सुप्रीम कोर्ट ने पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू होने वाली पर्यावरणीय मंज़ूरी को रद्द कर दिया | Current Affairs | Vision IAS
News Today Logo

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू होने वाली पर्यावरणीय मंज़ूरी को रद्द कर दिया

Posted 19 May 2025

8 min read

वनशक्ति बनाम भारत संघ (2025) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को खनन परियोजनाओं को पूर्वव्यापी पर्यावरणीय मंज़ूरी (EC) देने या EIA अधिसूचना, 2006 का उल्लंघन करने वाली कार्रवाइयों को नियमित करने से रोक दिया है। 

  • EIA अधिसूचना, 2006 के तहत किसी परियोजना को शुरू करने से पहले ‘पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी’ प्राप्त करना अनिवार्य है।
  • न्यायालय ने यह भी माना कि केंद्र (पर्यावरण एवं वन मंत्रालय) द्वारा जारी की गई ऐसी अधिसूचना अवैध, मनमानी और संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) तथा अनुच्छेद 21 (जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) का उल्लंघन है।
  • इससे पहले, कॉमन कॉज बनाम भारत संघ एवं अन्य (2017) में, सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि पूर्वव्यापी पर्यावरणीय मंजूरी की अवधारणा पर्यावरणीय न्यायशास्त्र के लिए पूरी तरह से अलग है।

पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA)

  • EIA अधिसूचना 2006, विकास संबंधी परियोजनाओं को मंजूरी देने से पहले उनके संभावित पर्यावरणीय प्रभावों का मूल्यांकन करने के लिए एक विनियामकीय ढांचा है।
  • इसने परियोजनाओं को 2 श्रेणियों में वर्गीकृत किया है:
    • श्रेणी A: राष्ट्रीय स्तर का मूल्यांकन
      • केंद्र सरकार यानी पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के तहत से पूर्व पर्यावरणीय स्वीकृति की आवश्यकता होगी।
      • विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) की सिफारिशों के आधार पर निर्णय किया जाता है।
    • श्रेणी B: ​​राज्य स्तरीय मूल्यांकन
      • राज्य/ संघ राज्य क्षेत्र पर्यावरणीय प्रभाव आकलन प्राधिकरण (SEIAA) से पूर्व पर्यावरण स्वीकृति की आवश्यकता होगी।
      • राज्य या संघ राज्य क्षेत्र स्तर की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (SEAC) की सिफारिशों के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
  • Tags :
  • अनुच्छेद 14
  • अनुच्छेद 21
  • पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA)
Watch News Today
Subscribe for Premium Features