यह अध्ययन अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के नेतृत्व में किया गया है। यह IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों से संबंधित लाल सूची के लिए वैश्विक स्तर पर ताजे जल में रहने वाली अलग-अलग प्रजातियों हेतु किया गया अब तक का प्रथम आकलन है।
इस अध्ययन के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- प्रमुख हॉटस्पॉट्स: इसमें विक्टोरिया झील (केन्या, तंजानिया और युगांडा), टिटिकाका झील (बोलीविया और पेरू) व श्रीलंका का आर्द्र क्षेत्र और पश्चिमी घाट (भारत) शामिल हैं।
- प्रमुख संकटग्रस्त प्रजातियां: केकड़े, क्रेफ़िश और झींगों के समक्ष विलुप्त होने का सबसे अधिक जोखिम है। इसके बाद ताजे जल की मछलियों का स्थान है।
- ताजे जल में रहने वाले 23,496 जीवों में से कम-से-कम 4,294 प्रजातियां विलुप्त होने के उच्च जोखिम का सामना कर रही हैं।
- अन्य तथ्य: जल की उच्च अभावग्रस्तता वाले क्षेत्रों और अधिक सुपोषण वाले क्षेत्रों में संकटग्रस्त प्रजातियों की संख्या अधिक नहीं है। इसके विपरीत, जल की कम अभावग्रस्तता वाले क्षेत्रों और कम सुपोषण वाले क्षेत्रों में संकटग्रस्त प्रजातियों की संख्या अधिक है।
- जल की उच्च अभावग्रस्तता का अर्थ है- जहां जल की मांग अधिक और आपूर्ति कम है।
- सुपोषण या यूट्रोफिकेशन का तात्पर्य जल में पोषक तत्वों की अधिकता से है, जिसके कारण शैवाल और पादपों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि होती है
ताजे जल से जुड़े कुछ तथ्य
- स्थिति: पृथ्वी पर ज्ञात सभी प्रजातियों में से लगभग 10% ताजे जल की प्रजातियां हैं।
- महत्त्व: ये सुरक्षित पेयजल, आजीविका, बाढ़ नियंत्रण और जलवायु परिवर्तन शमन में सहयोग प्रदान करता है।
- ताजे जल के समक्ष खतरे:
- प्रदूषण: मुख्यतः कृषि एवं वानिकी से।
- क्षरण: जैसे कृषि उपयोग के लिए भूमि में परिवर्तन करना, जल निकासी और बांधों का निर्माण आदि।
- अन्य: अत्यधिक मात्रा में मछली पकड़ना और आक्रामक विदेशी प्रजातियों का प्रवेश होना।
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के बारे में
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