सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, गूगल ने अपनी नवीनतम क्वांटम चिप विलो (Willow) का अनावरण किया है। यह क्वांटम कंप्यूटिंग के विकास में एक बड़ी उपलब्धि साबित हो सकती है।
अन्य संबंधित तथ्य

- विलो ने रैंडम सर्किट सैंपलिंग (RCS) बेंचमार्क पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, जिससे दो प्रमुख उपलब्धियां हासिल हुई हैं।
- प्रथम, अधिक क्यूबिट के उपयोग के साथ विलो त्रुटियों को भी तेजी से कम कर सकता है।
- दूसरा, विलो ने पांच मिनट से भी कम समय में एक मानक बेंचमार्क गणना को पूरा किया, जिसे करने में आज के सबसे तेज सुपर कंप्यूटर्स को भी 10 सेप्टिलियन (अर्थात 1025) वर्ष लगेंगे।
- विलो ने बेहतर कोहरेंस टाइम का भी प्रदर्शन किया है। बेहतर कोहरेंस टाइम से आशय यह है कि क्यूबिट अपनी क्वांटम अवस्था को लम्बे समय तक बनाए रख सकते हैं।
क्वांटम चिप्स के बारे में
- पारंपरिक चिप इन्फॉर्मेशन को 0 या 1 (बिट्स) के रूप में प्रोसेस करती हैं। इनके विपरीत, क्वांटम चिप्स इन्फॉर्मेशन को क्यूबिट्स के रूप में प्रोसेस करती हैं।
- पारंपरिक बिट केवल 0 या 1 अवस्था में ही मौजूद हो सकता है। हालांकि, क्यूबिट सुपरपोजिशन को हासिल कर सकते हैं, जो 0, 1 और इनके बीच की सभी अवस्थाओं में हो सकते हैं। इसमें क्यूबिट की कुल तीन अलग-अलग अवस्थाएं (0, 1 और इनके बीच की कोई अवस्था) हो सकती हैं।
- यद्यपि क्यूबिट तीन अलग-अलग अवस्थाओं में हो सकते हैं, फिर वे आउटपुट बाइनरी सिस्टम में ही प्रदान करते हैं।
- इसके अलावा, दो क्वांटम बिट्स को एक दूसरे के साथ सह-सम्बद्ध (Correlated) भी किया जा सकता है, ताकि एक क्वांटम बिट की अवस्था दूसरे क्वांटम बिट की अवस्था पर निर्भर हो। इसे एंटेंगलमेंट कहते हैं।
- पारंपरिक कम्प्यूटर की तरह, क्वांटम कम्प्यूटर भी क्वांटम गेट्स नामक फिजिकल ऑपरेशंस का एक समूह हैं। क्वांटम गेट्स गणना करने के लिए क्यूबिट की अवस्थाओं को परिवर्तित कर देते हैं।
- पारम्परिक कंप्यूटर में इंफॉर्मेशन का प्रवाह बिट्स (0 और 1) के रूप में होता है, और इन्हें नियंत्रित व परिवर्तित करने के लिए गेट ऑपरेशन (Gate Operations) का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए- 'AND' गेट इस प्रकार कार्य करता है:
- यह दो इनपुट लेता है (हर इनपुट 0 या 1 हो सकता है)।
- यदि दोनों इनपुट 1 हैं, तो आउटपुट भी 1 होगा।
- अन्य सभी स्थितियों में आउटपुट 0 होगा।
- पारम्परिक कंप्यूटर में इंफॉर्मेशन का प्रवाह बिट्स (0 और 1) के रूप में होता है, और इन्हें नियंत्रित व परिवर्तित करने के लिए गेट ऑपरेशन (Gate Operations) का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए- 'AND' गेट इस प्रकार कार्य करता है:
उभरती प्रौद्योगिकियों पर क्वांटम कंप्यूटिंग का प्रभाव
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चुनौतियां
- नाजुक क्वांटम अवस्थाएं: क्यूबिट अत्यंत संवेदनशील होते हैं और मामूली व्यवधान से आसानी से नष्ट हो जाते हैं। इससे इनके द्वारा सूचना को भंडारित करने का समय और क्वांटम कंप्यूटर की स्केलेबिलिटी दोनों सीमित हो सकती है।
- क्यूबिट में नॉइज़ की समस्या: क्यूबिट्स किसी भी इंटरफेरेंस या व्यवधान के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं और उनमें मौजूद इन्फॉर्मेशन आसानी से नष्ट हो सकता है। ऐसी स्थिति में लाखों क्यूबिट्स होने के बावजूद भी सिस्टम की कार्यक्षमता कम हो जाती है।
- तापमान नियंत्रण: गणना संबंधी त्रुटियों का कारण बनने वाले व्यवधानों को रोकने के लिए क्यूबिट को लगभग शून्य तापमान तक ठंडा रखना होता है।
- उच्च लागत: क्वांटम प्रणालियों को कई महंगी कोएक्सियल केबलों और जटिल CMOS नियंत्रण प्रणालियों की आवश्यकता होती है, जिससे व्यावसायिक आवश्यकताओं के अनुरूप इनका विस्तार करना कठिन हो जाता है।
- चिप आपूर्ति श्रृंखला संबंधी मुद्दे: महामारी, व्यापार संबंधी तनाव और प्राकृतिक आपदाओं जैसी बाधाओं ने चिप उत्पादन को प्रभावित किया है।
निष्कर्ष
क्वांटम कंप्यूटिंग को आगे बढ़ाने के लिए सेमीकंडक्टर सामग्री जैसे सिलिकन, गैलियम, या जर्मेनियम का उपयोग करने पर अनुसंधान करना जरूरी है, ताकि क्यूबिट्स और अधिक प्रभावी हो सकें। क्वाड क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी वर्किंग ग्रुप, क्वाड इन्वेस्टर्स नेटवर्क (QUIN), क्वांटम सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन क्वांटम इंफॉर्मेशन साइंसेज जैसी पहलों के माध्यम से वैश्विक सहयोग एवं इससे संबंधित उच्च लागत के चलते निवेश में वृद्धि बहुत आवश्यक है। इस क्षेत्र से संबंधित प्रौद्योगिकी के उपयोग तथा विकास के मार्गदर्शन के लिए स्पष्ट नीतियों और विनियमों को सुनिश्चित किया जाना होगा। साथ ही, क्वांटम सिद्धांत, भौतिकी और कंप्यूटर विज्ञान में प्रतिभा विकसित करना प्रगति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।