भारत सरकार ने जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट के तहत एकत्र किए गए डेटाबेस को शोधकर्ताओं के लिए डिजिटल पब्लिक गुड के रूप में उपलब्ध कराने का फैसला किया है। इसे निम्नलिखित के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा-
- भारतीय जैविक डेटा केंद्र (IBDC) पोर्टल
- यह भारत के जीनोमिक डेटा को संग्रहित करेगा तथा उस तक पहुंच प्रदान करेगा। इससे शोधकर्ताओं को आनुवंशिक विविधताओं का पता लगाने और सटीक जीनोमिक टूल्स विकसित करने में मदद मिलेगी।
- 'फ्रेमवर्क फॉर एक्सचेंज ऑफ डेटा प्रोटोकॉल्स (FeED)'.
- इसे बायोटेक-प्राइड (Biotech-PRIDE) दिशा-निर्देशों के तहत लॉन्च किया गया है। FeED उच्च गुणवत्ता वाले और राष्ट्र-विशिष्ट जीनोमिक डेटा का नैतिक, पारदर्शी व जिम्मेदारीपूर्ण साझाकरण सुनिश्चित करता है।
- बायोटेक-प्राइड दिशा-निर्देश भारत में जैविक और जीनोमिक डेटा के जिम्मेदारीपूर्ण, नैतिक एवं पारदर्शी साझाकरण के लिए एक फ्रेमवर्क प्रदान करते हैं।
- इसे बायोटेक-प्राइड (Biotech-PRIDE) दिशा-निर्देशों के तहत लॉन्च किया गया है। FeED उच्च गुणवत्ता वाले और राष्ट्र-विशिष्ट जीनोमिक डेटा का नैतिक, पारदर्शी व जिम्मेदारीपूर्ण साझाकरण सुनिश्चित करता है।
इस पहल का महत्त्व और भविष्य का दृष्टिकोण
- व्यक्तिगत स्वास्थ्य सेवा में क्रांतिकारी बदलाव: यह भारत की जनसांख्यिकी के अनुरूप इलाज को सक्षम बनाकर कम लागत वाले निदान और सटीक आनुवंशिक अध्ययन सुनिश्चित करने में मदद करेगी।
- जैव अर्थव्यवस्था का विकास: भारत की जैव अर्थव्यवस्था 2014 की 10 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2024 में 130 बिलियन डॉलर हो गई थी। 2030 तक इसे 300 बिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य है।
- वर्तमान में भारत जैव प्रौद्योगिकी में विश्व स्तर पर 12वें स्थान पर है तथा एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तीसरे स्थान पर है।
- अंतर्विषयक अनुसंधान को उत्प्रेरित करना: जीनोमिक डेटा कृषि, पर्यावरण और औद्योगिक क्षेत्रकों में अंतर्दृष्टि प्रदान करके अंतर्विषयक अनुसंधान को उत्प्रेरित कर सकता है।
- स्वास्थ्य देखभाल रूपांतरण के लिए उत्प्रेरक: जीनोमिक डेटा mRNA टीके विकसित करने, प्रोटीन निर्माण और आनुवंशिक विकार उपचार आदि में प्रगति को बढ़ावा देने में सहायक साबित हो सकता है।
जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट के बारे में:
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