‘संवृद्धि के अग्रदूत’ के रूप में पूर्वोत्तर क्षेत्र (NORTHEAST AS ‘FRONTRUNNER OF GROWTH’) | Current Affairs | Vision IAS
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‘संवृद्धि के अग्रदूत’ के रूप में पूर्वोत्तर क्षेत्र (NORTHEAST AS ‘FRONTRUNNER OF GROWTH’)

Posted 01 Jul 2025

Updated 25 Jun 2025

53 min read

सुर्ख़ियों में क्यों? 

हाल ही में, भारत के प्रधान मंत्री ने पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (Development of the North-Eastern Region: DoNER) द्वारा आयोजित राइजिंग नॉर्थ ईस्ट समिट 2025 का उद्घाटन किया। 

अन्य संबंधित तथ्य  

  • प्रधान मंत्री ने पूर्वोत्तर भारत की रणनीतिक (भौगोलिक) अवस्थिति के महत्व को रेखांकित करते हुए, इस क्षेत्र के लिए एक नीतिगत फ्रेमवर्क के रूप में EAST (एम्पॉवर, एक्ट, स्ट्रेंथन, एंड ट्रांसफॉर्म/ Empower, Act, Strengthen, and Transform) के विजन को प्रस्तुत किया। 
  • प्रधान मंत्री ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के आठ राज्यों को 'अष्ट-लक्ष्मी' (देवी लक्ष्मी के आठ रूप) की संज्ञा दी। साथ ही, उन्होंने बायो-इकोनॉमी, बांस, चाय उत्पादन, पेट्रोलियम, खेल, इको-टूरिज्म जैसे सेक्टर्स में पूर्वोत्तर को उभरता हुआ हब बताया।

राइजिंग नॉर्थ ईस्ट समिट 2025 में पूर्वोत्तर के फोकस क्षेत्रकों की मुख्य विशेषताएं

क्षेत्रक (सेक्टर्स)

मुख्य बिंदु

वस्त्र, हथकरघा एवं हस्तशिल्प

  • पूर्वोत्तर क्षेत्र संधारणीय वस्त्र उद्योग और हस्तशिल्प का एक प्रमुख केंद्र है, जिसमें असम के जीआई-टैग प्राप्त मुगा रेशम, नागालैंड के आदिवासी शॉल, त्रिपुरा के बांस से बनी शिल्पकारी आदि शामिल हैं।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत के हथकरघा क्षेत्र में बड़ा योगदान देता है। यह क्षेत्र शॉल, मेखला चादर, और स्कार्फ उत्पादन में 92.90%, और पारंपरिक परिधानों में लगभग 78.50% का योगदान देता है।
  • देश के 53% से अधिक करघे और 50% से अधिक बुनकर पूर्वोत्तर राज्यों से संबंधित है।

नवीकरणीय ऊर्जा

  • इस क्षेत्र में 60 गीगावाट से अधिक की पारंपरिक जलविद्युत दोहन योग्य क्षमता विद्यमान है, जो भारत की कुल जलविद्युत क्षमता का 40% है। अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और असम में जलविद्युत उत्पादन की अधिक क्षमता मौजूद है।

सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और IT-सक्षम सेवाएं (IT & ITeS)

  • इस क्षेत्र में तेजी से IT अवसंरचना का विकास हो रहा है। इनमें असम का 100 एकड़ का IT पार्क, अगरतला में स्थापित भारतीय सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (STPI) कॉम्प्लेक्स, और 2021 में इम्फाल के मंत्रिपुखरी में पूर्वोत्तर क्षेत्र का पहला IT विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone: SEZ) एवं इनोवेशन हब शामिल हैं।

इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स

  • वित्त वर्ष 2024-25 में 78 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) का निर्माण किया गया। इसी तरह ढोला-सदिया और बोगीबील जैसे पुलों के निर्माण से असम-अरुणाचल के बीच कनेक्टिविटी और बेहतर हुई है।
  • 17 हवाई अड्डों (2013 में 9 हवाई अड्डे) के निर्माण के कारण एयर-कनेक्टिविटी में सुधार हुआ है।
  • असम में स्थित जोगीघोपा अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन (Inland Waterways Transport: IWT) टर्मिनल को रणनीतिक रूप से मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क से जोड़ा गया है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।

पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी

  • पूर्वोत्तर क्षेत्र में यूनेस्को के दो विश्व धरोहर स्थल काजीरंगा और मानस स्थित हैं। साथ ही, इस क्षेत्र में 30 से अधिक वन्यजीव अभयारण्य और विविध भू-परिदृश्य भी मौजूद हैं।
  • सिक्किम और मेघालय संधारणीय पर्यटन के क्षेत्र में अग्रणी हैं। इस क्षेत्र में "स्वदेश दर्शन" और "प्रसाद (PRASHAD)" जैसी योजनाओं के माध्यम से पर्यटन अवसंरचना को बढ़ावा दिया जा रहा है।

शिक्षा 

  • उच्च साक्षरता दर: मिजोरम (91.3%), त्रिपुरा (87.2%), नागालैंड (80.1%)।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र की 40% आबादी 25 वर्ष से कम आयु की है, जो नवाचार और उद्यमिता के विकास के लिए आदर्श जनसांख्यिकीय आधार प्रदान करती है।

स्वास्थ्य 

  • औषधीय पौधों (Phytopharmaceuticals) और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के क्षेत्र में अपार संभावनाएं मौजूद हैं।
  • गुवाहाटी, इंफाल और आइजोल जैसे शहरी केंद्रों में PPP मॉडल, निजी अस्पतालों और डायग्नोस्टिक्स लैब्स पर रणनीतिक फोकस से स्वास्थ्य-देखभाल सेवा सुविधाओं में क्रमिक रूप से सुधार हो रहा है।

कृषि

  • समृद्ध एग्रो-बायोडायवर्सिटी और अनुकूल जलवायु पूर्वोत्तर क्षेत्र में आर्गेनिक और उच्च-मूल्य वाली फसलों (जैसे- असम की चाय, जोहा चावल, कचाई नींबू, कीवी, अनानास) के उत्पादन को बढ़ावा देती है।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र की 70% से अधिक आबादी कृषि कार्य में लगी हुई है, जिनमें से अधिकतर लघु/ सीमांत किसान हैं। 

खेल

  • पारंपरिक/ स्थानीय खेल (तीरंदाजी, थांग-ता, पोलो आदि)।
  • मणिपुर, मिजोरम और असम जैसे राज्यों ने फुटबॉल, बॉक्सिंग और वेटलिफ्टिंग जैसे खेलों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के एथलीट तैयार किए हैं।
  • इंदिरा गांधी एथलेटिक स्टेडियम (असम) और खुमान लम्पक (मणिपुर) जैसी अवसंरचनात्मक परियोजनाएं निवेश के मामले में प्रमुख स्पोर्ट्स हब बन सकती हैं।

 

'विकास का अग्रदूत' बनने में पूर्वोत्तर क्षेत्र की क्षमता

  • भू-रणनीतिक: पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया में प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है। पूर्वोत्तर क्षेत्र के कई राज्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ सीमा साझा करते हैं। यह क्षेत्र भारत की 'एक्ट ईस्ट नीति' में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस नीति का उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ भारत के आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना है।
  • ऊर्जा: कोयला, यूरेनियम, तेल, प्राकृतिक गैस और जलविद्युत जैसे प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध, पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत के लिए एक प्रमुख ऊर्जा स्रोत बनने की क्षमता रखता है।
  • विविध सांस्कृतिक विरासत: पूर्वोत्तर क्षेत्र में विशिष्ट नृजातीय समुदाय और परंपराएं मौजूद हैं जो पर्यटन व हस्तशिल्प के क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए उपयुक्त अवसर प्रदान करती हैं।
  • कम लागत वाला विनिर्माण हब: भारत और विश्व के अन्य हिस्सों की तुलना में पूर्वोत्तर क्षेत्र में कम लागत पर श्रमिक उपलब्ध हैं।
  • भारत का ग्रीन हब: घने वन, जैव-विविधता और समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र इस क्षेत्र को इको-टूरिज्म और कृषि-आधारित उद्योगों के लिए आदर्श जगह बनाते हैं।

पूर्वोत्तर क्षेत्र में चुनौतियां

  • बेहतर कनेक्टिविटी नहीं होना: भारत की मुख्य भूमि को पूर्वोत्तर क्षेत्र से जोड़ने वाला एकमात्र भूमि मार्ग संकीर्ण सिलीगुड़ी कॉरिडोर (या चिकन नेक) है। यह कॉरिडोर पूर्वोत्तर क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। एकमात्र भू-संपर्क मार्ग होने की वजह से आवागमन और लॉजिस्टिक्स की आपूर्ति प्रभावित होती है।
  • विद्रोही समूह और सशस्त्र संघर्ष: पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्वायत्तता या जनजातीय अधिकारों की मांग के कारण लंबे समय से विद्रोही समूह सक्रिय हैं। उदाहरण के लिए, NSCN-IM (नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड - इसाक-मुइवा) 'ग्रेटर नागालिम' की मांग कर रहा है, मणिपुर में कूकी-मेइती संघर्ष,आदि।
  • नार्को आतंकवाद (Narco terrorism): पूर्वोत्तर क्षेत्र, जो "गोल्डन ट्रायंगल" (म्यांमार, लाओस, थाईलैंड) के निकट स्थित है, हेरोइन और सिंथेटिक ड्रग्स के लिए ट्रांजिट मार्ग के रूप में कार्य करता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मणिपुर, मिज़ोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में स्थित अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की पूरी बाड़बंदी नहीं की गई है और इनकी समुचित निगरानी भी नहीं की जाती है।
  • मानवाधिकार हनन: सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission: NHRC) आदि ने सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (AFSPA), 1958 के तहत सुरक्षा बलों की जवाबदेही तय नहीं करने को लेकर चिंता व्यक्त की है। नागालैंड और मणिपुर में लंबे समय तक AFSPA के लागू रहने के कारण अलगाववादी भावनाओं को बढ़ावा मिला है।
  • प्राकृतिक आपदाओं का खतरा: पूर्वोत्तर क्षेत्र को प्रायः बाढ़, भूस्खलन और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, हर साल ब्रह्मपुत्र में आने वाली बाढ़ के कारण असम में लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ता है और इससे फसलों को भी भारी नुकसान पहुँचता है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए शुरू की गई पहलें

भारतीय स्तर पर 

अंतर्राष्ट्रीय उद्देश्यों को ध्यान में रखकर 

  • पूर्वोत्तर विशेष अवसंरचना विकास योजना (North East Special Infrastructure Development Scheme: NESIDS): यह योजना पूर्वोत्तर क्षेत्र में जल आपूर्ति, बिजली, कनेक्टिविटी, पर्यटन जैसी भौतिक अवसंरचनाओं और सामाजिक अवसंरचना के विकास में सहायता प्रदान करती है।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए प्रधान मंत्री विकास पहल (Prime Minister's Development Initiative for North East Region: PM-DevINE): इसका उद्देश्य राज्यों की आवश्यकताओं के आधार पर अवसंरचना और सामाजिक विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करके पूर्वोत्तर क्षेत्र का त्वरित और समग्र विकास करना है।
  • मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ ईस्ट रीजन (MOVCDNER): इस योजना का उद्देश्य उत्पादकों को उपभोक्ताओं से जोड़ने और संपूर्ण वैल्यू चेन के विकास का समर्थन करने के लिए मूल्य श्रृंखला मोड में प्रमाणित आर्गेनिक उत्पादन का विकास करना है।
  • शांति और सुरक्षा से संबंधित पहलें: नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (NLFT) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (ATTF) शांति समझौता 2024; आदिवासी असम शांति संधि 2022; डिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (DNLA) शांति समझौता 2023; ULFA शांति संधि 2023; आदि संपन्न की गई हैं।

 

  • क्षेत्रीय कनेक्टिविटी परियोजनाएं: कालादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट परियोजना; इंडिया-म्यांमार-थाईलैंड (IMT) त्रिपक्षीय राजमार्ग; बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (BBIN) मोटर वाहन समझौता; मेकांग-गंगा सहयोग; आदि।
  • एक्ट ईस्ट फोरम (AEF): इसे 2017 में भारत और जापान द्वारा स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत के भीतर और इस क्षेत्र को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ने वाली कनेक्टिविटी को प्रोत्साहित करना है।
  • दक्षिण एशिया उप-क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग (South Asia Subregional Economic Cooperation: SASEC): यह बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, म्यांमार, नेपाल और श्रीलंका को परियोजना-आधारित साझेदारी से जोड़ता है, जिससे क्षेत्रीय समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

 

 

आगे की राह 

  • पूर्वोत्तर क्षेत्र तक पहुंचने के लिए अलग-अलग मार्गों का विकास: उदाहरण के लिए, हिली–महेंद्रगंज ट्रांसनेशनल कॉरिडोर- यह प्रस्तावित कॉरिडोर हिली (पश्चिम बंगाल) को बांग्लादेश से होते हुए महेंद्रगंज (मेघालय) से जोड़ेगा, जिससे सिलीगुड़ी मार्ग का विकल्प मिल जाएगा।
  • विद्रोही गतिविधियों को कम करना: पुनर्वास प्रयासों और स्थानीय शासन तंत्र को मजबूत करके त्रिपुरा ने शांति स्थापित की है, जो नागालैंड और मणिपुर जैसे राज्यों के लिए एक अनुकरणीय मॉडल है।
    • ब्रू जनजाति का त्रिपुरा में पुनर्वास किया गया है। इस जनजाति को 1990 के दशक के अंत और 2009 में मिज़ोरम में हुए नृजातीय संघर्ष का सामना करना पड़ा था।
  • अवैध प्रवासियों से निपटना और सीमा सुरक्षा बढ़ाना: इसमें हैंड हेल्ड थर्मल इमेजर (HHTI), नाइट विजन डिवाइस (NVD), UAVs, CCTV/ PTZ कैमरे, इंफ्रारेड सेंसर जैसे सर्विलांस उपकरणों का उपयोग और समग्र एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (Comprehensive Integrated Border Management System: CIBMS) शामिल हैं।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र को शेष भारत के साथ एकीकृत करना: बेजबरुआ समिति की सिफारिशों के आधार पर भारत के अन्य हिस्सों में रहने वाले पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों के खिलाफ भेदभाव और नृजातीय हमलों को रोकने के लिए कानूनी उपाय करने चाहिए और मीडिया जागरूकता अभियान संचालित करना चाहिए, आदि।
     

निष्कर्ष 

अपनी विशिष्ट रणनीतिक अवस्थिति, समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों की वजह से भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र असीम संभावनाओं वाला क्षेत्र है। इनमें नवीकरणीय ऊर्जा से लेकर पर्यटन जैसे क्षेत्रक शामिल हैं। कनेक्टिविटी की कमी को दूर करके, शांति सुनिश्चित करके, और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं के साथ एकीकरण सुनिश्चित करके पूर्वोत्तर क्षेत्र को समावेशी और संधारणीय विकास का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया जा सकता है। 

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