सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी नामक थिंक टैंक के अनुसार, 2024 में भारतीय कॉफी का निर्यात 1.68 बिलियन डॉलर को पार कर गया। यह मूल्य (डॉलर में) के हिसाब से 45% की वृद्धि को दर्शाता है।
निर्यात में वृद्धि के लिए जिम्मेदार कारक:
- रोबस्टा कॉफी की कीमतों में उछाल: वैश्विक स्तर पर कॉफी की खपत में वृद्धि के कारण 2024 में कॉफी की कीमतों में 60% से अधिक की वृद्धि हुई, जो 45 वर्ष के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी।
- इसका कारण खराब मौसम (जैसे सूखा) था। इससे ब्राजील और वियतनाम जैसे प्रमुख कॉफी उत्पादक देशों से आपूर्ति बाधित हो गई।
- यूरोपीय यूनियन डिफ़ॉरेस्टेशन रेगुलेशन (EUDR): इसके तहत, उन उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है या उनकी कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जो वनों की कटाई से जुड़े क्षेत्रों में उगाए गए हैं। इसके कारण यूरोपीय आयातकों ने कॉफी जैसे उत्पादों का पहले से ही अधिक मात्रा में स्टॉक करना शुरू कर दिया है। इससे वैश्विक स्तर पर कॉफी के निर्यात में वृद्धि हुई है।
कॉफी उत्पादन की स्थिति
- भारत 2022-23 में विश्व का आठवां सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक देश बन गया था।
- ब्राजील विश्व का सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक देश है, जो वैश्विक उत्पादन में लगभग 40% का योगदान देता है।
- इसकी दक्षिण भारत में पश्चिमी घाट के वर्षावनों में पारंपरिक रूप से खेती की जाती है। इसका उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्यों में कर्नाटक (सर्वाधिक), केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और ओडिशा शामिल हैं।
- अरेबिका और रोबस्टा कॉफी का प्रमुख आर्थिक महत्त्व है।
- अरेबिका की गुणवत्ता रोबस्टा से बेहतर होती है और इसकी कीमत भी रोबस्टा की तुलना में अधिक होती है।
भारत रोबस्टा का पांचवा सबसे बड़ा उत्पादक है। देश के कुल कॉफी उत्पादन में इसकी लगभग 72% हिस्सेदारी है।
