पड़ोसी देशों से अलग-अलग कनेक्टिविटी नेटवर्क से जोड़ना है।
- आर्मेनिया के पड़ोसी देश हैं- तुर्की, अजरबैजान, ईरान और जॉर्जिया।
- उद्देश्य: इन देशों के बीच सड़क, रेलवे, पाइपलाइन, केबल और बिजली लाइन जैसी महत्वपूर्ण अवसंरचनाओं का विकास और उनमें सुधार करना है। इससे इन देशों के बीच वस्तुओं, ऊर्जा और यात्रियों की सुविधाजनक आवाजाही सुनिश्चित हो सकेगी।
- इस पहल का उद्देश्य कैस्पियन सागर को भूमध्य सागर से और फारस की खाड़ी को काला सागर से आसान और अधिक दक्ष परिवहन लिंक के माध्यम से जोड़ना है।
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केर्च जलडमरूमध्य या केर्च स्ट्रेट (KERCH STRAIT)
हाल ही में, तूफान की वजह एक रूसी टैंकर टूट गया। इससे केर्च स्ट्रेट जलमार्ग में तेल का रिसाव हो गया।
- दो भूखंडों के बीच के संकरे जलमार्ग को स्ट्रेट यानी जलडमरूमध्य कहा जाता है। इस तरह का जलमार्ग दो बड़े जल निकायों, जैसे कि दो सागरों को जोड़ता है।

केर्च स्ट्रेट के बारे में
- अवस्थिति: यह क्रीमिया प्रायद्वीप के पूर्वी भाग में स्थित है। यह काला सागर और आज़ोव सागर को जोड़ता है।
- महत्त्व: इसी जलडमरूमध्य के माध्यम से रूस में उत्पादित अनाज, कच्चे तेल, ईंधन, LNG आदि का मुख्य रूप से निर्यात होता है।
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- केर्च स्ट्रेट