‘समुद्रयान मिशन’ भारत के डीप ओशन मिशन (DOM) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस मिशन के तहत मानव-युक्त पनडुब्बी पोत ‘मत्स्य’ को जल में 6,000 मीटर की गहराई तक पहुंचाना है ताकि महासागर का अध्ययन किया जा सके।
- समुद्रयान मिशन के संभावित लाभ निम्नलिखित हैं:
- भारत में गहरे समुद्र में अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा;
- समुद्र की गहराई में स्थित जैविक और अजैविक संसाधनों का आकलन किया जा सकेगा;
- महासागर का समग्र पर्यवेक्षण किया जा सकेगा;
- भविष्य में डीप-सी टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा।
- अब तक केवल संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और जापान मानवयुक्त पोत को गहरे समुद्र तक पहुंचाने में सफल हुए हैं।
मत्स्य-6000 के बारे में:
- मत्स्य 6000 गहरे महासागर में अध्ययन करने वाला भारत की चौथी पीढ़ी का ‘मानवयुक्त स्वचालित वैज्ञानिक पनडुब्बी पोत’ है।
- इसे राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) चेन्नई द्वारा विकसित किया जा रहा है।
- इसने सफलतापूर्वक वेट-टेस्टिंग यानी जल में परीक्षण का कार्य पूरा कर लिया है।
- यह पोत समुद्र के भीतर सामान्य स्थिति में 12 घंटे और आपातकालीन स्थिति में 96 घंटे रह सकता है।
डीप ओशन मिशन (DOM) के बारे में:
- नोडल मंत्रालय: केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय।
- मिशन अवधि: 2021 से शुरू होकर अगले 5 वर्षों तक।
- उद्देश्य: इस मिशन का उद्देश्य महासागर के संसाधनों की खोज और उनके संधारणीय उपयोग के लिए डीप ओशन प्रौद्योगिकियों का विकास करना है। इससे भारत की ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा।
- ब्लू इकोनॉमी का अर्थ है महासागर के संसाधनों का संधारणीय उपयोग ताकि आर्थिक संवृद्धि को बढ़ावा मिल सके, रोजगार के बेहतर अवसर सृजित हो सकें, आदि। भारत की GDP में ब्लू इकोनॉमी का लगभग 4% योगदान है।
