यूनेस्को ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (21 फरवरी) की 25वीं वर्षगांठ पर यह रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में मातृभाषाओं के संरक्षण और प्रसार में पिछले 25 वर्षों के प्रयासों को रेखांकित किया गया है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- विश्व की लगभग 40% आबादी को उस भाषा में शिक्षा प्राप्त नहीं हो रही है, जिन्हें वे बोलते या समझते हैं।
- निम्न और मध्यम आय वाले कुछ देशों में तो लगभग 90% आबादी को अपनी मातृभाषा में शिक्षा नहीं मिल रही है।
- भारत उन दस देशों की सूची में चौथे स्थान पर है, जहां सबसे अधिक भाषाएं बोली जाती हैं।
बहुभाषी शिक्षा के बारे में
- यूनेस्को ने बहुभाषी शिक्षा (MLE) को तीन भाषाओं (मातृभाषा, एक क्षेत्रीय या राष्ट्रभाषा, और एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा) के उपयोग के रूप में परिभाषित किया है।
- भारत की नई शिक्षा नीति, 2020 भी त्रिभाषा फार्मूले को बढ़ावा देती है।

- यूनेस्को के वर्ल्ड एटलस ऑफ लैंग्वेजेज के अनुसार, दुनिया में 8,324 भाषाएं हैं। इनमें बोली जाने वाली भाषाएं और साइन लैंग्वेज (सांकेतिक भाषा), दोनों शामिल हैं।
बहुभाषी शिक्षा के समक्ष मुख्य चुनौतियां
- संसाधन की कमी: प्रशिक्षित शिक्षकों के साथ-साथ बहुभाषी लर्निंग और शिक्षण पाठ्य-पुस्तकों की भी कमी है।
- बहुभाषी नीति का विरोध: कई देशों में स्थानीय भाषाओं को प्राथमिकता देने वाली नीतियों का विरोध करके राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं का समर्थन किया जाता है।
- अन्य कारण: इनमें औपनिवेशिक प्रभाव जैसे ऐतिहासिक कारक शामिल हैं।
रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशें
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