रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म (SAP) के पहले सफल परीक्षण के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है जिनके पास स्वदेशी हाई-एल्टीट्यूड प्लेटफॉर्म सिस्टम (HAPS) है।
- इसे एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (ADRDE), आगरा द्वारा विकसित किया गया है।
- यह भारत की पृथ्वी-अवलोकन तथा खुफिया, निगरानी और टोही (Intelligence, Surveillance & Reconnaissance: ISR) क्षमता को बढ़ाएगा।
स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म (SAP) क्या है?
- यह मानव-रहित एयरशिप है। यह पृथ्वी से 17 से 22 किलोमीटर की ऊंचाई पर समतापमण्डल (Stratosphere) में संचालित होता है।
- यह हाई एल्टीट्यूड स्यूडो सैटेलाइट (HAPS) के रूप में कार्य करता है और लंबे समय तक हवा में रह सकता है।
- HAPS दो प्रकार के होते हैं:
- एयरोडायनामिक: यह हवा से भारी हो सकता है, जैसे कि फिक्स्ड विंग वाले विमान।
- एयरोस्टेटिक: यह हवा से हल्का होता है, जैसे कि गुब्बारे और एयरशिप।
- लिफ्टिंग तंत्र: यह उड़ान के लिए हीलियम (Helium) गैस का उपयोग करता है।
- ऊर्जा स्रोत: यह सौर ऊर्जा से संचालित होता है और रात्रि में संचालन के लिए ऑनबोर्ड बैटरियों का उपयोग करता है।
SAP के सामरिक लाभ
- स्थायी निगरानी: यह सैटेलाइट या विमानों की तुलना में किसी क्षेत्र के ऊपर कई दिनों या कई सप्ताहों तक निगरानी रख सकता है। इससे लगातार निगरानी और संचार में सहायता मिलती है।
- बहु-उपयोगी प्लेटफॉर्म: इसमें इमेजिंग सेंसर, रडार और टेलीकॉम पेलोड्स लगाए जा सकते हैं। इससे सीमाओं की निगरानी, आपदा प्रबंधन और खुफिया अभियानों में मदद मिलती है।
- यह तकनीक ऐसे कार्यों को भी अंजाम देने में सक्षम है, जो सैटेलाइट और ड्रोन नहीं कर पाते। इससे अंतरिक्ष जैसी व्यापक कवरेज मिलती है, वह भी कम लागत में। साथ ही इसे तेजी से तैनात किया जा सकता है और आवश्यकता अनुसार, किसी भी समय और किसी भी रूप में उपयोग में लाया जा सकता है।