इस रिपोर्ट में पारिस्थितिकी-तंत्र, अर्थव्यवस्थाओं और समाजों को बनाए रखने में पहाड़ों एवं अल्पाइन ग्लेशियर्स (वाटर टावर्स) की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया गया है।
पर्वतीय पारिस्थितिकी-तंत्र
- पारिस्थितिकी-तंत्र: वैश्विक पर्वतीय क्षेत्र के लगभग 40% भाग पर वनों का विस्तार है। इसके अलावा, पर्वतों पर अधिक ऊंचाई पर घास के मैदान और अल्पाइन टुंड्रा वनस्पति मिलती है।
- जल विनियमन: दुनिया की दो-तिहाई सिंचित कृषि पहाड़ों से बहकर आने वाले जल पर निर्भर करती है।
- कार्बन भंडारण: पहाड़ी मिट्टी (विशेष रूप से पर्माफ्रॉस्ट युक्त) में लगभग 66 पेटाग्राम (Pg) मृदा जैविक कार्बन जमा होता है, जो वैश्विक मृदा जैविक कार्बन का 4.5% है।
- जैव विविधता: दुनिया के 34 जैव विविधता हॉटस्पॉट्स में से 25 पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित हैं। इनमें उच्च स्थानिक जैव विविधता पाई जाती है। ये हॉटस्पॉट्स महत्वपूर्ण कृषि और औषधीय पादपों के जीन पूल का संरक्षण करते हैं।
पर्वतीय पारिस्थितिकी-तंत्र की सुभेद्यताएं:
- ग्लेशियर्स की हानि: एंडीज पर्वत श्रृंखला में 1980 के दशक से अब तक 30-50% ग्लेशियर पिघल चुके हैं। हिंदू कुश हिमालय में 2100 तक 50% ग्लेशियर के पिघलने की संभावना है। ग्लेशियर्स का तेजी से पिघलना जल सुरक्षा के समक्ष एक बड़ा खतरा है।
- वाटरमेलन स्नो (ग्लेशियर ब्लड) इफेक्ट: ग्लेशियर्स की सतह पर होने वाला लाल शैवाल प्रस्फुटन इनके एल्बिडो को कम करता है, जिसके कारण बर्फ तेजी से पिघलने लगती है।
- शहरीकरण: यह जल विज्ञान चक्र को गंभीर रूप से बदलता है, जो संसाधनों के अत्यधिक दोहन का कारण बनता है और पारिस्थितिकी संतुलन को बिगाड़कर आपदाओं को बढ़ाता है।
- वायुमंडलीय प्रदूषण: लंबी दूरी तक पहुंचने वाले प्रदूषण के कारण बर्फ के कोर और झील की तलछट में ब्लैक कार्बन की मात्रा में वृद्धि दर्ज की गई है।
हिंदू कुश हिमालय (HKH) के बारे में
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