इस रिपोर्ट में विनिर्माण, सेवा और व्यापार के 19 क्षेत्रकों में MSMEs के सामने आने वाली निम्नलिखित प्रमुख चुनौतियों को शामिल किया गया है:
- वित्त की उपलब्धता, प्रौद्योगिकी को अपनाना, प्रतिस्पर्धा, अनुपालन, बाजार तक पहुंच, अवसंरचना, आपूर्ति श्रृंखला और कुशल श्रम की उपलब्धता।
अर्थव्यवस्था में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSMEs) का योगदान
- सकल मूल्य वर्धन में योगदान: वित्त वर्ष 2022-23 में 30.1% तक।
- निर्यात में योगदान: वित्त वर्ष 2024-25 में 45.79% (मई 2024 तक)।
MSMEs क्षेत्रक के समक्ष प्रमुख चुनौतियां
- ऋण की अपर्याप्त उपलब्धता: इसके लिए MSMEs में औपचारीकरण का अभाव, अपर्याप्त क्रेडिट हिस्ट्री, ऋण योजनाओं के बारे में जागरूकता की कमी, अपेक्षित पारदर्शिता और विनियामक मानदंडों के बावजूद पूंजी बाजार का लाभ उठाने में असमर्थता आदि कारक जिम्मेदार हैं।
- उच्च प्रतिस्पर्धा और प्रौद्योगिकी अपनाना: इनके लिए तेजी से विकसित हो रहा व्यावसायिक परिदृश्य और नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने की आवश्यकता एक बड़ी चुनौती है। ऐसा इस कारण, क्योंकि कई MSMEs के पास प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए संसाधनों और विशेषज्ञता का अभाव है।
- अन्य: इसमें जटिल विनियामक व्यवस्था, अपर्याप्त अवसंरचना, सुविधाओं की अस्थिर और महंगी आपूर्ति, कच्चे माल एवं कुशल जनशक्ति का अभाव आदि शामिल हैं।
MSMEs के लिए शुरू की गई प्रमुख पहलें
- केंद्रीय बजट 2025-26 में की गई घोषणाएं: इसमें MSMEs का संशोधित वर्गीकरण, सूक्ष्म उद्यमों के लिए क्रेडिट कार्ड, नए फंड ऑफ फंड्स की स्थापना, क्रेडिट गारंटी को मजबूत करना, स्वच्छ तकनीक विनिर्माण का समर्थन करने के लिए राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन आदि शामिल हैं।
- MSMEs विकासात्मक योजनाएं: सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए ऋण गारंटी योजना, सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के डिजिटल फुटप्रिंट्स के आधार पर नए ऋण मूल्यांकन मॉडल की घोषणा जुलाई 2024 के केंद्रीय बजट में की गई थी आदि।
