सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, आयुष मंत्रालय ने अपनी 10वीं वर्षगांठ मनाई।
अन्य संबंधित तथ्य
- 2014 में स्थापित आयुष मंत्रालय का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का समर्थन करते हुए प्राचीन चिकित्सा संबंधी ज्ञान को पुनर्जीवित करना है।
- 1995 में भारतीय चिकित्सा प्रणाली और होम्योपैथी विभाग (Department of Indian System of Medicine & Homoeopathy) का गठन किया गया था। 2003 में इसका नाम बदलकर आयुष विभाग कर दिया गया था। 2014 में एक अलग आयुष मंत्रालय का गठन किया गया था।
- "आयुष" भारत में प्रचलित पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों का संक्षिप्त नाम है: आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (Ayurveda, Yoga & Naturopathy, Unani, Siddha, and Homeopathy: AYUSH)।
पिछले दशक में आयुष मंत्रालय की प्रमुख उपलब्धियां
- आयुष अवसंरचना का विस्तार: भारत में 755,780 से अधिक पंजीकृत आयुष चिकित्सक एवं 886 स्नातक और 251 स्नातकोत्तर कॉलेज हैं।
- इसके अतिरिक्त, आयुष क्षेत्रक में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा को बढ़ाने के लिए तीन उन्नत राष्ट्रीय आयुष संस्थान (National Ayush Institutes) स्थापित किए गए हैं।
- अनुसंधान और नवाचार: आयुष अनुसंधान पोर्टल पर 43,000 से अधिक अध्ययन उपलब्ध हैं।
- कोविड-19 प्रबंधन के लिए आयुष-64 और काबासुर कुदिनीर जैसे प्रमुख उपाय किए गए थे।
- आर्थिक प्रभाव: आयुष चिकित्सा संबंधी बाजार 2014 के 2.85 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2023 में 43.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है, जबकि निर्यात 1.09 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2.16 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
- प्रौद्योगिकी एकीकरण: आयुष ग्रिड, ई-संजीवनी और आयुष टेलीमेडिसिन जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा की पहुंच में सुधार किया है।
- अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (IDY): इसे 2024 में 24.53 करोड़ प्रतिभागियों के साथ वैश्विक मान्यता प्राप्त हुयी है।
- राष्ट्रीय आयुष मिशन (NAM): इसे 2014 में केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया है।
राष्ट्रीय आयुष मिशन (National AYUSH Mission: NAM) के बारे में
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पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदम
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: अलग-अलग देशों के साथ 24 समझौता ज्ञापन और संस्थान स्तर के 48 समझौता ज्ञापन तथा चिकित्सा पर्यटन के लिए आयुष वीज़ा और हील इन इंडिया पोर्टल शुरू किए गए हैं।
- गुणवत्ता आश्वासन और प्रमाणन: आयुष चिकित्सा संबंधी उत्पादों के लिए आयुष मार्क और आयुष प्रीमियम मार्क प्रमाणन कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।
- सरकार ने 31 आयुर्वेदिक दवा विनिर्माताओं को 'फार्मास्युटिकल उत्पादों के प्रमाण-पत्र' (Certificate of Pharmaceutical Products: COPP) हेतु WHO गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज-सर्टिफाइड विनिर्माण इकाइयां प्रदान की हैं। इसका उद्देश्य आयुष आयुर्वेदिक दवाओं के वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देना है।
- WHO के साथ सहयोग: भारत ने 85 मिलियन अमेरिकी डॉलर की प्रतिबद्धता के साथ गुजरात के जामनगर में WHO ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (GCTM) की स्थापना के लिए WHO के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
- क्षमता-निर्माण: आयुष क्षेत्रक में कुशल मानव संसाधन विकसित करने और मेडिकल वैल्यू ट्रैवल सर्विसेज को बढ़ावा देने के लिए चैंपियन सेक्टर सेवा योजना (CSSS) शुरू की गई है।
- शिक्षा में सुधार: NCISM अधिनियम, 2020 के तहत, सरकार ने शिक्षा और प्रैक्टिस मानकों में सुधार के लिए राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग (National Commission for Indian System of Medicine: NCISM) और राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (National Commission for Homeopathy: NCH) की स्थापना की है।
- आयुर्ज्ञान योजना: यह योजना आयुष स्वास्थ्य देखभाल सेवा क्षेत्रक की क्षमता को बढ़ाने और विकसित करने के लिए शुरू की गयी है।
- नीतिगत समर्थन: आयुष पद्धतियों को बढ़ावा देने, बुनियादी ढांचे के विकास और अनुसंधान के लिए विभिन्न सरकारी विभागों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
- उदाहरण के लिए- आयुष क्षेत्रक में निवेश को सुगम बनाने के लिए रणनीतिक नीति और सुविधा ब्यूरो (Strategic Policy & Facilitation. Bureau: SPFB) की स्थापना की गयी है।

आगे की राह
- गुणवत्ता नियंत्रण और मानकीकरण:
- उन्नत प्रयोगशालाओं और परीक्षण प्रोटोकॉल में निवेश करना चाहिए।
- आयुष औषधियों से संबंधित प्रतिकूल घटनाओं की रिपोर्टिंग के लिए प्रणालियां विकसित करना चाहिए।
- सुरक्षा और प्रभावकारिता के लिए मार्केटिंग के बाद नियमित निगरानी की जानी चाहिए।
- आयुष गुणवत्ता मानकों को विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे वैश्विक मानदंडों के अनुरूप बनाना चाहिए।
- अनुसंधान और साक्ष्य-आधारित प्रैक्टिस
- आयुष चिकित्सा पर नैदानिक अनुसंधान के लिए वित्त-पोषण में वृद्धि करना, दीर्घकालिक (Chronic) रोगों और उनकी रोकथाम पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- बेहतर बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षण के साथ व्यापक पैमाने पर महामारी विज्ञान संबंधी अध्ययनों के लिए स्थानीय हेल्थ डेटा का उपयोग करना चाहिए।
- एकीकरण संबंधी कमियों को दूर करना
- आयुष और एलोपैथिक प्रणालियों के बीच रेफरल पाथवे और कोलैबोरेशन प्रोटोकॉल विकसित करना चाहिए।
- आयुष चिकित्सकों को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था और सामुदायिक स्वास्थ्य अभियानों में एकीकृत करना चाहिए।
- विलंब का समाधान करना: यह आयुष स्वास्थ्य और आयोग्य केंद्रों (Ayush Health and Wellness Centres: AHWCs) के लिए कार्य योजनाएं बनाकर, प्रशिक्षण, वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करके और प्रौद्योगिकी के साथ प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके हासिल किया जा सकता है।
- उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ाना
- आयुष दवाओं के संबंध में जिम्मेदारीपूर्ण विज्ञापन को बढ़ावा देना और उनके सुरक्षित उपयोग के बारे में रोगियों को जागरूक करना चाहिए।
- जहाँ तक संभव हो निजी बीमा कंपनियों को पंचकर्म जैसे आयुष उपचारों को कवर करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।