भारत में महिला श्रम बल भागीदारी (Female Labor Force Participation in India) | Current Affairs | Vision IAS
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भारत में महिला श्रम बल भागीदारी (Female Labor Force Participation in India)

Posted 04 Feb 2025

Updated 10 Feb 2025

30 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

प्रधान मंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) ने एक कार्य पत्र जारी किया है। इसमें महिला श्रम बल भागीदारी दर (Labor Force Participation Rate: LFPR) में हुई नाटकीय वृद्धि पर प्रकाश डाला गया है।

मुख्य निष्कर्ष

  • ग्रामीण महिला LFPR: यह 2017-18 के 24.6% से बढ़कर 2023-24 में 47.6% हो गई, जो कि लगभग 69% वृद्धि को दर्शाता है। 
  • शहरी महिला LFPR: यह 20.4% से मामूली रूप से बढ़कर 25.4% हो गई, जो लगभग 25% वृद्धि को दर्शाता है। 
  • क्षेत्रीय भिन्नता: बिहार, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में महिला LFPR कम है।
    • इसके विपरीत, राजस्थान और झारखंड जैसे राज्यों में महिला LFPR में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई।

महिला LFPR को प्रभावित करने वाले कारक

इस कार्य पत्र में तीन प्रमुख कारकों पर प्रकाश डाला गया है:

  • आयु: महिला LFPR घंटी के आकार के वक्र (Bell-shaped curve) का अनुसरण करता है, जो 20-30 वर्ष की आयु के बीच बढ़ता है तथा 30-40 वर्ष के दौरान अपने चरम पर होता है। इसके बाद यह तेजी से घटता है।
    • इसके विपरीत, पुरुषों में LFPR 30-50 वर्ष की आयु तक उच्च (~ 100%) रहता है, तथा उसके बाद धीरे-धीरे कम होने लगता है।
  • विवाह: विवाह के बाद महिला LFPR में उल्लेखनीय रूप से कमी आती है, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में, जहां ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में गिरावट अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
    • इसका मुख्य कारण घरेलू जिम्मेदारियां हैं, जो शहरी क्षेत्रों में अधिक प्रचलित हैं।
  • मातृत्व: 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की उपस्थिति महिला LFPR को काफी कम कर देती है, खासकर 20-35 वर्ष की आयु की महिलाओं में और शहरी क्षेत्रों में यह अधिक स्पष्ट है।
    • इससे पता चलता है कि कार्यबल में शामिल होने के महिलाओं के फैसले में बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारियां एक प्रमुख भूमिका निभाती हैं।

कार्यबल में महिलाओं की कम भागीदारी के कारण

  • सुरक्षा संबंधी चिंताएं: उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के दर्ज मामलों की संख्या 2018 में 402 से बढ़कर 2022 में 422 हो गई।
  • दोहरा बोझ: आर्थिक सर्वेक्षण 2024 से पता चलता है कि महिलाओं का अवैतनिक देखभाल कार्य सकल घरेलू उत्पाद में 3.1% योगदान देता है, जबकि पुरुषों के अवैतनिक देखभाल कार्य का GDP में योगदान केवल 0.4% है।
  • शिक्षा: हाल के आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labor Force Survey: PLFS) के आंकड़ों से पता चलता है कि 37.94% महिलाएं अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए कार्यबल से बाहर रहती हैं।
  • डिजिटल डिवाइड: उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-2021) में पाया गया कि भारत में केवल 33% महिलाएं इंटरनेट का उपयोग करती हैं।
  • सामाजिक सुरक्षा: उदाहरण के लिए, ई-श्रम डेटाबेस (मार्च 2022) से पता चलता है कि 287 मिलियन पंजीकृत असंगठित श्रमिकों में से 52.7% महिलाएं हैं, जो इस क्षेत्रक में पुरुषों की संख्या से अधिक है।
  • घरेलू आय में वृद्धि: जैसे-जैसे घरेलू आय बढ़ती है, महिलाएं श्रम बल से बाहर होती जाती हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, यह माना जाता है कि घरेलू गैर-बाजार कार्य को बाजार कार्य की तुलना में उच्च दर्जा प्राप्त है।

LFPR बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम

क्षेत्र

योजना

विवरण

महिलाओं की उत्तरजीविता और शिक्षा

  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020
  • इसका उद्देश्य बालिकाओं के जीवित रहने की दर, सुरक्षा और शिक्षा में सुधार लाना, घटते लिंगानुपात पर ध्यान देना और जागरूकता बढ़ाना है।
  • शिक्षा में लैंगिक समानता को प्राथमिकता दी जाती है, विशेष रूप से वंचित समूहों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान पहुंच पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

सुरक्षित और सुविधाजनक आवास

कामकाजी महिला छात्रावास

यह कामकाजी महिलाओं के लिए शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में डेकेयर सुविधाओं के साथ सुरक्षित आवास प्रदान करता है। 

हिंसा से प्रभावित महिलाओं को सहायता प्रदान करना

वन स्टॉप सेंटर (OSC) और महिला हेल्पलाइन

OSC का उद्देश्य परिवार, समुदाय और कार्यस्थल के भीतर, निजी और सार्वजनिक स्थानों पर हिंसा से प्रभावित महिलाओं का समर्थन करना है।

श्रम कानूनों का संहिताकरण

श्रम संहिता (मजदूरी, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियाँ)

यह नौकरी चाहने वालों, श्रमिकों और नियोक्ताओं की आवश्यकताओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए 29 श्रम कानूनों को सरल और तर्कसंगत बनाता है। इसका उद्देश्य रोजगार को बढ़ावा देना और अनुपालन को आसान बनाना है।

समान अवसर और कार्य वातावरण

  • महिला श्रमिकों के लिए सुरक्षात्मक प्रावधान

 

 

  • कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013
  • इसमें 26 सप्ताह का सवेतन मातृत्व अवकाश, बड़े प्रतिष्ठानों में शिशु-गृह सुविधाएं तथा नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं के लिए सुरक्षा उपायों के प्रावधान शामिल हैं।

 

  • यह कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाता है।

आर्थिक सशक्तीकरण

  • महिला शक्ति केंद्र (MSK)

 

  • नमो ड्रोन दीदी
  • ये पहल सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाती हैं।
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य 15,000 महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन प्रदान करना है, जिन्हें कृषि उद्देश्यों के लिए किराए पर लिया जा सकता है।

आगे की राह 

  • सामाजिक मानदंड और शिक्षा: परिवारों को लड़कियों की शिक्षा, विशेष रूप से STEM और व्यावसायिक प्रशिक्षण में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करने से महिलाओं को कार्यबल में आगे बढ़ने में मदद मिलती है।
    • उदाहरण के लिए, "गर्ल्स हू कोड" (अंतर्राष्ट्रीय NGO) लड़कियों को कंप्यूटर का ज्ञान प्रदान करता है, ताकि तकनीकी क्षेत्र में लैंगिक अंतराल को समाप्त किया जा सके।
  • सुरक्षा और बुनियादी ढांचा: सुरक्षित सड़कें, विश्वसनीय परिवहन और बाल देखभाल कामकाजी माताओं को सहायता प्रदान करते हैं।
    • बुर्किना फासो में मोबाइल क्रेच माताओं को काम करने की सुविधा देते हैं, जबकि उनके बच्चे सुरक्षित रूप से खेलते हैं।
  • डिजिटल डिवाइड को पाटना: डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना और इंटरनेट एक्सेस प्रदान करना ग्रामीण महिलाओं को नौकरी के अवसरों तक पहुँचने में सशक्त बनाता है। 
    • उदाहरण के लिए, गूगल का इंटरनेट साथी कार्यक्रम, ग्रामीण भारत में महिलाओं को दूसरों को इंटरनेट के बारे में सिखाने के लिए प्रशिक्षित करता है।
  • वेतन अंतर को समाप्त करना: समान वेतन और लचीली कार्य नीतियां कामकाजी महिलाओं की सहायता कर सकती हैं।
  • अनौपचारिक क्षेत्र को औपचारिक बनाना: अनौपचारिक क्षेत्रक की महिलाओं को औपचारिक अर्थव्यवस्था में एकीकृत करने से कार्य स्थितियों में सुधार होता है।
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  • प्रधान मंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM)
  • महिला श्रम बल भागीदारी दर (LFPR)
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