सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, राजस्व आसूचना निदेशालय (Directorate of Revenue Intelligence: DRI) ने 'भारत में तस्करी' रिपोर्ट 2023-24 जारी की है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदुओं पर एक नज़र

- यह रिपोर्ट तस्करी से निपटने में शामिल प्रवृत्तियों, चुनौतियों और उपायों के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
- DRI द्वारा अवैध ड्रग्स, हाथी दांत (लगभग 53 किग्रा) जैसे वन्यजीव उत्पादों, विदेशी मुद्राओं, कीटनाशकों आदि की गई जब्ती से तस्करी गतिविधियों की बढ़ती प्रवृत्ति का पता चलता है (इन्फोग्राफिक्स देखें)।
राजस्व आसूचना निदेशालय (DRI) के बारे में
|
भारत में तस्करी के बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार कारक
- भौगोलिक स्थिति और सीमाएं: भारत की विस्तृत तटरेखा तथा बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल जैसे देशों के साथ छिद्रिल सीमाएं (Porous Borders) तस्करों की घुसपैठ को आसान बनाती हैं।
- भारत की उत्तर-पश्चिमी सीमा डेथ क्रिसेंट (अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान) से लगती है तथा उत्तर-पूर्वी सीमा डेथ ट्रायंगल (म्यांमार, लाओस व थाईलैंड) से लगती है।
- बाजार की मांग: विशेष रूप से संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे खाड़ी देशों से सोने जैसी वस्तुओं की उच्च मांग अवैध व्यापार को बढ़ावा देती है।
- अनूठी तकनीकें: तस्कर तस्करी के सामानों को छिपाने के लिए कई तरह की अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। इन तरीकों में मशीनरी के पुर्जों में ड्रग्स छिपाना, तस्करी के लिए निजी तौर पर कार्य करने वाले वाहकों (म्यूल्स) का इस्तेमाल करना आदि शामिल हैं।
- इसके अतिरिक्त, डार्कनेट और क्रिप्टोकरेंसी जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रयासों में और बाधा उत्पन्न करता है। ऐसा इस कारण, क्योंकि इन तकनीकों के माध्यम से तस्कर गुमनाम तरीके से अपने कृत्यों को अंजाम देते हैं।
- उदाहरण के लिए- राष्ट्र-विरोधी तत्व/ तस्कर पंजाब राज्य में भारत-पाकिस्तान सीमा पर हथियारों/ मादक पदार्थों की तस्करी के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं।
- कानूनी की खामियों का दुरुपयोग: उदाहरण के लिए- तस्कर मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) का फायदा उठाते हैं और माल की उत्पत्ति के अवैध प्रमाण-पत्र व गलत विवरण प्रस्तुत करते हैं। इससे सरकार को नुकसान होता है।
- अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क: तस्करों के जटिल अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क के कारण उनका पता लगाना और उन्हें पकड़ना चुनौतीपूर्ण होता है।
तस्करी और भारत के सुरक्षा जोखिमों का गठजोड़
तस्करी संबंधी गतिविधियों के कारण भारत को कई सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता दोनों को खतरे में डालती हैं।
- नार्को-आतंकवाद: डेथ क्रिसेंट और डेथ ट्रायंगल के बीच भारत की अवस्थिति इसे नार्को-आतंकवाद के लिए विशेष रूप से संवेदनशील बनाती है। इन क्षेत्रों से मादक पदार्थों की तस्करी प्रत्यक्ष तौर पर देशद्रोही या विध्वंसक गतिविधियों को वित्त-पोषित करती है।
- आतंकवादी संगठन अपने कृत्यों के वित्त-पोषण के लिए ड्रग्स, हथियार, सोना और जाली मुद्राओं की तस्करी पर निर्भर होते हैं।
- वित्तीय अस्थिरता: विदेशी मुद्रा की तस्करी भारत की वित्तीय प्रणाली को कमजोर करती है, जबकि मनी लॉन्ड्रिंग व कर चोरी बाजारों को विकृत करती है और आर्थिक स्थिरता को कमजोर करती है।
- ये गतिविधियां आपराधिक संगठनों को अपने कारोबार का विस्तार करने का अवसर प्रदान करती हैं, जबकि सरकार को वैध राजस्व से वंचित करती हैं।
- वाणिज्यिक धोखाधड़ी: इसमें मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) का दुरुपयोग, वस्तुओं का गलत वर्गीकरण तथा आयातों का कम मूल्यांकन शामिल है। इसके कारण सरकार को राजस्व का भारी नुकसान होता है।
- वन्यजीव और पर्यावरण से जुड़े अपराध: तस्कर लुप्तप्राय प्रजातियों का अवैध व्यापार करते हैं, खतरनाक सामग्रियों और ई-वेस्ट की तस्करी करते हैं तथा लाल चंदन जैसे मूल्यवान वृक्षों की अवैध कटाई करते हैं। ये गतिविधियां भारत की जैव विविधता के समक्ष गंभीर खतरा पैदा करती हैं।
- मानव तस्करी: यह अक्सर मानव दुर्व्यापार से जुड़ी होती है, क्योंकि तस्कर विविध अवैध कृत्यों के लिए एक ही परिवहन मार्ग, दस्तावेज़ जालसाजी नेटवर्क और सुरक्षित ठिकानों का उपयोग करते हैं।
- इससे संगठित अपराध का एक जटिल जाल निर्मित होता है, जो कानून प्रवर्तन और सीमा सुरक्षा के समक्ष गंभीर चुनौतियां उत्पन्न करता है।
तस्करी और उससे जुड़े अपराधों को रोकने के लिए उठाए गए कदम
|
निष्कर्ष
जैसे-जैसे अपराध में वृद्धि होती जा रही है, वैसे-वैसे जटिलताएं और आधुनिकीकरण बढ़ते जा रहे हैं, इसलिए प्रवर्तन एजेंसियों की ओर से बहुआयामी प्रतिक्रिया की सख्त जरूरत है। इस प्रतिक्रिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, एडवांस्ड डेटा एनालिटिक्स और ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस जैसी उन्नत पहचान तकनीकों को शामिल किया जाना चाहिए। साथ ही, कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी एकत्र करने और उत्पन्न करने के पारंपरिक तरीकों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
संबंधित सुर्ख़ियां: यू.एन. कमीशन ऑन नारकोटिक ड्रग्स (UNCND)हाल ही में, भारत को पहली बार UNCND के 68वें सत्र की अध्यक्षता के लिए चुना गया है। UNCND के बारे में
|