ड्राफ्ट ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2024 (DRAFT SOLID WASTE MANAGEMENT RULES, 2024) | Current Affairs | Vision IAS
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ड्राफ्ट ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2024 (DRAFT SOLID WASTE MANAGEMENT RULES, 2024)

Posted 04 Feb 2025

Updated 10 Feb 2025

24 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने व्यापक सार्वजनिक परामर्श के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (SWM) नियम, 2024 का मसौदा जारी किया। 

अन्य संबंधित तथ्य

  • वैधानिक प्रावधान: ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2024 ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (SWM) नियम, 2016 में संशोधन और विस्तार करते हैं। 
    • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA), 1986 के अंतर्गत जारी किए जाते हैं। 
    • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड्स (SPCBs) EPA, 1986 के तहत नियमों सहित प्रदूषण नियंत्रण दिशा-निर्देशों को लागू करने के लिए जिम्मेदार हैं। 
  • कार्यान्वयन तिथि: ये नियम हितधारकों को ट्रांजिशन अवधि प्रदान करते हुए 1 अक्टूबर, 2025 से लागू होंगे।

भारत में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के बारे में 

  • परिभाषा: इसमें अपशिष्ट, कचरा और कूड़ा सहित कोई भी परित्यक्त सामग्री शामिल है। 
  • वर्गीकरण: भारत में कानूनी तौर पर अपशिष्ट को 6 प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है: नगरपालिका अपशिष्ट, हानिकारक या परिसंकटमय अपशिष्ट, इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट, बायोमेडिकल अपशिष्ट, प्लास्टिक अपशिष्ट और कंस्ट्रक्शन अपशिष्ट। 
  • TERI के अनुसार वर्तमान स्थिति: 
    • अपशिष्ट की वार्षिक मात्रा: 62 मिलियन टन से अधिक। 
    • अपशिष्ट संग्रहण की मात्रा: लगभग 43 मिलियन टन। 
    • उपचारित अपशिष्ट की मात्रा: केवल 12 मिलियन टन। 
    • शेष 31 मिलियन टन अपशिष्ट वेस्ट-यार्ड में फेंक दिया जाता है। 

भारत में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के समक्ष चुनौतियां 

  • बुनियादी सेवा संबंधी मुद्दे 
    • विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अपशिष्ट संग्रह प्रणाली खराब है। 
    • स्रोत पर अपशिष्ट का पर्याप्त रूप से पृथक्करण न किया जाना। 
    • प्रशिक्षित श्रमिकों की कमी। 
    • उचित निपटान के बारे में जनता में जागरूकता का अभाव है। 
    • निपटान के लिए सीमित भूमि उपलब्ध होने के कारण अवैध डंपिंग को बढ़ावा मिलता है। 
  • वित्तीय बाधाएं 
    • स्थानीय निकाय सीमित बजट से जूझ रहे हैं। 
    • असुरक्षित अपशिष्ट प्रबंधन सहित अप्रासंगिक पद्धतियों का प्रचलन। 
  • क्षेत्राधिकार के संबंध में अस्पष्टता
    • कई एजेंसियां निगरानी का दायित्व साझा करती हैं। 
      • उदाहरण के लिए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) नियम और दिशा-निर्देश तैयार करता है, जबकि आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) जमीनी स्तर पर इन नियमों एवं दिशा-निर्देशों के प्रवर्तन को देखता है। इससे समन्वय, वित्त-पोषण और प्रवर्तन में चुनौतियां पैदा हो सकती हैं।
  • प्रौद्योगिकी संबंधी अंतराल 
    • आधुनिक समाधान (ब्लॉकचेन, IoT, AI आदि) मौजूद हैं, लेकिन उनका व्यापक रूप से उपयोग नहीं किया जाता है। 
    • उच्च लागत और कम जागरूकता इसे अपनाने में बाधा उत्पन्न करती है।

प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई मुख्य पहलें 

  • भारत में शुरू की गई पहलें: 
    • स्मार्ट सिटीज़ मिशन: 60 से अधिक शहर प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग, अपशिष्ट संग्रह वाहनों की GPS ट्रैकिंग और स्मार्ट मॉनिटरिंग, अपशिष्ट संग्रहण की दक्षता व दैनिक प्रबंधन के माध्यम से ठोस अपशिष्ट का बेहतर प्रबंधन कर रहे हैं। 
    • स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण): इस मिशन का चरण-II ग्राम स्तर पर ठोस अपशिष्ट के उचित प्रबंधन पर केंद्रित है। 
    • स्वच्छ भारत मिशन (शहरी): इसे पूरे भारत में नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (MSW) के वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन के लिए 2014 में शुरू किया गया था। 
      • स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) 2.0 का लक्ष्य 2026 तक सभी शहरी क्षेत्रों को "अपशिष्ट मुक्त" बनाना है। 
  • वैश्विक स्तर पर शुरू की गई पहलें:
    • जापान में UNEP-अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण प्रौद्योगिकी केंद्र (IETC): इसका कार्य विकासशील देशों में निर्धारित अपशिष्टों (इलेक्ट्रॉनिक्स, कृषि बायोमास व प्लास्टिक) के उचित उपचार पर केंद्रित है। 

भारत में प्रभावी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए आगे की राह

  • नीतिगत कार्यान्वयन: स्पष्ट दिशा-निर्देशों के साथ नए नियमों का सख्ती से प्रवर्तन सुनिश्चित करना चाहिए तथा स्थानीय निकायों को पर्याप्त वित्त-पोषण के साथ सहायता प्रदान करनी चाहिए। 
  • तकनीकी नवाचार: उदाहरण के लिए, भोपाल नगर निगम (मध्य प्रदेश) ने घर-घर जाकर अपशिष्ट संग्रहण के लिए एक GPS-एनेबल्ड वाहन ट्रैकिंग प्रणाली विकसित की है। 
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना: बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन अवसंरचना और प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए निजी क्षेत्रक की क्षमताओं का लाभ उठाना चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए- मुंबई, भोपाल, बेंगलुरु आदि शहरों ने कॉम्पोस्ट संयंत्र स्थापित करने के लिए निजी क्षेत्रक के साथ अनुबंध किए हैं। 
  • निगरानी प्रणाली को मजबूत करना: जैसे- CPCB और SPCBs जैसे विनियामक निकायों को पर्याप्त बुनियादी ढांचे, प्रशिक्षित कर्मचारियों और कानून प्रवर्तकों के साथ मजबूत बनाने से निगरानी प्रणाली बेहतर हो सकती है।
  • जन जागरूकता: SBM जैसी पहलों का प्रभावी कार्यान्वयन किया जाना चाहिए। इसने अपशिष्ट पृथक्करण, उचित निपटान आदि के लिए जागरूकता और सामुदायिक स्तर पर सहभागिता पैदा करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। 
  • Tags :
  • UNEP
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  • CPCB
  • SWM
  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम
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