हाल ही में, एक अमेरिकी अपीलीय न्यायालय ने फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन के नेट न्यूट्रैलिटी लागू करने के प्रयासों के खिलाफ फैसला सुनाया। यह अमेरिका और भारत में नेट न्यूट्रैलिटी के प्रति अलग-अलग दृष्टिकोण को दर्शाता है। फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन अमेरिका का दूरसंचार विनियामक है।
- नेट न्यूट्रैलिटी इस विचार का प्रतिनिधित्व करता है कि लोगों के लिए अधिकतम उपयोगी सार्वजनिक सूचना नेटवर्क या इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को इंटरनेट पर मौजूद सभी कंटेंट्स, साइट्स और प्लेटफॉर्म्स के साथ समान व्यवहार करना चाहिए।
- दूसरे शब्दों में इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISPs) को सेवा, एप्लीकेशन, प्रेषक या प्राप्तकर्ता के आधार पर इंटरनेट ट्रैफिक में किसी तरह का भेदभाव नहीं करना चाहिए।
नेट न्यूट्रैलिटी पर बहस
पक्ष में तर्क | विपक्ष में तर्क |
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भारत में नेट न्यूट्रैलिटी संबंधी फ्रेमवर्क
- 2018 में, दूरसंचार विभाग (DoT) ने नेट न्यूट्रैलिटी पर रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को अधिसूचित किया था।
- इसमें इंटरनेट एक्सेस सर्विसेज द्वारा कंटेंट के प्रति गैर-भेदभावपूर्ण व्यवहार के सिद्धांतों को शामिल किया गया था।
- हालांकि, यह कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क (CDN), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), विशिष्ट सेवाओं आदि के लिए गैर-भेदभाव नियमों से संबंधित कुछ अपवादों की अनुमति देता है।