राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने श्रम बाजार में कम समय-अंतराल पर डेटा की मांग को पूरा करने के लिए PLFS में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए। NSO केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के अधीन कार्य करता है।
- PLFS की शुरुआत वर्ष 2017 में NSO द्वारा की गई थी।
जनवरी 2025 से PLFS में किए गए प्रमुख बदलाव
- पहली बार: अब पूरे भारत के लिए प्रत्येक माह श्रम बल भागीदारी दर (LFPR), श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR), और बेरोजगारी दर (UR) पर आंकड़े जारी किए जाएंगे।
- यह वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (CWS) के आधार पर किया जाएगा।
- त्रैमासिक अनुमान का विस्तार: रोजगार-बेरोजगारी संकेतकों के अनुमान अब ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों को कवर करेंगे। पहले ये अनुमान केवल शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित थे।
- वार्षिक रिपोर्ट को कैलेंडर वर्ष के अनुसार जारी किया जाएगा: वार्षिक रिपोर्ट जनवरी-दिसंबर के आधार पर जारी की जाएगी। पूर्व में यह रिपोर्टिंग जुलाई–जून चक्र पर आधारित थी।
- यह बदलाव अंतर्राष्ट्रीय डेटाबेस के साथ बेहतर तालमेल सुनिश्चित करेगा।
- सैंपल साइज में वृद्धि: सर्वेक्षण में शामिल होने परिवारों की संख्या में 2.65 गुना वृद्धि की गई है।
- इससे श्रम बाजार संकेतकों के अनुमान अधिक सटीक और विश्वसनीय होंगे।
- सभी भौगोलिक क्षेत्रों का समुचित प्रतिनिधित्व: अब सर्वे में अधिकतर क्षेत्रों के लिए जिला प्राथमिक इकाई होगा। इससे स्थानीय स्तर पर अधिक प्रभावी डेटा संग्रह होगा।
- ग्रामीण क्षेत्रों में वर्गीकरण अब इस आधार पर होगा कि गाँव जिला मुख्यालय या पांच लाख से अधिक आबादी वाले शहरों/ कस्बों से 5 किलोमीटर के भीतर है या नहीं।
