संशोधित दिशा-निर्देश 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे। ये दिशा-निर्देश बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ धारा 21 और 35A द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किए गए हैं।
संशोधित दिशा-निर्देशों पर एक नजर
- विविध ऋण सीमाओं में वृद्धि:-
- शिक्षा: अब व्यक्ति शिक्षा के लिए 25 लाख रुपये तक का ऋण ले सकते हैं। इसमें व्यावसायिक पाठ्यक्रम भी शामिल है।
- सामाजिक अवसंरचना: यदि कोई व्यक्ति स्कूल, पेयजल जैसी सुविधाएं स्थापित करना चाहता है, तो वह अधिकतम 8 करोड़ रुपये तक का ऋण ले सकता है।
- अन्य: आवास ऋण, कृषि ऋण जैसी अन्य ऋण श्रेणियों की अधिकतम सीमा भी बढ़ाई गई है।
- 'नवीकरणीय ऊर्जा' पर फोकस:
- नवीकरणीय ऊर्जा आधारित विद्युत जनरेटर्स और नवीकरणीय ऊर्जा आधारित पब्लिक यूटिलिटीज (जैसे स्ट्रीट लाइटिंग सिस्टम, दूरदराज के गांवों में विद्युतीकरण आदि) के लिए 35 करोड़ रुपये तक का ऋण लिया जा सकता है।
- नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़ी व्यक्तिगत आवश्यकतों के लिए व्यक्ति 10 लाख रुपये तक का ऋण ले सकता है।
- नवीकरणीय ऊर्जा आधारित विद्युत जनरेटर्स और नवीकरणीय ऊर्जा आधारित पब्लिक यूटिलिटीज (जैसे स्ट्रीट लाइटिंग सिस्टम, दूरदराज के गांवों में विद्युतीकरण आदि) के लिए 35 करोड़ रुपये तक का ऋण लिया जा सकता है।
- प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (UCBs) के लिए PSL लक्ष्य में संशोधन
- कुल प्राथमिकता क्षेत्रक: 60%
- सूक्ष्म उद्यम: 7.5%
- कमजोर वर्गों को अग्रिम: 12%
- ‘कमजोर वर्ग’ की परिभाषा का विस्तार-
- इसमें अब ट्रांसजेंडर्स को भी शामिल किया गया है। साथ ही, पहले की श्रेणियां बरकरार रखी गई हैं, जिनमें सम्मिलित हैं-
- लघु और सीमांत किसान; असंगठित ऋणदाताओं के कर्ज में फंसे किसान; कारीगर; SHGs या संयुक्त देयता समूहों के व्यक्तिगत सदस्य।
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति; दिव्यांग व्यक्ति; भारत सरकार द्वारा अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदाय आदि।
- व्यक्तिगत महिला लाभार्थी ‘प्रति ऋण-प्राप्तकर्ता-2 लाख रुपये तक की ऋण सीमा’ (शहरी सहकारी बैंकों पर ऊपरी सीमा लागू नहीं होगी)।
- इसमें अब ट्रांसजेंडर्स को भी शामिल किया गया है। साथ ही, पहले की श्रेणियां बरकरार रखी गई हैं, जिनमें सम्मिलित हैं-
प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रक के लिए टारगेट्स/ सब-टारगेट्स
