इस मिशन की घोषणा केंद्रीय बजट 2025-26 में दलहन आयात पर निर्भरता कम करने, बढ़ती मांग को पूरा करने, उत्पादन को अधिकतम करने तथा किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी।
मिशन की मुख्य विशेषताएं
- समयावधि: 6 वर्ष (2025-26 से 2030-31) तक।
- वित्तीय परिव्यय: 11,440 करोड़ रुपये।
- लक्ष्य: दलहन के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और आत्मनिर्भरता प्राप्त करना।
- मिशन के तहत जलवायु-अनुकूल और उन्नत बीज किस्मों के विकास एवं प्रसार, फसल कटाई के उपरांत की अवसंरचना के विकास, मूल्य संवर्धन आदि के लिए कई पहलें आरंभ की जाएंगी।
- निर्धारित लक्ष्य:
- क्षेत्रफल: दलहन उत्पादन के क्षेत्रफल को 310 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाना।
- इसका एक अन्य उद्देश्य धान की परती भूमि और अन्य विविधीकरण योग्य भूमि को लक्षित करके दालों के तहत अतिरिक्त 35 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल का विस्तार करना भी है।
- उत्पादन: उत्पादन को 350 लाख टन तक ले जाना।
- उत्पादकता: उपज को 1130 किलोग्राम/ हेक्टेयर तक बढ़ाना।
- क्षेत्रफल: दलहन उत्पादन के क्षेत्रफल को 310 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाना।
- दृष्टिकोण: मिशन के तहत क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण अपनाया जाएगा। इसमें प्रत्येक क्लस्टर की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप हस्तक्षेप किए जाएंगे।
- फोकस फसलें: तूर/ अरहर; उड़द और मसूर।
- सुनिश्चित खरीद: भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (NAFED) और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ लिमिटेड (NCCF) अगले 4 वर्षों में भागीदार राज्यों के किसानों से 100% उपज की खरीद करेंगे।
- वैश्विक दलहन मूल्यों की निगरानी के लिए तंत्र: किसानों का भरोसा कायम रखने के लिए मिशन के तहत एक निगरानी तंत्र स्थापित किया जाएगा।
दलहन में आत्मनिर्भरता की आवश्यकता
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