भारत-श्रीलंका संबंध (India-Sri Lanka relations) | Current Affairs | Vision IAS
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भारत-श्रीलंका संबंध (India-Sri Lanka relations)

Posted 04 Feb 2025

Updated 10 Feb 2025

47 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

श्रीलंका के राष्ट्रपति पदभार ग्रहण करने के बाद पहली विदेश यात्रा पर दिल्ली पहुंचे। 

बैठक में निम्नलिखित मामलों पर चर्चा की गई-

  • आर्थिक और तकनीकी सहयोग समझौते (Economic & Technological Cooperation Agreement: ETCA) पर चर्चा जारी रहेगी।
    • यह 2000 में लागू किए गए मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर आधारित होगा।
  • भारत सरकार की अनुदान सहायता से श्रीलंका में कांकेसंतुरै बंदरगाह के पुनर्निर्माण पर संयुक्त रूप से कार्य करने की संभावना तलाशी जाएगी।
  • भारत द्वारा वित्त-पोषित श्रीलंका की 'विशिष्ट डिजिटल पहचान परियोजना' को तेज़ी से लागू किया जाएगा।
  • दोहरा कराधान परिहार समझौते (DTAA) में संशोधन के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इससे DTAA को कर संधि के दुरुपयोग की रोकथाम पर अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाया जा सकेगा। 
  • अन्य घोषणाएं:
    • त्रिंकोमाली को एक क्षेत्रीय ऊर्जा और औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित करने में सहयोग करना।
    • प्रस्तावित द्विपक्षीय सामाजिक सुरक्षा समझौते को शीघ्र अंतिम रूप देना।
    • श्रीलंकाई रेलवे के माहो अनुराधापुरा खंड में सिग्नलिंग सिस्टम स्थापित करने के लिए भारत द्वारा 14.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता।
    • 100 आर्थिक रूप से वंचित छात्रों के लिए व्यापक छात्रवृत्ति कार्यक्रम।
    • 1500 श्रीलंकाई सिविल सेवा अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए समझौता।

भारत-श्रीलंका द्विपक्षीय संबंधों का महत्त्व

दोनों देशों के लिए महत्त्व

  • अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आपसी सहयोग:
    • भारत ने श्रीलंका के BRICS सदस्यता आवेदन का समर्थन किया है।
    • श्रीलंका ने 2028-29 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की अस्थायी सीट की उम्मीदवारी का समर्थन किया है।
  • हिंद महासागर क्षेत्र में साझा समुद्री सुरक्षा हित: दोनों देश पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने के साथ-साथ एक स्वतंत्र, खुला, सुरक्षित एवं संरक्षित हिंद महासागर क्षेत्र सुनिश्चित करने के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
  • ऊर्जा सहयोग: कई परियोजनाएं चर्चा के अलग-अलग चरणों में हैं। उदाहरण के लिए- इंटर-ग्रिड कनेक्टिविटी योजना, दोनों देशों के बीच बहु-उत्पाद पेट्रोलियम पाइपलाइन, LNG की आपूर्ति, तथा निर्माणाधीन सामपुर विद्युत परियोजना। 
  • क्षेत्रीय और बहुपक्षीय सहयोग: दोनों देश इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) और बिम्सटेक (BIMSTEC) का हिस्सा है।
  • सैन्य सहयोग: प्रतिवर्ष SLINEX (नौसेना) और मित्र शक्ति/ MITRA SHAKTI (थल सेना) जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यास आयोजित किए जाते हैं।
    • श्रीलंका भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास 'मिलन/ MILAN' में भी भाग लेता है।

श्रीलंका के लिए महत्त्व

  • ऋण पुनर्गठन में भारत की भूमिका:
    • वित्तीय सहायता: देश को आर्थिक संकट से निपटने में मदद के लिए भारत ने 2022 और 2023 में अलग-अलग प्रकार की सहायता के रूप में लगभग 4 बिलियन अमरीकी डॉलर प्रदान किए थे। (इन्फोग्राफिक देखें)
    • ऑफिशियल्स क्रेडिटर्स कमिटी (OCC): वर्ष 2023 में 17 देशों ने OCC का गठन किया था। यह समिति श्रीलंकाई अधिकारियों के ऋण समाधान अनुरोध पर चर्चा के लिए बनाई गई है। इसकी सह-अध्यक्षता भारत, जापान और फ्रांस करते हैं।
      • इस समिति में पेरिस क्लब ऋणदाताओं के साथ-साथ अन्य आधिकारिक द्विपक्षीय ऋणदाता भी शामिल हैं।
    • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) बेलआउट: भारत ने वित्त-पोषण आश्वासन प्रदान करके श्रीलंका के लिए IMF सहायता सुनिश्चित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ज्ञातव्य है कि 2023 में IMF द्वारा अनुमोदित 2.9 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज के लिए वित्त-पोषण आश्वासन एक पूर्व शर्त थी।
    • लाइन-ऑफ-क्रेडिट को अनुदान सहायता में बदलना: भारत ने श्रीलंका में पूर्ण हो चुकी सात लाइन-ऑफ-क्रेडिट परियोजनाओं से संबंधित भुगतानों के निपटान के लिए अनुदान सहायता के रूप में 20.66 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता राशि प्रदान की है।
      • उत्तरी प्रांत में कांकेसंथुराई बंदरगाह के पुनरुद्धार के लिए आगे की परियोजनाएं अब अनुदान के माध्यम से कार्यान्वित की जाएंगी।
  • आर्थिक महत्त्व: भारत श्रीलंका का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार, शीर्ष FDI योगदानकर्ता और पर्यटकों का सबसे बड़ा स्रोत है।
  • भारत से सहायता के अन्य प्रमुख क्षेत्र:
    • भारत मानवीय सहायता और आपदा राहत के क्षेत्र में श्रीलंका के लिए 'प्रथम प्रतिक्रियादाता (First responder)' के रूप में मौजूद रहता है।
    • भारत कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव का समर्थन करता है, जो श्रीलंका की क्षेत्रीय सुरक्षा संबंधी पहलों को बढ़ावा देता है।
    • क्षमता निर्माण जिसमें भारतीय अनुदान के तहत समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (Maritime Rescue Coordination Centre: MRCC) की स्थापना शामिल है।
    • सांस्कृतिक समर्थन जैसे कि मन्नार में तिरुकेतीस्वरम मंदिर का जीर्णोद्धार और 2012 में पवित्र कपिलवस्तु अवशेषों की प्रदर्शनी का आयोजन।

श्रीलंका को भारत की वित्तीय सहायता:

भारत द्वारा दी गई सहायता

  • करेंसी स्वैप और व्यापार ऋण:
    • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के माध्यम से 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर का करेंसी स्वैप।
    • एशियाई क्लीयरिंग यूनियन (ACU) के तहत 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर की व्यापार संबंधी देनदारियों को स्थगित किया गया है। इससे श्रीलंका को तत्काल डिफॉल्टर होने से बचने में मदद मिली है।
  • ईंधन और खाद्य आयात: ईंधन आयात के लिए 500 मिलियन डॉलर और खाद्य सामग्री जैसी आवश्यक वस्तुओं के लिए 1 बिलियन डॉलर की आयात ऋण सुविधा।
  • मानवीय सहायता: भोजन, दवाइयां और चिकित्सा उपकरणों जैसी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति।

भारत के समर्थन के पीछे रणनीतिक प्रेरणा

  • चीन के प्रभाव को प्रतिसंतुलित करना: चीन ने अपनी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के जरिये हंबनटोटा पोर्ट और कोलंबो पोर्ट सिटी जैसी परियोजनाओं के माध्यम से श्रीलंका में अपनी उपस्थिति का विस्तार किया है। 
  • आर्थिक हितों की रक्षा करना: कोलंबो पोर्ट भारत के व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है। यह भारतीय बंदरगाहों से कंटेनर पोतांतरण (Transshipment) को सुविधाजनक बनाता है।
  • द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना: भारत का लक्ष्य श्रीलंका के साथ अपने संबंधों को सुधारना है, जो ऐतिहासिक रंजिशों और भारत विरोधी भावनाओं के कारण तनावपूर्ण रहे हैं।

भारत के लिए महत्त्व

  • हिंद महासागर की सुरक्षा: श्रीलंका भारत का सबसे करीबी समुद्री पड़ोसी है और यह भारत की सुरक्षा/ स्थिरता के खिलाफ किसी भी क्षेत्रीय कार्रवाई को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • भारत की नीति के साथ मेल: श्रीलंका का भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी' तथा सागर/ SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) विज़न में केंद्रीय स्थान है।
  • भारतीय मूल के तमिल: लगभग 1.6 मिलियन भारतीय मूल के तमिल, कोलंबो के व्यवसाय क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपस्थिति रखते हैं। ये श्रीलंका में मुख्य रूप से चाय और रबड़ के बागानों में कार्यरत हैं। 

भारत-श्रीलंका संबंधों में चुनौतियां

  • श्रीलंका में चीन की सामरिक उपस्थिति: कई घटनाक्रम भारत के लिए सुरक्षा संबंधी चिंताएं पैदा करते हैं। 
    • वित्तीय सहायता और हंबनटोटा पोर्ट जैसी परियोजनाओं के माध्यम से चीन श्रीलंका पर अपने प्रभाव को बढ़ा रहा है, जिससे भारत के हित प्रभावित होते हैं।
    • शी यान-6 और युआन वांग-5 जैसे चीनी जहाज डेटा संग्रहण गतिविधियों में संलग्न हैं। ये गतिविधियां संभावित रूप से भारत के खिलाफ भविष्य के सैन्य अभियानों में सहायक हो सकती हैं।
  • मछुआरों से संबंधित विवाद: श्रीलंका भारतीय मछुआरों द्वारा पाक जलडमरूमध्य में बॉटम ट्रॉलर के उपयोग और श्रीलंकाई जलक्षेत्र में उनके बार-बार प्रवेश का विरोध करता है। इस विरोध का कारण पर्यावरणीय क्षति और अधिक मछली पकड़ने संबंधी चिंताएं हैं।
    • पाक खाड़ी में कच्चातिवु (Katchatheevu) द्वीप के आसपास मछली पकड़ने के अधिकार को लेकर लंबे समय से चल रहा विवाद भारत और श्रीलंका के बीच तनाव का स्रोत रहा है। ज्ञातव्य है कि संसाधन संपन्न कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को सौंपने के लिए 1974 में एक समझौता हुआ था। इस द्वीप पर तमिल मछुआरों को कई सदियों से मत्स्यन का पारंपरिक अधिकार प्राप्त था।
  • 13वें संशोधन का लागू नहीं होना: यह संशोधन भारत-श्रीलंका समझौते (1987) का परिणाम है। भारत नृजातीय मुद्दे के राजनीतिक समाधान (13वें संशोधन) के तहत राष्ट्रीय सुलह का पक्ष लेता रहा है। श्रीलंका के संविधान में 13वां संशोधन प्रांतों को शक्तियों के हस्तांतरण से संबंधित है। हालांकि, अभी तक इसका कार्यान्वयन नहीं किया गया है।
    • विवाद: सिंहली राष्ट्रवादी इसे एक थोपा हुआ कदम बताकर लगातार इसका विरोध करते आ रहे हैं, जबकि तमिल समूह व्यापक अधिकारों की मांग करता है।
    • भारत की भूमिका: भारत ने शक्तियों के हस्तांतरण की वकालत की है, लेकिन भूमि और पुलिस शक्तियों के संबंध में श्रीलंका की अनिच्छा प्रगति में बाधा बन रही है।

आगे की राह 

  • विश्व के प्रति भारत की फाइव "S" नीति: सम्मान (Samman), संवाद (Samvad), सहयोग (Sahyog), शांति (Shanti); सार्वभौमिक समृद्धि (Samriddhi) के लिए परिस्थितियां तैयार करनी चाहिए। 
    • भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी' और सागर/ SAGAR विज़न को हिंद महासागर में तथा उसके आसपास चीन के शत्रुतापूर्ण रवैये से निपटने में मार्गदर्शक शक्ति होना चाहिए।
  • मत्स्यन समस्या के समाधान हेतु प्रस्तावित समाधान:
    • साझा मत्स्यन क्षेत्र: भारतीय मछुआरों को अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के 5 समुद्री मील के भीतर मछली पकड़ने की अनुमति देनी चाहिए। इसके बदले में श्रीलंका को भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र तक पहुंच प्रदान की जानी चाहिए। 
    • विनियमित ट्रॉलिंग: ट्रॉलिंग को हफ्ते में दो बार तक सीमित किया जाना चाहिए, मछली पकड़ने के घंटों को कम किया जाना चाहिए और श्रीलंकाई तट से 3 समुद्री मील की दूरी बनाए रखी जानी चाहिए। साथ ही, जहां तक संभव हो बॉटम ट्रॉलिंग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। 
    • कच्चातिवु को पट्टे पर देना: श्रीलंका इस द्वीप को भारत को पट्टे पर दे सकता है तथा स्वामित्व बरकरार रखते हुए भारतीय मछुआरों को अपने जलक्षेत्र में मछली पकड़ने की अनुमति दे सकता है।
  • 13वां संशोधन: वर्तमान श्रीलंका सरकार इस अवसर का उपयोग प्रांतों को शक्तियां हस्तांतरित करने के लिए कर सकती है।
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  • मुक्त व्यापार समझौता (FTA)
  • भारत-श्रीलंका
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