शांति के पहलू (ASPECTS OF PEACE) | Current Affairs | Vision IAS
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शांति के पहलू (ASPECTS OF PEACE)

Posted 04 Feb 2025

Updated 11 Feb 2025

40 min read

परिचय 

हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र सभ्यता गठबंधन के 10वें वैश्विक फोरम (10th Global Forum of UN Alliance for Civilizations) में वैश्विक नेताओं ने कैस्केस घोषणा-पत्र को अपनाया है। इसमें उन्होंने मौजूदा अशांत वातावरण में शांति को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जताई है। इस घोषणा-पत्र में अंतर-पीढ़ीगत संवाद के महत्व पर जोर दिया गया है, ताकि शांति, सतत विकास और मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इससे पहले, यूनेस्को HK एसोसिएशन की 2012 की शांति परियोजना ने शांति के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत किया था। इसमें शांति को व्यक्तियों और जीवन के सभी पहलुओं में सौहार्द के रूप में परिभाषित किया गया था।

शांति के विभिन्न पहलू

पहलू

अवधारणा

चुनौतियां

व्यक्तिगत/ आंतरिक शांति

  • यह अवधारणा लोगों को जीवन से जुड़ी चुनौतियों का सामना करने, तनाव को कम करने और समाज में सकारात्मक योगदान देने में मदद कर सकती है।
  • कार्य-जीवन असंतुलन, आर्थिक अस्थिरता के कारण मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं। 
  • भौतिकवाद और उपभोक्तावाद का बढ़ता प्रभाव। 

 

सामाजिक शांति

  • समाज में सहयोग, संघर्ष समाधान, समानता और न्याय के जरिए शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देती है। 
  • भेदभाव और बहिष्करण से असंतोष और हिंसा बढ़ती है। 
  • भ्रामक सूचनाएं, हेट स्पीच और जेंडर व नस्ल से संबंधित पूर्वाग्रह। 

पारिस्थितिक शांति

  • सतत विकास और पर्यावरण के साथ संतुलित संबंध बनाए रखने पर जोर देती है।
  • जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएं, संसाधनों के लिए संघर्ष और विस्थापन को बढ़ावा देते हैं।
  • पर्यावरणीय मुद्दों पर अपर्याप्त सहयोग।  

सांस्कृतिक शांति

  • सांस्कृतिक विविधता को समझने, उसे सम्मान देने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देती है।
  • नृजातीय अहंकार: अपनी संस्कृति को सर्वोपरि मानना, सांस्कृतिक असहिष्णुता और हेट स्पीच। 

राजनीतिक शांति

  • सरकार, व्यापार, और समाज के समूहों, संगठनों और समुदायों के मध्य व्यापार और समाज के स्तर पर न्यायपूर्ण और अहिंसा पर आधारित संबंधों को बढ़ावा देती है।
  • वैश्विक स्तर पर: क्षेत्रीय विवाद, प्रतिद्वंद्विता, कमजोर अंतर्राष्ट्रीय शासन, परमाणु हथियारों का प्रसार। 
  • राष्ट्रीय स्तर पर: कमजोर विधि का शासन, भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार।  

शांति के कुछ दार्शनिक पहलू 

  • गांधीवादी शांति की अवधारणा: महात्मा गांधी के अनुसार, शांति का मूल आधार अहिंसा और सत्य है। उन्होंने आत्मशुद्धि, सादगी और करुणा को सामाजिक शांति के लिए आवश्यक तत्व माना है।
  • शांति की उपयोगितावादी अवधारणा: एक शांतिपूर्ण समाज सामूहिक कल्याण की भावना को बढ़ावा देता है। जब किसी कार्य से अधिकतम सुख प्राप्त होता है और कष्ट दूर होते हैं, तो शांति की प्राप्ति होती है। 
  • शांति पर कांट की अवधारणा: इमैनुअल कांट के अनुसार, शांति केवल एक निष्क्रिय अवस्था नहीं है, बल्कि यह व्यक्तियों और राष्ट्रों का सक्रिय नैतिक कर्तव्य भी है। वे तर्कसंगतता, सार्वभौमिक नैतिकता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के जरिए स्थायी शांति के पक्षधर थे।

शांति को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख हितधारक 

वैश्विक/ राजनीतिक शांति

सरकारें 

  • सरकारें नीतियां बनाती हैं, कानून लागू और नियमों को सख्ती से लागू करती हैं, ताकि अपने देश और वैश्विक स्तर पर शांति, मानवाधिकार तथा न्याय को बढ़ावा दिया जा सके। 

अंतर्राष्ट्रीय संगठन

  • ये संघर्षों के समाधान के लिए मध्यस्थता करते हैं, कूटनीति को बढ़ावा देते हैं और वैश्विक शांति व सतत विकास के लिए प्रयासों का समन्वय करते हैं।

नागरिक समाज संगठन

  • ये स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर शांति, मानवाधिकार और सामाजिक बदलाव की वकालत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सामाजिक और सांस्कृतिक शांति

सामुदायिक नेता

  • स्थानीय नेता संघर्षों को हल करने, न्याय की वकालत करने और अपने समुदायों में सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

धार्मिक एवं आध्यात्मिक नेता

  • ये प्रेम, करुणा, क्षमा और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देकर शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। साथ ही, ये विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक समूहों के बीच समझ और सौहार्द को प्रोत्साहित करते हैं।

मुख्यधारा की मीडिया और सोशल मीडिया 

  • मीडिया सही सूचनाओं को बढ़ावा देकर तथा गलत सूचनाओं और घृणास्पद अभिव्यक्ति आदि का मुकाबला करके शांति सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 

व्यक्तिगत/ आंतरिक शांति

व्यक्तिगत स्तर पर

  • प्रत्येक व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में सहिष्णुता, समझ और सहानुभूति जैसे सिद्धांतों का पालन करके, अपने परिवारों और समुदायों के भीतर शांतिपूर्ण वातावरण बनाकर शांति में योगदान देता है।

परिवार के स्तर पर

  • परिवार समाज की पहली इकाई होती है, जहां शांति की स्थापना शुरू होती है। परिवार के लोग अपने बच्चों में अहिंसा, सम्मान और संघर्ष समाधान जैसे मूल्यों को स्थापित करते हैं। 

शैक्षणिक संस्थान

  • शिक्षक और पाठ्यक्रम शांतिपूर्ण मूल्यों, क्रिटिकल थिंकिंग, सामाजिक न्याय, पर्यावरणीय संधारणीयता और संघर्ष समाधान जैसे गुण सिखाकर भावी पीढ़ियों को आकार देते हैं। 

शांति की बहाली और उसे बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम

  • वैश्विक शांति (Global Peace): विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र (UN) जैसी विभिन्न वैश्विक संस्थाएं संवाद और सहयोग को प्रोत्साहित कर रही हैं। साथ ही, उनके द्वारा बहुध्रुवीयता को बढ़ावा देकर वैश्विक स्थिरता और शांति सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है। 
  • राजनीतिक शांति (Political Peace): अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice: ICJ) जैसी वैश्विक संस्थाएं तथा विभिन्न शांति वार्ताएं और संधियां विवादों का शांतिपूर्ण समाधान सुनिश्चित करती हैं।
  • पारिस्थितिक शांति (Ecological Peace): पर्यावरणीय क्षरण को रोकने और संसाधन-आधारित संघर्षों को टालने के लिए पेरिस समझौते जैसे प्रयास किए गए हैं। वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) के 'अर्थ ऑवर' जैसे कार्यक्रम पारिस्थितिकी संधारणीयता के प्रति जागरूकता को बढ़ाते हैं।
  • आंतरिक शांति (Inner Peace): अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस और विश्व ध्यान दिवस (World Meditation Day) जैसे वैश्विक कार्यक्रम मानसिक स्वास्थ्य और शांति को बढ़ावा देते हैं। 
  • सांस्कृतिक शांति (Cultural Peace): यूनेस्को (UNESCO) के वर्ल्ड कल्चर फोरम विभिन्न सांस्कृतिक समूहों के बीच आपसी समझ और सौहार्द को बढ़ावा देते हैं।
    • यूनेस्को का सांस्कृतिक विरासत कार्यक्रम (Cultural heritage Programe) संघर्ष के दौरान सांस्कृतिक स्थलों की सुरक्षा करता है, जो एकता और शांति का प्रतीक है। 

निष्कर्ष 

शांति एक व्यापक अवधारणा है। शांति में संघर्ष की ग़ैर-मौजूदगी के साथ-साथ लोगों और राष्ट्रों के बीच सद्भाव, न्याय, समानता और आपसी समझ का मौजूद होना भी आवश्यक है। शांति की आंतरिक भावना को बाह्य रूप से व्यक्त करके वैश्विक समस्याओं, जैसे- मानवाधिकार, पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक समानता के लिए स्थायी समाधानों को प्रोत्साहित किया जा सकता है।

अपनी नैतिक अभिक्षमता का परीक्षण कीजिए 

भू-राजनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में रिवानिया नामक एक काल्पनिक देश स्थित है। यह अपने पड़ोसी देश, कार्डोविया के साथ संसाधन समृद्ध सीमा पर लंबे समय से क्षेत्रीय विवाद का सामना कर रहा है। यह विवाद बार-बार संघर्ष, विस्थापन और क्षेत्रीय अस्थिरता का कारण बनता रहा है। राजनीतिक पूर्वाग्रहों और कमजोर प्रवर्तन के कारण ग्लोबल पीस काउंसिल जैसी बहुपक्षीय संस्थाएं प्रभावी रूप से मध्यस्थता करने में विफल रही हैं, जिससे अविश्वास गहरा रहा है। सामाजिक रूप से, यह विवाद रिवानिया में नृजातीय राष्ट्रवाद और अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव को बढ़ावा देता है, जिससे सामाजिक सामंजस्य को नुकसान होता है। इसके कारण सीमावर्ती क्षेत्रों के निवासियों को भय, ट्रॉमा का सामना करना पड़ता है और ईलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है, जिससे परिवारो में बिखराव उत्पन्न होता हैं। शांति के पक्षधर कार्यकर्ता इससे निराश रहते हैं, क्योंकि वैश्विक संस्थाएं इस विवाद का समाधान करने के लिए संघर्ष करती हैं, जिससे समाज और लोगों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 

उपर्युक्त केस स्टडी के आधार पर, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 

  • इस मामले में शामिल विभिन्न हितधारकों और नैतिक मुद्दों की पहचान कीजिए। 
  • चर्चा कीजिए कि शांति के विभिन्न पहलू एक-दूसरे से कैसे जुड़े हुए हैं?
  • रिवानिया में एक नेता के रूप में, आप कार्डोविया के साथ संघर्ष का समाधान करके नैतिक नेतृत्व कैसे प्रदर्शित कर सकते हैं?
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  • संयुक्त राष्ट्र सभ्यता गठबंधन
  • कैस्केस घोषणा-पत्र
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