रिपेयरेबिलिटी इंडेक्स (RI) के लिए फ्रेमवर्क तैयार करने हेतु भरत खेड़ा की अध्यक्षता में गठित समिति ने उपभोक्ता मामलों के विभाग (DoCA) को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
रिपेयरेबिलिटी इंडेक्स के लिए फ्रेमवर्क के बारे में (समिति की सिफारिशें):

- ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (OEMs) को फ्रेमवर्क में दिए गए स्कोरिंग मापदंडों के आधार पर रिपेयरेबिलिटी इंडेक्स संबंधी स्व-घोषणा करना अनिवार्य है।
- रिपेयरेबिलिटी इंडेक्स को बिक्री/खरीद केन्द्रों, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर तथा पैकेज्ड उत्पादों पर क्यू.आर. कोड के रूप में प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
- रिपेयरेबिलिटी इंडेक्स के प्रारंभिक चरण के लिए स्मार्टफोन और टैबलेट को प्राथमिकता श्रेणी के रूप में चुना गया है।
- रिपेयरेबिलिटी इंडेक्स का आकलन छह मुख्य मापदंडों पर किया जाएगा (इन्फोग्राफिक देखें)।
- प्रत्येक मापदंड के लिए स्कोरिंग मानदंड और भारांश विकसित किए गए हैं।
- उत्पाद के प्राथमिक भागों या प्रायोरिटी पार्ट्स के भारांश को जोड़ने के बाद पांच-बिंदु वाले न्यूमेरिक स्केल पर रिपेयरेबिलिटी इंडेक्स निकाला जाता है।
रिपेयरेबिलिटी इंडेक्स का महत्व
- मरम्मत या रिपेयर की सुविधा में सुधार: मोबाइल और टैबलेट उत्पाद श्रेणी से जुड़ी शिकायतों में काफी वृद्धि हुई है, जो 2022-2023 के 19,057 से बढ़कर 2024-2025 में 22,864 हो गई।
- संधारणीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: यह संधारणीय उपभोग को बढ़ावा देते हुए LiFE (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) की अवधारणा को मजबूती प्रदान करता है।
- ‘योजनाबद्ध तरीके से अप्रचलन (Planned Obsolescence)’ के मुद्दे का समाधान: प्रायः कंपनियां जानबूझकर ऐसे उत्पाद बनाती हैं जो थोड़े समय में खराब हो जाएं और नए उत्पाद खरीदने पड़ें।
- रोजगार सृजन: थर्ड-पार्टी द्वारा मरम्मत की अनुमति से रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।
राइट टू रिपेयर के बारे में
- इसमें कंपनियों से कहा गया है कि वे उत्पादों का जीवनकाल बढ़ाने के लिए ग्राहकों और रिपेयर करने वाली दुकानों को स्पेयर पार्ट्स, उपकरण और उत्पाद की मरम्मत करने से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराएं।
- उपभोक्ता मामलों के विभाग (DoCA) ने 2022 में ‘राइट टू रिपेयर पोर्टल इंडिया’ शुरू किया था, ताकि मरम्मत से जुड़ी आवश्यक जानकारी आसानी से उपलब्ध हो सके।