केन्दु पत्ता
हाल ही में, ओडिशा के कालाहांडी में केन्दु पत्ता ले जाने के लिए ग्राम सभा द्वारा जारी ट्रांजिट परमिट को वन विभाग ने मानने से मना कर दिया। वन विभाग के इस निर्णय के खिलाफ आदिवासी महिलाओं ने सफलतापूर्वक विरोध-प्रदर्शन किया।
केन्दु पत्ता/ तेंदू पत्ता (डायोस्पायरस मेलानोक्सिलोन) के बारे में:
- ओडिशा का "हरा सोना" कहलाने वाला केन्दु पत्ता राज्य की अर्थव्यवस्था और वनवासियों की आजीविका के लिए एक महत्वपूर्ण लघु वनोपज (MFP) है।
- बांस और साल बीज की तरह केन्दु पत्ता भी राष्ट्रीयकृत उत्पाद है।
- इसका अर्थ है कि इसके संचय, प्रसंस्करण और व्यापार को सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
- उपयोग: बीड़ी बनाने में उपयोग होता है, क्योंकि इसका सेवन तंबाकू के समान एहसास दिलाता है। केन्दु पत्ते का इस्तेमाल वस्तुओं को लपेटने में भी किया जाता है।
- शीर्ष उत्पादक राज्य: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा आदि।
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- केन्दु पत्ता
- हरा सोना
पैदल यात्रियों के अधिकार (Rights of Pedestrians)
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में पैदल यात्रियों के संवैधानिक अधिकारों को मान्यता दी।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश:
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “बिना किसी अवरोध और दिव्यांगजन-अनुकूल फुटपाथ के अधिकार” को अनुच्छेद 21 के तहत गारंटी प्रदान की गई है।
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 'प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण' प्रदान करता है। इसका आशय है कि किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही उसके जीवन या स्वतंत्रता से वंचित किया जा सकता है, अन्यथा नहीं।
- सुप्रीम कोर्ट के निर्देश:
- सभी सार्वजनिक सड़कों पर फुटपाथ होने चाहिए, और वे दिव्यांगजनों के लिए सुलभ एवं उपयोग योग्य होने चाहिए।
- फुटपाथ से अतिक्रमण हटाना अनिवार्य किया गया।
- सभी राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश ऐसी नीतियां तैयार करें, जो फुटपाथों की उपलब्धता और रखरखाव सुनिश्चित करें।
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- अनुच्छेद 21
- पैदल यात्रियों के अधिकार
आगम
मंदिरों में अर्चक (पुरोहित) नियुक्ति के संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट की समिति से तमिलनाडु में आगमिक और गैर-आगमिक मंदिरों की पहचान करने का अनुरोध किया।
आगम शास्त्रों के बारे में:
- आगम उत्तर-वैदिक कालीन ग्रंथ हैं, जो अनुष्ठानों से संबंधित ज्ञान प्रदान करते हैं। इन्हें मंदिर प्रबंधन के मार्गदर्शक ग्रंथ के रूप में देखा जाता है।
- पूजा की विधियां: इनमें भगवान की मूर्ति की पूजा तंत्र (अनुष्ठान), यंत्र (प्रतीकात्मक चित्र) और मंत्र (ध्वनि प्रतीक) के माध्यम से की जाती है।
- ये ज्ञान, योग (ध्यान), क्रिया (अनुष्ठान), और चर्या (पूजा की विधियां) जैसे विषयों से संबंधित होते हैं।
- इनकी तीन प्रमुख शाखाएं हैं: वैष्णव, शैव और शाक्त।
- हालांकि ये वेदों की सत्ता में विश्वास नहीं करते, फिर भी इनका आध्यात्मिक स्वरूप वैदिक भावना के अनुरूप होता है।
- प्रमुख ग्रंथ: ईश्वर-संहिता, नारद-पांचरात्र, स्पन्द-प्रदीपिका, महानिर्वाण-तंत्र आदि।
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- मंत्र
- आगमिक मंदिर
द्वि-आयामी (2D) धातुएं
चीन के वैज्ञानिकों ने बिस्मथ, गैलियम, इंडियम, टिन और सीसे की 2D (द्वि-आयामी) परतें बनाने का तरीका खोजा है।
- शोध टीम के अनुसार, बिस्मथ की परत मात्र 6.3 Å (एंगस्ट्रॉम) मोटी थी — जो लगभग दो परमाणुओं की मोटाई के बराबर है। इस परत में इलेक्ट्रॉनों का 2D (द्वि-आयामी) में सीमित होना संभव हो गया।
2D धातुओं की खोज का महत्त्व
- मैटेरियल साइंस में क्रांतिकारी उपलब्धि: अब वास्तविक रूप से परमाणु-स्तरीय पतली धातु परतों का निर्माण संभव है।
- टोपोलॉजिकल इंसुलेटर: बिस्मथ और टिन जैसी 2D धातुएं टोपोलॉजिकल इंसुलेटर की तरह व्यवहार कर सकती हैं, यानी ये केवल अपने किनारों पर ही विद्युत का संचार करती हैं।
- यह विशेषता तेज़ और कम ऊर्जा खपत वाले कंप्यूटरों के निर्माण के लिए अत्यंत उपयुक्त है।
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- द्वि-आयामी (2D) धातुएं
- टोपोलॉजिकल इंसुलेटर
इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (ICGEB)
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने सार्वजनिक रूप से वित्त-पोषित भारत में अपनी तरह की पहली DST-ICGEB ‘बायो-फाउंड्री’ को राष्ट्र को समर्पित किया। यह कार्य 31वीं ICGEB बोर्ड ऑफ गवर्नर्स बैठक के दौरान संपन्न किया गया।
ICGEB के बारे में:
- स्थापना वर्ष: 1983 में।
- इसके 69 सदस्य देश हैं। भारत इसके संस्थापक सदस्य देशों में से एक है।
- यह लाइफ साइंसेज के क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्साहित करने वाला एक प्रमुख अंतर-सरकारी संगठन है।
- ICGEB के तीन प्रमुख केंद्र हैं: नई दिल्ली (भारत), त्रिस्ते (इटली) और केपटाउन (दक्षिण अफ्रीका)।
- अनुसंधान के मुख्य विषय: संक्रामक रोग, गैर-संचारी रोग, चिकित्सा जैव प्रौद्योगिकी, औद्योगिक जैव प्रौद्योगिकी और पादप जैव प्रौद्योगिकी।
- Tags :
- DST-ICGEB
- बायो-फाउंड्री
Articles Sources
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की 1267 प्रतिबंध समिति
भारतीय अधिकारियों ने UNSC की 1267 प्रतिबंध समिति की निगरानी टीम को द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
1267 प्रतिबंध समिति के बारे में
- इसे ISIS और अल-कायदा प्रतिबंध समिति भी कहा जाता है।
- इसकी स्थापना 1999 में ISIS, अल-कायदा और संबंधित समूहों से जुड़े आतंकवाद से निपटने के लिए की गई थी।
- UNSC के सभी स्थायी और अस्थायी सदस्य इसमें शामिल हैं।
- यह समिति आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध, आतंकियों की यात्रा पर रोक और उनकी संपत्ति जब्त करने जैसे फैसले लेती है। ये सभी फैसले UNSC के प्रस्ताव 1267 (1999), 1989 (2011), और 2253 (2015) के तहत लागू किए जाते हैं।
- Tags :
- द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF)
- UNSC की 1267 प्रतिबंध समिति
भार्गवास्त्र
भारत ने स्वदेशी रूप से विकसित एंटी-ड्रोन सिस्टम, भार्गवास्त्र का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
भार्गवास्त्र के बारे में
- यह एक कम लागत वाली, 'हार्ड किल' एंटी-ड्रोन प्रणाली है। इसे स्वार्म ड्रोन्स को निष्क्रिय करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- स्वार्म ड्रोन्स वास्तव में कई मानव-रहित हवाई वाहनों (UAVs) के समूह होते हैं। ये सभी समन्वित प्रणाली के रूप में एक-साथ कार्य करते हैं।
- इसे सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) ने विकसित किया है।
- मुख्य विशेषताएं
- दो-परत (लेयर) सुरक्षा प्रणाली:
- लेयर 1: गैर-निर्देशित माइक्रो-रॉकेट्स- 20 मीटर के भीतर स्वार्म ड्रोन्स को निष्क्रिय करने की क्षमता।
- लेयर 2: सटीक निशाने के लिए निर्देशित माइक्रो-मिसाइल्स।
- रेंज: ड्रोन को 2.5 किमी की रेंज तक पहचान सकता है। रडार से 6 से 10 किमी तक हवाई खतरे का पता लगा सकता है।
- क्षेत्र की अनुकूलता: 5000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर भी प्रभावी।
- मॉड्यूलर डिजाइन: इसमें जैमिंग और स्पूफिंग जैसे "सॉफ्ट किल" विकल्प भी जोड़े जा सकते हैं।
- C4I-सक्षम कमांड सेंटर: यह नेटवर्क आधारित वारफेयर को और बेहतर बनाता है।
- दो-परत (लेयर) सुरक्षा प्रणाली:
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- भार्गवास्त्र
- एंटी-ड्रोन सिस्टम
आकाशतीर
यह प्रणाली हाल ही में पाकिस्तान के साथ सीमा पर हुई हिंसक झड़पों के दौरान ड्रोन और मिसाइल खतरों को रोकने में बेहद उपयोगी साबित हुई।
आकाशतीर के बारे में
- यह एक AI संचालित और पूरी तरह से स्वचालित एयर डिफेंस प्रणाली है। इसे ड्रोन्स, मिसाइलों, माइक्रो UAV और लॉइटरिंग हथियारों को रोकने एवं निष्क्रिय करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- विकसित: इसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने स्वदेशी रूप से विकसित किया है।
मुख्य विशेषताएं:
- एकीकृत नेटवर्क: निगरानी उपकरण, रडार और कमांड यूनिट्स को आपस में जोड़ता है।
- स्थितिजन्य जागरूकता: सभी यूनिट्स को रीयल टाइम एयरस्पेस डेटा प्रदान करता है।
- कम ऊंचाई पर निगरानी: युद्ध क्षेत्र में कम ऊंचाई पर उड़ते खतरों को ट्रैक और नियंत्रित करता है।
- Tags :
- आकाशतीर
- एयर डिफेंस प्रणाली