सुशासन की भारतीय अवधारणा (INDIC IDEA OF GOOD GOVERNANCE) | Current Affairs | Vision IAS
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सुशासन की भारतीय अवधारणा (INDIC IDEA OF GOOD GOVERNANCE)

Posted 04 Feb 2025

Updated 11 Feb 2025

35 min read

परिचय 

हाल ही में, भारत में P2G2 (Pro-People Good Governance) या जनहितकारी सुशासन के सिद्धांत पर बल देने के लिए कदम उठाया गया। साथ ही, अमेरिका में गवर्नमेंट एफिशिएंसी विभाग की स्थापना की गई। दोनों ही देशों द्वारा उठाए गए ये कदम बेहतर और जनोन्मुखी प्रशासन की बढ़ती आवश्यकता को दर्शाते हैं। इस संदर्भ में, भारत की प्राचीन परंपराओं को पुनः समझना आवश्यक हो गया है, जिनमें न्याय, निष्पक्षता और जनकल्याण पर आधारित "राजधर्म" की अवधारणा निहित थी। 

सुशासन (Good Governance) के बारे में 

  • शासन सत्ता के उपयोग का वह तरीक़ा है, जिससे यह तय होता है कि देश के आर्थिक और सामाजिक संसाधनों का विकास के लिए किस प्रकार उपयोग किया जाता है।  
    • यह एक व्यापक फ्रेमवर्क प्रदान करता है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग की आवाज सुनी जाए तथा वर्तमान एवं भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर निर्णय लिए जाएं।
  • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सुशासन की आठ प्रमुख विशेषताएं हैं:
    • सहभागिता (Participatory) 
    • सर्वसम्मति आधारित (Consensus-Oriented) निर्णय 
    • जवाबदेही (Accountable)
    • पारदर्शिता (Transparent)
    • प्रतिक्रियाशीलता (Responsiveness) 
    • प्रभावशीलता (Effectiveness)
    • न्यायसंगतता (Equitability)
    • समावेशिता (Inclusiveness) 

इसके साथ ही, सुशासन के लिए विधि के शासन (Rule of Law) का पालन करना आवश्यक होता है।  

  • सुशासन के समक्ष मौजूद चुनौतियां: 
    • भ्रष्टाचार 
    • जवाबदेही की कमी 
    • न्यायिक प्रक्रियाओं में विलंब होना 
    • कानूनों का खराब कार्यान्वयन 
    • सार्वजनिक सेवाओं की अपर्याप्त आपूर्ति 

सुशासन की भारतीय अवधारणा

  • बृहदारण्यक उपनिषद: इसमें राजा के लिए इस कर्तव्य पर बल दिया गया है कि वह धर्म की रक्षा करे और लोक-कल्याण सुनिश्चित करे, ताकि सभी नागरिकों को समान अवसर मिल सके और कमजोर वर्गों का शोषण न हो।
  • मुण्डक उपनिषद: सुप्रसिद्ध "सत्यमेव जयते" वाक्यांश इसी ग्रंथ से लिया गया है, जिसका अर्थ है "सत्य की विजय होती है"। यह सुशासन की अवधारणा का एक मौलिक तत्व है।
  • रामायण: इसमें "रामराज्य" की अवधारणा प्रस्तुत की गई है, जो आदर्श शासन का प्रतीक है। साथ ही, इसमें नेतृत्व के महत्वपूर्ण कौशल का उदाहरण प्रस्तुत किया गया है। रामराज्य की अवधारणा के तहत, राजा का यह कर्तव्य होता है कि वह केवल अपने लिए धन-संपत्ति एकत्र करने में व्यस्त रहने के स्थान पर, प्रत्येक नागरिक की आवश्यकताओं का ध्यान रखे। 
  • रामायण के अयोध्या कांड में सुशासन से संबंधित विभिन्न मुद्दों की व्याख्या की गई है। रामराज्य में भूख, पीड़ा, अन्याय और भेदभाव से मुक्ति का प्रावधान समाहित था।
  • भगवद गीता: इसमें "अधिष्ठान" की अवधारणा प्रस्तुत की गई है, जो किसी भी शासन प्रणाली की नींव होती है। 
    • अधिष्ठान (वह स्थान जहाँ से निर्णय लिए जाते हैं) का अर्थ है जिम्मेदारी और स्थिरता के साथ निर्णय लेना, ताकि पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और प्रभावी प्रशासन सुनिश्चित किया जा सके।
  • अथर्ववेद: अथर्ववेद में 'भूमि सूक्तम्' नामक एक मंत्र है, जो पृथ्वी को समर्पित है। इस मंत्र में पृथ्वी को सार्वभौमिक माता के रूप में दर्शाया गया है, जो सभी प्राणियों का पोषण करती है। यह मंत्र प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता पर बल देता है। 
  • तिरुक्कुरल: यह ग्रंथ समाज के सुव्यवस्थित विकास पर बल देता है। इसमें प्राकृतिक संसाधनों की खोज तथा उनके दोहन और संरक्षण के मध्य संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता से संबंधित नियम शामिल हैं।
  • कौटिल्य का अर्थशास्त्र: इसमें योगक्षेम अर्थात् नागरिकों के कल्याण की अवधारणा प्रस्तुत की गई है। इसमें राजधर्म का वर्णन करते हुए राजा को जनता का सेवक बताया गया है, जिसका कर्तव्य है कि वह बीमारों, बच्चों, वृद्धों आदि की समुचित देखभाल करे। 
  • अंत्योदय: यह महात्मा गांधी के विचारों पर आधारित है। इसमें समाज के सबसे दुर्बल वर्ग के कल्याण के जरिए सर्वोदय (सभी का विकास) का लक्ष्य रखा गया है। 

सुशासन की भारतीय अवधारणा की वर्तमान प्रासंगिकता

  • वैश्वीकरण के अनुरूप ढलना: वैश्वीकरण ने राष्ट्रीय सरकारों के अधिकार क्षेत्र को सीमित किया है। इससे बहुराष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का प्रभाव बढ़ा है। ऐसी स्थिति में, सुशासन की भारतीय अवधारणा को अपनाने से लोक व्यवस्था और जनकल्याण के क्षेत्र में सुधार किया जा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए, वसुधैव कुटुंबकम (संपूर्ण विश्व एक परिवार है) की अवधारणा वैश्विक एकता और समावेशिता को बढ़ावा देती है। 
  • संधारणीय जीवन (Sustainable living): अथर्ववेद में प्रस्तुत भारतीय अवधारणा में संधारणीय विकास प्रथाओं पर विशेष बल दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) और मिशन LiFE (Lifestyle for Environment) के प्रति भारत की प्रतिबद्धता में इन सिद्धांतों की झलक देखी जा सकती है। 
  • लोकतंत्र की रक्षा: सरकार और नागरिक समाज/ नागरिकों के बीच सहयोग सुनिश्चित करके यह प्राप्त किया जा सकता है। 
    • इन्हीं विचारों पर आधारित "मिशन कर्मयोगी" सरकारी अधिकारियों में क्षमता निर्माण के लिए शुरू की गई है। 
  • सर्वजन हिताय - सर्वजन सुखाय (Welfare for All): अंत्योदय का विचार, समावेशी विकास (Inclusive Development) की आधुनिक अवधारणा के अनुरूप ही है। 
    • उदाहरण के लिए, MGNREGA, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं हाशिए पर मौजूद समुदायों का स्तर ऊपर उठाने में सहायक हैं। 
  • कूटनीतिक संबंधों में सुधार: कौटिल्य के व्यावहारिक दृष्टिकोण के अनुसार, अन्य देशों के साथ डील करते हुए विदेश नीति में अवसरों, खतरों और जोखिमों का मूल्यांकन करना आवश्यक होता है।
    • यह नीति-निर्माण को रणनीतिक और वास्तविकतावादी दृष्टि प्रदान करती है।
  • संघर्ष समाधान (Conflict Resolution): न्यायशास्त्र की न्यायिक प्रणाली में, न्याय, निष्पक्षता और मध्यस्थता पर बल दिया जाता है। यह प्रतिकूल कानूनी प्रणालियों के लिए एक विकल्प प्रस्तुत करती है। 
    • आधुनिक प्रशासन में इस दृष्टिकोण को अपनाकर न्यायिक व्यवस्था पर बढ़ते बोझ को कम किया जा सकता है और विवादों को सौहार्दपूर्ण तरीके से हल किया जा सकता है। 

निष्कर्ष 

वर्तमान में सुशासन की अवधारणा की मूलभूत विशेषताएं, प्राचीन भारतीय ग्रंथों में उल्लिखित प्रशासनिक संरचना और दर्शन से मेल खाती हैं। किसी भी प्रशासन का प्राथमिक उद्देश्य जनता की खुशहाली होती है। इसलिए, प्राचीन शास्त्रों की गहराइयों से ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है, ताकि SMART (Simple, Moral, Accountable, Responsive, Transparent) प्रशासन का निर्माण किया जा सके। 

अपनी नैतिक अभिक्षमता का परीक्षण कीजिए 

आपने हाल ही में एक सुदूर जिले X के जिला मजिस्ट्रेट के रूप में कार्यभार संभाला है। वहां की जनता और अधिकारियों से बातचीत करने पर आपको पता चलता है कि जिले में अधिकारियों के बीच भ्रष्टाचार, गुणवत्ताहीन सेवा वितरण और लापरवाही जैसी प्रथाओं के साथ शासन का बहुत खराब रिकॉर्ड है। आगे की जांच करने पर आपको पता चलता है कि अधिकारी और नागरिक दोनों ही अपनी मान्यताओं में काफी पारंपरिक हैं और आधुनिक शासन के विचारों से जुड़ नहीं पाते हैं। इसलिए, आपको प्रशासनिक रणनीति को सुशासन के भारतीय विचारों से जोड़कर उसे नया रूप देने की तत्काल आवश्यकता महसूस होती है, ताकि यह न केवल लोगों की मान्यताओं के साथ जुड़ सके, बल्कि अधिकारी भी पूरी भावना के साथ इसका कार्यान्वयन सुनिश्चित कर सकें। 

उपर्युक्त केस स्टडी के आधार पर, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 

  1. सुशासन की भारतीय अवधारणा की प्रमुख आधारभूत धारणाएं क्या हैं? 
  2. कुछ उदाहरणों का उल्लेख करते हुए, सुझाव दीजिए कि जिला X के शासन के सामने आने वाली समस्याओं से निपटने में भारतीय विचार किस प्रकार मदद करते हैं? 
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