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कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना (KLIP) | Current Affairs | Vision IAS
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Posted 05 May 2025

38 min read

कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना (KLIP)

राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (NDSA) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में आई बाढ़ से कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना (KLIP) के बैराज की संरचना को गंभीर क्षति पहुंची है।

राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण के बारे

  • यह एक वैधानिक संस्था है। इसे राष्ट्रीय बांध सुरक्षा अधिनियम, 2021 के तहत स्थापित किया गया है।
  • यह बड़े बांधों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय विनियामक के रूप में कार्य करता है।

कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना के बारे में

  • यह बहुउद्देशीय परियोजना तेलंगाना में गोदावरी नदी पर स्थित है।  
    • गोदावरी नदी को दक्षिण गंगा भी कहा जाता है। यह भारत की सबसे बड़ी प्रायद्वीपीय नदी है।
      • इस नदी का उद्गम महाराष्ट्र के नासिक में पश्चिमी घाट से होता है। यह नदी बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
  • यह विश्व की सबसे बड़ी बहु-चरणीय लिफ्ट सिंचाई परियोजना होगी।
    • लिफ्ट सिंचाई परियोजना में जल को पंप या सर्ज पूल्स के जरिए  ऊँचाई पर स्थित मुख्य वितरण चैम्बर तक पहुंचाया जाता है। फिर वहां से वांछित जगहों पर जल की आपूर्ति की जाती है।
  • यह परियोजना 13 जिलों में  500 किलोमीटर में फैली है। इस परियोजना के अंतर्गत नहरों का नेटवर्क लगभग 1,800 किलोमीटर तक विस्तृत है।
  • Tags :
  • KLIP
  • राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण

चिनाब नदी

सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद, भारत सरकार ने बगलिहार बांध से जल के प्रवाह को घटा दिया है।

  • बगलिहार बांध जम्मू और कश्मीर में चिनाब नदी पर स्थित रन-ऑफ-द-रिवर हाइड्रोपावर परियोजना का एक हिस्सा है। 

चिनाब नदी के बारे में

  • चिनाब, सिंधु नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
  • यह नदी पाकिस्तान के मिथानकोट में सिंधु नदी में मिल जाती है।
  • उद्गम स्थल: यह नदी हिमाचल प्रदेश में बारालाचा दर्रा के दोनों ओर से निकलने वाली दो धाराओं- चंद्रा और भागा के संगम से बनती है।
    • इसलिए इसे कभी-कभी चंद्रभागा नदी भी कहा जाता है।
  • प्रमुख सहायक नदियां: मियार नाला, सोहल, मरूसुदर (Marusudar), लिद्दर नदी, आदि।
  • झेलम नदीपाकिस्तान में झांग के पास चिनाब में मिलती है।
  • Tags :
  • चिनाब नदी
  • बगलिहार बांध
  • मिथानकोट

एग्रीफोटोवॉल्टिक्स

हाल के विश्लेषण से यह सामने आया है कि एग्रीफोटोवॉल्टिक्स (APVs) एक ऐसा मॉडल है जो भूमि उपयोग की दक्षता बढ़ाकर किसानों की आय में वृद्धि करता है।

एग्रीफोटोवॉल्टिक्स (APVs) के बारे में

  • इसे सोलर फार्मिंग भी कहते हैं। 
  • परिभाषा: इस मॉडल के तहत एक ही भू-क्षेत्र का उपयोग मुख्य रूप से कृषि उत्पादन और द्वितीयक गतिविधि के रूप में सोलर फोटोवोल्टिक (PV) सिस्टम के द्वारा सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए किया जाता है।  
  • प्रमुख घटक: 
    • सोलर पैनल्स; 
    • सौर ट्रैकिंग प्रणाली, जो सूर्य का अनुसरण करती है ताकि अधिकतम ऊर्जा प्राप्त की जा सके। 
    • छाया-सहिष्णु फसलें: अधिक सौर विकिरण और तेज हवाओं से सुरक्षा के लिए उगाई जाती हैं।
  • प्रमुख लाभ:
    • किसानों के लिए: फसल विफलता की स्थिति में ऊर्जा उत्पादन से  वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित होती है। इससे खाद्य और ऊर्जा, दोनों प्रकार की सुरक्षा प्राप्त होती है।
    • पर्यावरण के लिए: कार्बन उत्सर्जन में कमी होती है। साथ ही, भूमि और जल का संरक्षण होता है क्योंकि सोलर पैनल्स की छाया से वाष्पीकरण में कमी आती है।
  • Tags :
  • एग्रीफोटोवॉल्टिक्स
  • सोलर फार्मिंग
  • सौर ट्रैकिंग प्रणाली

डाई (2-एथिलहेक्सिल) थैलेट (DEHP)

हालिया अध्ययन में यह पाया गया है कि डाई (2-एथिलहेक्सिल) थैलेट (DEHP) के संपर्क और हृदय रोग से मृत्यु के बीच एक संबंध मौजूद है।

डाई (2-एथिलहेक्सिल) थैलेट (DEHP) के बारे में

  • इसे बिस (2-एथिलहेक्सिल) थैलेट भी कहा जाता है।
  • DEHP एक कृत्रिम रसायन है जिसे प्लास्टिक को लचीला बनाने के लिए उसमें मिलाया जाता है।
  • यह एक रंगहीन और लगभग गंधहीन तरल होता है।
  • यह आसानी से वाष्पित नहीं होता। यही वजह है कि उत्पादन स्थल के पास भी वायु में बहुत कम मात्रा में प्राप्त होता है।
  • यह जल की तुलना में गैसोलीन, पेंट रिमूवर और तेल जैसे पदार्थों में अधिक आसानी से घुलता है।
  • यह कई घरेलू वस्तुओं में पाया जाता है, जैसे: भोजन रखने के कंटेनर,  चिकित्सीय उपकरण, खिलौने, शैम्पू और लोशन। 
  • इस रसायन का असर विकसित हो रहे भ्रूण (developing fetus) और पुरुष जनन तंत्र (male reproductive system) पर पड़ता है।
  • Tags :
  • 2-एथिलहेक्सिल
  • DEHP

इग्ला-एस (Igla-S)

भारतीय थल सेना को शत्रुओं के ड्रोन, हेलीकॉप्टर और जेट विमानों से निपटने के लिए नए रूसी इग्ला-एस मिसाइल सिस्टम प्राप्त हुए हैं।

इगला-एस (Igla-S) के बारे में

  • इगला-एस मैन-पोर्टेबल है यानी इसे एक आदमी भी ढो सकता है। यह कंधे से दागी जाने वाली व सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। इसे अधिक खतरे वाले क्षेत्रों में तैनात जमीनी सुरक्षा बलों द्वारा उपयोग के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है।
  • यह वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS) का एक अत्याधुनिक संस्करण है।
  • प्रमुख विशेषताएं:
    • यह इन्फ्रारेड (IR) होमिंग तकनीक का उपयोग करती है। यह हवाई लक्ष्यों की हीट सिग्नेचर को पहचान करके उन्हें निशाना बनाती है।
    • मिसाइल दागे जाने के बाद, यह स्वतः टारगेट के इंजन से निकलने वाली हीट का पीछा करती है।
      • यह विशेषता इसे ड्रोन, हेलीकॉप्टर जैसे तेज और छोटे लक्ष्यों को निशाना बनाने में कुशल बनाती है। 
    • रेंज: 6 किलोमीटर दूर तक तथा यह 3.5 किलोमीटर की ऊँचाई तक के लक्ष्य को भेद सकती है।
  • Tags :
  • VSHORADS
  • इग्ला-एस
  • Igla-S

हॉकआई (HawkEye) 360 प्रौद्योगिकी

हाल ही में, अमेरिका ने भारत को हॉकआई 360 तकनीकी उपकरण की बिक्री को मंजूरी दी है ताकि भारत अपनी निगरानी क्षमता को बढ़ा सके।

हॉकआई 360 तकनीक के बारे में

  • इसके तहत रेडियो फ्रिक्वेंसी (RF) सिग्नल्स का पता लगाने, जिओलोकेट करने और उनका विश्लेषण करने के लिए निम्न भू-कक्षा में मौजूद तीन उपग्रहों के समूहों का उपयोग किया जाता है।

भारत के लिए महत्व

  • यह उन जहाजों का पता लगा सकता है जो विवादित या संवेदनशील क्षेत्रों में ट्रैकिंग से बचने के लिए अपने ऑटोमेटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS) को बंद कर देते हैं।
  • इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की समुद्री क्षेत्र संबंधी जागरूकता बढ़ेगी।
    • भारतीय सशस्त्र बल अब मछली पकड़ने की अवैध गतिविधियों और तस्करी पर पहले से कहीं अधिक प्रभावी ढंग से निगरानी रखने और कार्रवाई करने में सक्षम होंगे।
  • Tags :
  • हॉकआई
  • ऑटोमेटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम

मांगर बानी

मांगर बानी में पुरातत्वविदों ने निम्न पुरापाषाण काल के प्रागैतिहासिक औजारों की खोज की है।

मांगर बानी के बारे 

  • यह पुरापाषाण काल का एक स्थल है तथा दिल्ली-हरियाणा सीमा पर अरावली पर्वतमाला में एक पवित्र उपवन पहाड़ी वन है।
  • यह दिल्ली NCR के एकमात्र प्राथमिक वन में अवस्थित है।
    • प्राथमिक वन वे वन होते हैं जो मानवीय हस्तक्षेप से लगभग अछूते रहते हैं और जिनमें देशी वृक्ष प्रजातियाँ स्वाभाविक रूप से उगती हैं।
  • प्रमुख विशेषताएं:
    • यहाँ आज से 1,00,000 वर्ष पूर्व से लेकर 1000 ई. तक लगातार मानव अधिवास का प्रमाण मिलता है।
    • यहाँ के शैलाश्रय, शैलचित्र और गुफा चित्र लगभग 20,000-40,000 वर्ष पुराने हैं।
  • Tags :
  • मांगर बानी
  • प्राथमिक वन

संथारा

हाल ही में, संथारा नामक जैन अनुष्ठान सुर्ख़ियों में रहा है।

संथारा / सल्लेखना / पंडित-मरण / सखम-मारण के बारे में 

  • यह एक जैन धार्मिक प्रथा है, जिसमें व्यक्ति स्वेच्छा से उपवास के माध्यम से अपने जीवन का अंत करने का निर्णय लेता है।
  • ऐसा माना जाता है कि जैन धर्म की स्थापना के समय से ही इसका प्रचलन रहा है और आगम में भी इसका उल्लेख मिलता है।
  • प्रकार:
    • त्रिविहार (भोजन त्यागना, परन्तु जल नहीं) और 
    • चौविहार (भोजन के साथ जल भी त्यागना)।
  • जैन धर्मग्रंथों के अनुसार, संथारा केवल तभी किया जाना चाहिए जब मृत्यु निकट हो, या जब कोई व्यक्ति वृद्धावस्था, असाध्य बीमारी या अकाल जैसी चरम स्थितियों के कारण धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हो।
  • कानूनी स्थिति: 2015 में, राजस्थान हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि संथारा को अवैध माना जाना चाहिए, तथा इसे भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के तहत आत्महत्या के बराबर माना जाना चाहिए (जिस पर बाद में सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी)।
  • Tags :
  • सल्लेखना
  • संथारा
  • त्रिविहार
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