यह संभावना चेरी ब्लेयर फाउंडेशन फॉर विमेन की एक रिपोर्ट में व्यक्त की गई है। इसमें बताया गया है कि महिला उद्यमी निम्न और मध्यम आय वाले देशों में आर्थिक संवृद्धि एवं गरीबी उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
- यदि महिलाएं पुरुषों के बराबर उद्यमिता में भाग लें, तो वैश्विक GDP में लगभग 5 ट्रिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हो सकती है। यह आंकड़ा जापान की अर्थव्यवस्था के बराबर है।
- हालांकि, महिलाओं का व्यवसायों में अच्छा-खासा स्वामित्व है (लैटिन अमेरिका में 50%, पूर्वी एशिया में 44% आदि), फिर भी उन्हें कई व्यवस्थागत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये समस्याएं उनके व्यवसाय की सफलता में बाधा बनती हैं।
महिला उद्यमियों के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियां
- वित्तीय उपलब्धता: ऋण लेने की उच्च लागत, गारंटी या जमानत संबंधी सख्त अनिवार्यताएं और वित्तीय ज्ञान की कमी महिलाओं के लिए पूंजी जुटाना मुश्किल बनाते हैं।
- पंजीकरण संबंधी बाधाएं: उच्च लागत और जटिल नौकरशाही औपचारिक रूप से व्यवसाय के पंजीकरण में बाधा उत्पन्न करती हैं।
- इंटरनेट की कमी: निम्न और मध्यम आय वाले देशों में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार 92% महिला उद्यमियों के पास निजी स्मार्टफोन है, जबकि 45% उच्च डेटा लागत और खराब कनेक्टिविटी के कारण नियमित रूप से इंटरनेट का उपयोग नहीं कर पाती हैं।
- ऑनलाइन सुरक्षा बाधाएं: रिपोर्ट में पाया गया है कि सर्वेक्षण में शामिल 57% महिला उद्यमियों ने किसी न किसी रूप में ऑनलाइन उत्पीड़न का सामना किया है।
- ई-कॉमर्स संबंधी सीमाएं: उच्च लागत, भुगतान संबंधी अनिश्चितता और जटिल ऑनबोर्डिंग के कारण ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का कम उपयोग होता है।
- आवागमन में बाधाएं: कई महिलाओं को कहीं जाने के लिए किसी के साथ की जरूरत होती है, उनके विशेष प्रबंध करने पड़ते हैं, और कुछ को सुरक्षा कारणों से समय की पाबंदी का भी सामना करना पड़ता है।
