ट्रिपल टेस्ट
झारखंड सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आबादी पर आंकड़े एकत्र किए हैं। यह स्थानीय निकायों में OBC को आरक्षण देने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित "ट्रिपल टेस्ट" की पहली कड़ी है।
ट्रिपल टेस्ट के बारे में
- ट्रिपल टेस्ट की अवधारणा 2021 में विकास किशनराव गवली बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित की गई थी।
- ट्रिपल टेस्ट के तीन चरण इस प्रकार हैं:
- इस उद्देश्य के लिए एक अलग आयोग गठित किया जाएगा। यह आयोग स्थानीय निकाय क्षेत्र में किसी वर्ग के पिछड़ेपन की प्रकृति और आरक्षण के पड़ने वाले प्रभावों पर गहन अध्ययन करके डेटा जुटाएगा।
- आयोग की सिफारिशों के आधार पर आवश्यक आरक्षण का प्रतिशत निर्धारित किया जाएगा।
- यह सुनिश्चित करना होगा कि अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और OBC के लिए आरक्षण मिलाकर कुल सीटों का 50% से अधिक न हो।
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गरिमा के साथ आयुर्वृद्धि
देश की राष्ट्रपति ने 'गरिमा के साथ आयुर्वृद्धि–वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण हेतु पहलें” ('Ageing with Dignity - Initiatives for the Welfare of Senior Citizens)' कार्यक्रम में वरिष्ठ नागरिकों के लिए कई पहलों का शुभारंभ किया।
शुरू की गई पहलें:
● वरिष्ठ नागरिक कल्याण पोर्टल: यह एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है। यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए सरकारी योजनाओं, स्वास्थ्य-देखभाल के लाभों और कल्याणकारी सेवाओं की प्राप्ति को आसान बनाता है।
● वरिष्ठ नागरिक आवास: यह केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के कार्यक्रम के तहत समर्थित है। यह पहल ‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम’ (MWPSC Act) के अनुरूप है।
● ब्रह्मकुमारी संस्था के साथ समझौता ज्ञापन (MoU): इसका उद्देश्य भावनात्मक संतुलन, आत्मचिंतन (mindfulness), और पीढ़ियों के बीच आपसी संबंध को बढ़ावा देना है।
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Articles Sources
RBI द्वारा विनियमित बाजार
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा विनियमित बाजारों के व्यापार और निपटान समय की व्यापक समीक्षा हेतु गठित एक कार्य समूह ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
- RBI भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934; विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 2000; सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006; तथा भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत निम्नलिखित बाजारों का विनियमन करता है:
- मनी मार्केट: कॉल मनी, मार्केट रेपो, ट्राई-पार्टी रेपो (TREP) आदि।
- सरकारी प्रतिभूति बाज़ार: दीर्घकालिक प्रतिभूतियां (Dated Securities), ट्रेजरी बिल्स (T-Bills), राज्य सरकारों की प्रतिभूतियां आदि।
- विदेशी मुद्रा बाज़ार: स्पॉट, फॉरवर्ड, स्वैप इत्यादि।
- डेरिवेटिव बाजार: ब्याज दर, विदेशी मुद्रा, और क्रेडिट पर आधारित डेरिवेटिव्स।
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रम्माण उत्सव
रम्माण उत्सव वर्तमान में उत्तराखंड में मनाया जा रहा है। यह उत्सव यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल है।
रम्माण उत्सव के बारे में:
- यह वार्षिक उत्सव अप्रैल के अंत में, फसल कटाई के बाद उत्तराखंड के सलूड़-डुंगरा नामक जुड़वां गांवों में मनाया जाता है।
- धार्मिक महत्त्व: यह उत्सव गांव के क्षेत्रपाल भूमियाल देवता के सम्मान में आयोजित किया जाता है।
- मुख्य विशेषताएं:
- इसमें विधि-विधान वाले धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।
- रामायण की स्थानीय प्रस्तुति और पाठ तथा मुखौटा पहनकर नृत्य एवं गीतों का प्रदर्शन किया जाता है।
- इन प्रस्तुतियों का एक अन्य महत्त्वपूर्ण पहलू जागर गायन है। ये गीत लोक देवी या देवताओं की कहानियों का बखान करते हैं।
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- सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची
- धार्मिक अनुष्ठान
ब्लैक होल बम
वैज्ञानिकों ने पहली बार "ब्लैक होल बम" की प्रयोगशाला में प्रतिकृति (analog) तैयार की है। यह एक सैद्धांतिक अवधारणा है, जिसे 1971 में भौतिकशास्त्री याकोव ज़ेल्डोविच (Yakov Zel’dovich) ने प्रस्तावित किया था।
ब्लैक होल बम के बारे में:
- अवधारणा: यह विचार एक घूर्णनशील ब्लैक होल की विशेष रूप से एर्गोस्फीयर में अत्यधिक घूर्णी-ऊर्जा का उपयोग करता है। एर्गोस्फीयर में ब्लैक होल की घूर्णन गति पास की कणीय-तरंगों को और अधिक ऊर्जा प्रदान करती है।
- एर्गोस्फीयर वास्तव में ब्लैक होल के इवेंट होराइजन के ठीक बाहर का क्षेत्र है।
- प्रक्रिया: ज़ेल्डोविच ने कल्पना की थी कि यदि एक अत्यंत तीव्र गति से घूमता हुआ बेलनाकार पिंड (cylinder) किसी तरंग (wave) से टकराता है, तो वह उस तरंग की ऊर्जा को बढ़ा सकता है, विशेष रूप से जब वह उससे परावर्तित होती है।
- ज़ेल्डोविच प्रभाव (Zel’dovich Effect): यह तब उत्पन्न होता है, जब कोई घूमता हुआ पिंड उस वेग से अधिक गति से घूमता है, जिस वेग में तरंगें उस ओर आ रही हैं। परिणामस्वरूप, तरंगों की आवृत्ति और ऊर्जा बढ़ जाती है। यह प्रभाव डॉप्लर प्रभाव के समान है, लेकिन ऐसा गति नहीं, बल्कि घूर्णन के कारण होता है।
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- इवेंट होराइजन
ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI/ सेबी) ने निवेशकों को ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से लेन-देन करने के प्रति सचेत किया है।
ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स के बारे में
- अवधारणा: ये प्लेटफॉर्म्स प्रतिभागियों को किसी भी खेल, राजनीतिक स्थिति, मौसम या क्रिप्टो घटनाओं पर अपने पूर्वानुमानों में निवेश करके पैसा कमाने का विकल्प देते हैं:
- प्रतिभागी अपने पूर्वानुमानों के आधार पर किसी भी घटना पर दांव लगा सकते हैं।
- यदि पूर्वानुमान सही निकलता है, तो प्रतिभागी को धन मिलता है, तथा यदि पूर्वानुमान गलत होता है, तो उसे हार का सामना करना पड़ता है।
- कानूनी स्थिति: यह सेबी द्वारा विनियमित नहीं है, क्योंकि इसके तहत जिन वस्तुओं का कारोबार किया जा रहा है वे भारतीय कानून के तहत प्रतिभूतियों के रूप में वर्गीकृत नहीं हैं।
- अर्थव्यवस्था: इन प्लेटफॉर्म्स ने 5 करोड़ से अधिक लोगों के उपयोगकर्ता आधार के साथ प्रति वर्ष 50,000 करोड़ रुपये से अधिक का लेनदेन दर्ज किया है।
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- ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म
माइटोकॉन्ड्रियल DNA
हाल ही में वैज्ञानिकों ने PZL-A नामक एक सूक्ष्म अणु खोजा है। यह एक प्रमुख माइटोकॉन्ड्रियल एंजाइम को लक्षित करता है, और यह mtDNA म्यूटेशन से होने वाले दुर्लभ अनुवांशिक विकारों के इलाज के लिए संभावित उपचार प्रदान कर सकता है।
माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (mtDNA) के बारे में
- उपस्थिति: माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए एक वृत्ताकार गुणसूत्र है, जो माइटोकॉन्ड्रिया के भीतर पाया जाता है। यह कोशिकाओं में ऊर्जा उत्पादन करने वाला अंगक (organelle) होता है।
- mtDNA की विशेषताएं
- स्वयं का DNA: माइटोकॉन्ड्रिया एकमात्र अंगक है, जिसमें नाभिकीय DNA से अलग अपना स्वयं का आनुवंशिक पदार्थ होता है।
- मातृ वंशागति: mtDNA केवल माता से ही वंशानुक्रम में प्राप्त होता है, न कि पिता से।
- माइटोकॉन्ड्रियल रोग का उपचार: माइटोकॉन्ड्रियल रिप्लेसमेंट थेरेपी (MRT) के तहत उत्परिवर्तित mtDNA को स्वस्थ माइटोकॉन्ड्रियल DNA से प्रतिस्थापित किया जाता है।
- इसे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) से पहले या बाद में संपन्न किया जा सकता है।
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- माइटोकॉन्ड्रियल DNA
- PZL-A
- वृत्ताकार गुणसूत्र
बायोस्वेल
बायोस्वेल एक प्रभावशाली प्रकृति-आधारित समाधान (NBS) है। इसे जैव विविधता को बढ़ावा देने और शहरी परिदृश्य को बेहतर बनाने के साथ-साथ वर्षा जल अपवाह को प्रबंधित करने में भी मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
बायोस्वेल के बारे में:
- अवधारणा: ये उथली व वनस्पतियुक्त गड्ढेनुमा क्यारियां होती हैं, जो जल के अपवाह को रोकने एवं फ़िल्टर के लिए बनाई जाती हैं।
- कार्य: ये अपरदन को नियंत्रित करने, प्रदूषकों को कम करने और भूजल पुनर्भरण को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।
- डिजाइन: आमतौर पर पानी को फ़िल्टर करने में सहायता के लिए इनमें देशी पौधे लगाए गए हैं तथा बजरी और रेत को भरा जाता है।
- लाभ: वर्षा जल अपवाह प्रबंधन में सुधार, बाढ़ में कमी, तथा स्थानीय जैव विविधता में वृद्धि।
- अवस्थिति: इस विधि का आमतौर पर शहरी क्षेत्रों में सड़कों, पार्किंग स्थलों और छतों से बहते पानी के प्रबंधन के लिए उपयोग किया जाता है।
- किस्में: क्षेत्र और वर्षा के पैटर्न के आधार पर आकार, आकृति एवं इनकी गहराई में भिन्नता हो सकती है।
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- बायोस्वेल
- प्रकृति-आधारित समाधान