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प्रमुख व्यक्तित्व: तुलसी गौड़ा (1944-2024)

04 Feb 2025
13 min

परिचय 

हाल ही में, भारतीय पर्यावरणविद् तुलसी गौड़ा का निधन हो गया। उन्हें "वनों के विश्वकोश"  (Encyclopedia of the Forest) और "वृक्ष देवी" (Tree Goddess) के नाम से जाना जाता था, क्योंकि उन्हें वनों का गहरा ज्ञान था। उनकी विरासत पर्यावरण संरक्षण के लिए एक प्रेरणा बनी रहेगी और आने वाली पीढ़ियों को हमारी पृथ्वी की रक्षा के लिए प्रेरित करती रहेगी। 

तुलसी गौड़ा का संक्षिप्त जीवन परिचय

  • जन्म: उनका जन्म वर्ष 1944 में कर्नाटक के एक साधारण हलक्की जनजातीय परिवार में जन्म हुआ था। 
    • हलक्की वोक्कालिगा जनजाति की परंपराओं में स्त्री की प्रधानता और प्रकृति का गहरा संबंध है। 
  • प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: उन्होंने औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की थी। केवल 2 वर्ष की आयु में उनके पिता का निधन हो गया था।
  • सम्मान और पुरस्कार: वर्ष 2021 में, भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री (देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान) से सम्मानित किया था। 
    • साथ ही, उन्हें इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र पुरस्कार भी प्रदान किया गया था।

तुलसी गौड़ा का प्रमुख योगदान

  • पारंपरिक ज्ञान का सम्मान: वृक्षारोपण का उनका दृष्टिकोण पारिस्थितिक सिद्धांतों पर आधारित था। इसमें स्थानीय जलवायु के अनुकूल देशज प्रजातियों के चयन पर ज़ोर दिया जाता है। 
    • उन्हें बीज संग्रहण और अंकुरण तकनीकों में विशेषज्ञता प्राप्त थी। 
  • वनीकरण प्रयासों के प्रति प्रतिबद्धता: उन्होंने अपने जीवनकाल में 30,000 से अधिक पेड़ लगाए, जो उनके अद्वितीय पर्यावरणीय योगदान को दर्शाता है। 
  • पर्यावरणीय क्षति की भरपाई: वनों के संरक्षण के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता मानव-जनित (Anthropogenic) क्षति को कम करने में सहायक हो सकती है। 
    • उनके प्रयासों से कर्नाटक के बंजर क्षेत्रों को पुनर्जीवित कर पर्यावरणीय संतुलन बहाल किया गया।
  • पर्यावरणीय न्याय को बढ़ावा: उन्होंने स्थानीय समुदायों को जंगलों और उनके संसाधनों के संरक्षण के महत्व के बारे में शिक्षित किया, जिससे समाज का समग्र कल्याण सुनिश्चित होगा। 
  • इकोफेमिनिज्म (Ecofeminism) को बढ़ावा: उन्होंने पर्यावरण संरक्षण में महिलाओं की भूमिका को उजागर किया और इसे आर्थिक सशक्तीकरण से जोड़ा।
  • सामूहिक जिम्मेदारी (Collective Responsibility): उन्होंने पर्यावरण की रक्षा के लिए समुदाय को शामिल किया। इससे सामूहिक जिम्मेदारी की भावना विकसित हुई और लोग स्वयं पहल करने के लिए प्रेरित हुए। 

निष्कर्ष

तुलसी गौड़ा की विरासत प्रेरणा और सशक्तीकरण को बढ़ावा देने वाली है। उन्होंने दिखाया कि समुदाय-आधारित पहलें पर्यावरण में बड़ा बदलाव ला सकती हैं। उनका जीवन हमें प्रकृति के प्रति देखभाल और जुड़ाव की महत्त्वपूर्ण संस्कृति विकसित करने का संदेश देता है। 

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