कर्नाटक सरकार ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (WPA) 1972 की धारा 36A के तहत हेसरघट्टा घासभूमि संरक्षण रिजर्व को अधिसूचित किया है।
संरक्षण रिजर्व
- संरक्षण रिजर्व को WPA, 1972 के तहत संरक्षित क्षेत्र माना जाता है। इसे राज्य सरकारों और केंद्र सरकार द्वारा भू-परिदृश्य, समुद्री-परिदृश्य, वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण के लिए घोषित किया जा सकता है।
- ये आमतौर पर देश के स्थापित राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों और रिजर्वड एवं संरक्षित वनों के बीच बफर जोन या कनेक्टर एवं प्रवास हेतु गलियारों के रूप में कार्य करते हैं।
- विनियमन: राज्य सरकार द्वारा गठित संरक्षण रिजर्व प्रबंधन समिति, मुख्य वन्यजीव वार्डन को सलाह देती है।
हेसरघट्टा घासभूमि के बारे में
- यह बेंगलुरु के निकट हेसरघट्टा झील के आसपास स्थित है तथा बेंगलुरु क्षेत्र की आखिरी बची घासभूमि है।
- घासभूमियां वस्तुतः गर्म व शुष्क जलवायु युक्त घास की अधिकता वाले खुले क्षेत्र होते हैं। ये विश्व स्तर पर सबसे व्यापक रूप से मौजूद स्थलीय बायोम में से एक हैं।
- घासभूमियां वैश्विक भू-क्षेत्र के 20-40% तथा भारत के भौगोलिक क्षेत्र के लगभग 24% भाग पर फैली हुई हैं।
- वैश्विक स्तर पर इन्हें उष्णकटिबंधीय सवाना, शीतोष्ण घासभूमियां और स्टेपीज़ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
- महत्त्व:
- यह तेंदुए, भारतीय लोमड़ी, स्मूथ कोटेड ऑटर और प्रवासी पक्षियों आदि सहित जैव विविधता संपन्न क्षेत्र है।
- यह भूजल स्तर का पुनर्भरण करने के लिए जलग्रहण क्षेत्र के रूप में कार्य करता है।
- यह स्पंज की तरह काम करते हुए वर्षा के जल को रोके रखने में मदद करता है।
- इसमें अर्कावती नदी, तिप्पगोंडानहल्ली जलाशय और हेसरघट्टा झील का बड़ा जलग्रहण क्षेत्र शामिल है।
