वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन द्वारा प्रकाशित “द वर्ल्ड हार्ट 2025: ओबेसिटी एंड कार्डियोवैस्कुलर डिजीज रिपोर्ट” ने दुनिया भर में मोटापे के बढ़ते प्रचलन और उपचार तक पहुंच में कमी को उजागर किया है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर:
- 1990 के बाद से दुनिया भर में वयस्कों में मोटापा चार गुना बढ़ा है। 1990 में जहां 19.4 करोड़ लोग मोटापे से ग्रस्त थे, वहीं 2022 में यह संख्या बढ़कर 87.8 करोड़ हो गई।
- भविष्य का खतरा: वर्तमान रुझानों के अनुसार, 2050 तक लगभग 2/3 वयस्क (25 वर्ष से अधिक आयु) ज्यादा वजन के/ मोटे हो सकते हैं।
मोटापे के बारे में
- WHO के अनुसार, मोटापे का अर्थ है शरीर में असामान्य या अत्यधिक वसा का जमा हो जाना, जिससे स्वास्थ्य को खतरा होता है। इसे मापने के लिए BMI (बॉडी मास इंडेक्स) का उपयोग किया जाता है। 25 या उससे अधिक का BMI अधिक वजन माना जाता है, और 30 या उससे अधिक का BMI मोटापे के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
- BMI की गणना किसी व्यक्ति के किलोग्राम में वजन को मीटर वर्ग में उसकी लंबाई से विभाजित (किलोग्राम/ मी²) करके की जाती है।
- NFHS-5 के आंकड़ों के हिसाब से कुल मिलाकर, 24% भारतीय महिलाएं और 23% भारतीय पुरुष मोटापे से ग्रस्त हैं।
रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशें
- सिस्टम-स्तरीय हस्तक्षेप: ऐसे नीतिगत उपाय अपनाए जाएं जो खाद्य उत्पादों के विपणन को विनियमित करें, मीठे पेयों पर कर (टैक्स) लगाएं, और स्वस्थ खाद्य विकल्पों पर सब्सिडी दें।
- दवा: सरकारों को मोटापे की दवाओं, जैसे GLP-1RA की उपलब्धता और वहनीयता का विस्तार करने के प्रयासों को बढ़ावा देना चाहिए।
- अन्य: जीवनशैली में हस्तक्षेप, आहार संशोधन, हृदय संबंधी दिशा-निर्देशों में मोटापे से संबंधित सिफारिशें आदि शामिल होनी चाहिए।
