भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी भारत में पश्चिमी विक्षोभ के कारण भारी बारिश और तेज हवाएं देखने को मिली ।
- पश्चिमी विक्षोभ की आवृत्ति में वृद्धि हुई है, जो सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन से जुड़ी हुई है।
पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances) के बारे में
- पश्चिमी विक्षोभ बहिरुष्णकटिबंधीय (Extratropical) तूफान होते हैं, जो ध्रुवीय और उष्णकटिबंधीय पवनों के बीच परस्पर क्रिया से बने कम दबाव वाले क्षेत्रों के कारण उत्पन्न होते हैं।
- ये उपोष्णकटिबंधीय पछुआ जेट स्ट्रीम से संबंधित हैं, जो हिमालय और तिब्बती उच्चभूमि के ऊपर वायुमंडल में प्रवाहित होती हैं।
- यह जेट स्ट्रीम वायुमंडल में अधिक ऊंचाई पर तेज गति से बहने वाली वायु धारा है, जो पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है।
- ये उपोष्णकटिबंधीय पछुआ जेट स्ट्रीम से संबंधित हैं, जो हिमालय और तिब्बती उच्चभूमि के ऊपर वायुमंडल में प्रवाहित होती हैं।
- पश्चिमी विक्षोभ कैस्पियन सागर या भूमध्य सागर क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं। ये हिंदू कुश, काराकोरम और पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में अचानक शीतकालीन वर्षा करते हैं।
- विशेषताएं:
- यह एक गैर-मानसूनी वर्षण है, जो पछुआ पवनों द्वारा संचालित होती है।
- ये अधिकतर बोरियल शीतकाल (दिसंबर से मार्च) के दौरान सबसे अधिक सामान्य होते हैं।
- इसके परिणामस्वरूप शीत लहरें, कोहरा, हिमस्खलन, भूस्खलन, बिजली गिरना और भारी वर्षा होती है।
- उदाहरण के लिए- जून 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़।
- महत्त्व: शीतकालीन वर्षा जल सुरक्षा और कृषि, विशेषकर रबी फसलों के लिए महत्वपूर्ण होती है।
जलवायु परिवर्तन और पश्चिमी विक्षोभ
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