NPOP के 8वें संस्करण का उद्देश्य किसानों सहित हितधारकों के लिए परिचालन को आसान बनाना और पारदर्शिता को बढ़ाना है।

- NPOP भारत की जैविक प्रमाणीकरण प्रणाली को मजबूत करता है (इन्फोग्राफिक्स देखें)।
- वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय का कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा/ APEDA) इसे लागू करने वाली कार्यान्वयन एजेंसी है।
NPOP के 8वें संस्करण की मुख्य विशेषताओं पर एक नजर
- सरल प्रमाणीकरण प्रणाली: आंतरिक नियंत्रण प्रणाली (Internal Control System: ICS) के स्थान पर जैविक उत्पादक समूहों को कानूनी दर्जा प्रदान किया गया है।
- बाजार समर्थन: जैविक उत्पादक समूहों के ICS को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे किसानों से पूरे जैविक उत्पादन/ उपज की खरीदारी करें या किसानों को समर्थन देने के लिए बाजार से कनेक्टिविटी स्थापित करें।
- भूमि का जैविक कृषि में तेजी से रूपांतरण: विशिष्ट परिस्थितियों में ट्रांजिशन अवधी को तीन वर्ष तक कम कर दिया गया है।
इस दौरान लॉन्च किए गए पोर्टल्स:
- NPOP पोर्टल: हितधारकों के संचालन को सरल बनाने के लिए।
- ऑर्गेनिक प्रमोशन पोर्टल: किसानों को वैश्विक खरीदारों से जोड़ने के लिए।
- ट्रेसनेट 2.0: बेहतर ट्रेसेब्लिटी के लिए।
- एपीडा पोर्टल का नवीनीकरण: उपयोगकर्ता अनुभव को सुधारने के लिए।
NPOP की उपलब्धियां
- वैश्विक रैंकिंग: भारत जैविक उत्पादकों में वैश्विक स्तर पर पहले स्थान पर है और जैविक कृषि भूमि के मामले में दूसरे स्थान पर है।
- प्रमाणित क्षेत्र: कुल प्रमाणित क्षेत्र 7.3 मिलियन हेक्टेयर (2023-24) तक पहुंच गया है। इसमें मध्य प्रदेश पहले स्थान पर है। इसके बाद महाराष्ट्र और राजस्थान का स्थान है।
- जैविक उत्पाद निर्यात: यह वर्तमान में 4,007.91 करोड़ रुपये है। इसके अगले तीन वर्षों में 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।