वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को खेतों में धान की पराली जलाने की घटनाओं को रोकने हेतु निर्देश जारी किए हैं। ये निर्देश सुप्रीम कोर्ट के एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ मामले में दिए गए निर्णय के अनुसरण में जारी किए गए हैं।
- CAQM की स्थापना राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इसके आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक से संबंधित समस्याओं से बेहतर तरीके से निपटने में समन्वय करने और इनके समाधान के लिए की गई है।
CAQM के मुख्य निर्देशों पर एक नजर

- विशेष ‘पराली सुरक्षा बल (Parali Protection Force)’ का गठन: इस बल में पुलिस अधिकारी, कृषि विभाग के अधिकारी आदि शामिल होंगे।
- ईंट भट्टों में धान के भूसे की पेलेट्स/ ब्रिकेट्स की को-फायरिंग अनिवार्य करना: इसे थर्मल पावर प्लांट्स की तर्ज पर लागू किया जा सकता है।
- सभी गांवों में प्रत्येक खेत की मैपिंग करना: इसका उद्देश्य पराली से निपटने के प्रस्तावित तरीकों को अपनाना है। इन तरीकों में फसल विविधीकरण यानी अन्य फसलों की खेती को अपनाना; खेतों में ही पराली का अन्य तरीके से उपयोग करना, आदि शामिल हैं।
- धान के पुआल (डंठल) की खरीद के लिए निर्धारित दर तय करना: पंजाब और उत्तर प्रदेश को हरियाणा की तर्ज पर एक समान दर निर्धारित करने का निर्देश दिया गया है।
- खेत से बाहर यानी अन्य जगह (Ex-situ) पराली के उपयोग को बढ़ावा देना: इसके लिए बेलर, रेकर और अन्य मशीनों का समुचित उपयोग किया जाना चाहिए।
- अन्य निर्देश:
- रीयल-टाइम और निरंतर डेटा रिपोर्टिंग हेतु एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म शुरू करना चाहिए।
- फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) मशीनों की सूची की व्यापक समीक्षा करनी चाहिए।