नया प्लांट यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) क्षेत्र में जेवर एयरपोर्ट के पास स्थापित किया जाएगा।
- यह HCL और फॉक्सकॉन के बीच एक संयुक्त उपक्रम है।
- फोकस: मोबाइल फोन, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल आदि के लिए डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स का निर्माण करना।
भारत का बढ़ता सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम
- सेमीकंडक्टर बाजार का बढ़ता आकार: भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2019 में 22 बिलियन डॉलर का था, जिसके 2030 तक बढ़कर 110 बिलियन डॉलर (वैश्विक खपत का 10%) हो जाने की उम्मीद है।
- स्थानीय सोर्सिंग में वृद्धि: 2021 में, भारत में केवल 9% सेमीकंडक्टर कंपोनेंट स्थानीय रूप से सोर्स किए गए थे। सरकार का लक्ष्य 2026 तक इस संख्या को 17% तक बढ़ाना है।
- मजबूत अनुसंधान एवं विकास और डिजाइन: भारत में दुनिया के लगभग 20% सेमीकंडक्टर डिज़ाइन इंजीनियर हैं, जो सालाना लगभग 3,000 इंटीग्रेटेड सर्किट्स (ICs) को डिजाइन करते हैं।
- नोड को छोटा करना: टेक्नोलॉजी नोड्स {उदाहरण के लिए- 7nm (नैनोमीटर), 5nm, 3nm, 2nm आदि} चिप्स के निर्माण में प्रयुक्त प्रक्रिया प्रौद्योगिकी को संदर्भित करते हैं। छोटे नोड्स निम्नलिखित को सक्षम करते हैं:
- उच्च ट्रांजिस्टर घनत्व;
- बिजली की कम खपत;
- तीव्र गति से प्रोसेसिंग आदि।
भारत द्वारा सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को प्राथमिकता देने के कारण
- व्यापार घाटे और आपूर्ति श्रृंखला निर्भरता को कम करना: भारत ने 2024 में 1.71 लाख करोड़ रुपये के सेमीकंडक्टर आयात किए थे। इसके अलावा, कुल चिप आयात का लगभग 38% चीन से आयातित किया गया था।
- आर्थिक गुणक: सेमीकंडक्टर से जुड़ा रोजगार 16 अन्य रोजगारों का समर्थन (16X) कर सकता है।
- स्पिलओवर और “लर्निंग-बाय-डूइंग” इफेक्ट: रोबोटिक्स, प्रिसिजन टूल्स तथा एडवांस इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उच्च तकनीक वाले क्षेत्रों में क्षमताओं को बढ़ाता है।
