यह रिपोर्ट क्लीन एयर फंड ने जारी की है। रिपोर्ट में यह रेखांकित किया गया है कि अन्य शक्तिशाली प्रदूषकों के साथ-साथ ब्लैक कार्बन के स्तर को कम करने से वायु गुणवत्ता, लोक स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था में सुधार किया जा सकता है। इसके अलावा, सर्वाधिक तेजी से जलवायु को भी बेहतर बनाया जा सकता है।
ब्लैक कार्बन क्या है?

- ब्लैक कार्बन को आमतौर पर कालिख के नाम से जाना जाता है। यह अत्यंत सूक्ष्म कणिकीय वायु प्रदूषण (PM 2.5) का एक घटक है।
- ब्लैक कार्बन एक अल्पकालिक जलवायु प्रदूषक (SLCP) है। यह वायुमंडल में केवल कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक ही बना रहता है।
- शीर्ष उत्सर्जक: चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा ब्लैक कार्बन उत्सर्जक देश है।
ब्लैक कार्बन के प्रभाव
- ग्लोबल वार्मिंग: यह मीथेन सहित उन शक्तिशाली प्रदूषकों में से एक है, जो ग्लोबल वार्मिंग के लगभग आधे हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं।
- क्षेत्रीय जलवायु पर प्रभाव: यह हिमावरण और हिमनदों पर जमा होकर उनका रंग काला कर देता है। इससे आर्कटिक क्षेत्र एवं हिमनदों में बर्फ पिघलने की गति बढ़ जाती है।
- ऐसा अनुमान है कि तिब्बत के पठार में मौजूद याला हिमनद के द्रव्यमान में 39% की कमी आई है।
- जल विज्ञान चक्र में व्यवधान: यह एशिया और पश्चिमी अफ्रीका की मानसूनी वर्षा को प्रभावित करता है। इससे बाढ़ एवं सूखा जैसी घटनाओं का जोखिम बढ़ता है।
इस रिपोर्ट में की गई सिफारिशें
- आर्कटिक में और उसके आसपास के ब्लैक कार्बन गहन क्षेत्रकों (गैस फ्लेयरिंग, पोत-परिवहन क्षेत्रक और रेसिडेंशियल हीटिंग) से ब्लैक कार्बन उत्सर्जन में कटौती करनी चाहिए।
- राष्ट्रीय स्वच्छ वायु और ऊर्जा नीतियों के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों (NDCs) में संशोधन करके ब्लैक कार्बन में कटौती करने संबंधी लक्ष्यों को शामिल किया जाना चाहिए।
- शक्तिशाली प्रदूषकों पर समन्वित कार्रवाई की जानी चाहिए। जैसे व्यापक अपशिष्ट प्रबंधन समाधान को अपनाना आदि।