RBI ने भारतीय रुपये (INR) के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने के लिए नए उपायों की घोषणा की है। इससे व्यापार और निवेश के नए अवसर मिलेंगे।
- रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण का अर्थ है कि भारतीय रुपये को वैश्विक व्यापार और वित्तीय लेन-देन के लिए उपयोग किया जा सकेगा।

घोषित किए गए प्रमुख उपायों पर एक नजर
- अनिवासियों को भारतीय रुपये में ऋण देना: भारत में प्राधिकृत डीलर बैंकों और उनकी विदेशी शाखाओं को बैंक सहित भूटान, नेपाल और श्रीलंका के निवासियों को भारतीय रुपये में ऋण देने की अनुमति होगी।
- पारदर्शी रेफरेंस रेट स्थापित करना: फाइनेंशियल बेंचमार्क्स इंडिया लिमिटेड (FBIL) प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के सापेक्ष रुपये के लिए पारदर्शी रेफरेंस रेट विकसित करेगा।
- वर्तमान में, RBI अमेरिकी डॉलर, यूरो, जापानी येन और स्टर्लिंग के लिए रेफरेंस रेट प्रकाशित करता है।
- स्पेशल रूपी वोस्ट्रो अकाउंट्स (SRVAs) का उपयोग बढ़ाना: SRVA के बैलेंस का उपयोग अब कॉर्पोरेट बॉण्ड्स और कमर्शियल पेपर्स में निवेश करने के लिए किया जा सकता है।
- इससे पहले, SRVA के बैलेंस को केवल केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों में निवेश करने की अनुमति थी।
स्पेशल रूपी वोस्ट्रो अकाउंट्स (SRVAs) के बारे में
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